टीकमगढ़ (विश्व परिवार)। टीकमगढ़ अहिंसा स्थल श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में आयोजित 19 से 26 मई 2025 तक आयोजित प्राकृत विद्या शिक्षण शिविर का समापन हुआ । जिसमें करीब 150 शिविरार्थियों को पुरस्कृत किया गया ।
सभी शिविरार्थियों ने बड़े ही उत्साह के साथ प्राकृत भाषा को सीखा ।
शिविरार्थियों ने अपने अनुभव व्यक्त करते हुए कहा कि प्राकृत हमारी मूल भाषा है जिसे सीखना सहज सरल है । ऐसे शिविरों का आयोजन वर्ष में दो बार होने चाहिए ताकि हम लोग इसे व्यवहार में ला सकें ।
शिविरार्थियों ने पढ़ने और बोलने में रुचि उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका ब्रह्मचारिणी मानी दीदी की रही उन्होंने व्याकरण के माध्यम से प्राकृत भाषा में प्रवेश कराया और उच्चारण करना भी सिखाया, सीखते हुए उन्हें बड़ा ही आनंद आया और वह व्यवहारिक भाषा में इसका प्रयोग करने लग गए । इस अवसर पर डॉ नरेंद्र जी क्षेत्रीय संयोजक डॉ निर्मल शास्त्री स्थानीय संयोजक दीपिका जैन के साथ श्रीमती मोना जैन धर्मेंद्र जैन राजेश जी भागचंद जी प्रदीप जी मनोज जी रेखा जी, अनुपम जी जयदीप जी जिनेश जी, सुरेन्द्र जी, भूपेंद्र जी, जयजी, वीरेंद्र जी, जगदीप जी, शैलेन्द्र जी, अनिल जी आदि अनेक लोगों के साथ महिला मंडल भी उपस्थित रहें ।
डॉ निर्मल शास्त्री ने शिविर के महत्व और प्राकृत भाषा की उपयोगिता पर प्रकाश डाला ।
राष्ट्रीय संयोजक डॉ आशीष आचार्य, शैलेन्द्र जी, सोनल जी, विजय जी, ऋषभ जी फौजदार आदि ने अपनी उपस्थिति आंनलाईन निरीक्षण कर दी ।
प्राकृत भाषा शिविर के दौरान नैनागिर सिद्ध क्षेत्र की धार्मिक यात्रा भी करवाई गई ।