प्रयागराज (विश्व परिवार)। प्रयागराज में महाकुंभ भगदड़ की जांच अब साजिश की ओर मुड़ रही है। यूपी और केंद्र सरकार की एजेंसियां इसे हादसा नहीं, साजिश मानकर जांच कर रही हैं। यूपी में राष्ट्रीय जांच एजेंसी , एंटी-टेररिस्ट स्क्वॉड , स्पेशल टास्क फोर्स और लोकल इंटेलिजेंस यूनिट के रडार पर 10 हजार से ज्यादा लोग हैं। सबसे ज्यादा ष्ट्र्र और हृक्रष्ट के प्रदर्शनकारी हैं। महाकुंभ में इनमें से कई का मूवमेंट मिला है।
जांच में ऐसे गैर हिंदू हैं, जिनके सोशल मीडिया अकाउंट पर महाकुंभ को लेकर निगेटिव कमेंट किए गए या फिर उन्होंने गूगल और यूट्यूब पर महाकुंभ को बहुत ज्यादा सर्च किया। इनकी भूमिका की भी जांच ्रञ्जस् और स्ञ्जस्न कर रही हैं। 18 जेलों में कैद क्कस्नढ्ढ सदस्यों से भी पूछताछ हो रही है।
स्ञ्जस्न के एक अफसर ने बताया कि महाकुंभ में 45 करोड़ लोगों को आना था। बड़ा आयोजन था, इसलिए महीनों पहले से खुफिया एजेंसियां एक्टिव थीं। इंटेलिजेंस ने क्रिमिनल हिस्ट्री व प्रदेश सरकार के खिलाफ बड़े प्रदर्शन करने वाले लोगों पर इनपुट दिए थे। इसके आधार पर यूपी के 1 लाख से ज्यादा लोगों का वेरिफिकेशन कराया गया।
उन्हें समझाया गया और मैसेज दिया गया कि महाकुंभ के दौरान प्रयागराज की तरफ मूवमेंट नहीं करें। इसके बावजूद भगदड़ होने के बाद जांच में पाया गया कि इनमें से कुछ का मूवमेंट महाकुंभ में हुआ। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि सिर्फ वाराणसी और आसपास के 10 जिलों के 16 हजार लोगों को महाकुंभ से पहले ही काशी के बाहर मूवमेंट करने से मना किया गया।
लेकिन, 117 लोगों का मूवमेंट काशी के बाहर मिला। इनमें 50 से ज्यादा लोग प्रयागराज भी पहुंचे थे। ये सभी हिंदू धर्म से नहीं हैं। जब लोगों से पूछताछ हुई, तब उन्होंने अपने मूवमेंट के पीछे अलग-अलग कारण बताए। ऐसे ही दूसरे शहरों में संदिग्ध माने गए लोगों से एजेंसियों ने पूछताछ शुरू कर दी है कि मना करने के बाद अपने शहर से बाहर क्यों गए।