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साधनों में नहीं साधना में रहना सीख, इच्छाओं पर सीखें कंट्रोल करना :गणिनी आर्यिका विज्ञाश्री माताजी

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चांदखेड़ी (विश्व परिवार)। प. पू. भारत गौरव श्रमणी गणिनी आर्यिका रत्न 105 गुरु मां विज्ञाश्री माताजी ससंघ का चांदखेड़ी से मंगल विहार हुआ । 1 अप्रैल को माताजी ससंघ का झालावाड़ में मंगल प्रवेश होगा । माताजी ससंघ के सान्निध्य में आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज का आचार्य पदारोहण दिवस मनाया गया । राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी पारस जैन “पार्श्वमणि” पत्रकार कोटा ने बताया कि माताजी ससंघ की निर्विघ्न आहारचर्या बघेर ग्राम में संपन्न हुई।
माताजी ने सभी को धर्मोपदेश देते हुए कहा कि – आज जमाना नहीं बदला अपितु हमारी सोच बदलती जा रही है । सोच के अनुसार हमें वस्तु उस रूप दिखाई देती है इसलिए कहा जाता है जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि । दुख की मूल जड़ हमारी सोच और इच्छा है । अपनी इच्छाओं पर कंट्रोल करना सीखो , साधनों में नहीं साधना में रहना सीखो। लोगों में साधना नहीं होती योगों में साधना होती है । धर्म सुविधाओं में नहीं होता , कष्टों में होता है । अपनी सोच में स्वार्थपना नहीं होना चाहिए । स्वार्थ से किया गया धर्म हमें फल नहीं देगा। सृष्टि को बदलने का प्रयास मत करो अपनी दृष्टि को बदलने की कोशिश करो। अपने नजारे को बदलो किनारे बदल जायेंगे। मिथ्यादृष्टि की नहीं सम्यग्दृष्टि की सोच बनाओ क्योंकि 1 मिनट में जिंदगी नहीं बदलती लेकिन एक मिनट की सोच से पूरी जिंदगी बदल जाती है।

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