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सोने-चांदी व हीरे मोती जड़ित प्रतिमाओं के साथ सज चुका है माहिष्मति महल,थाईलैंड के अरुण देव मंदिर की झलक देखने को मिल रहा

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जांजगीर-चांपा(विश्व परिवार)। जिला मुख्यालय जांजगीर के नैला में इस बार थाईलैण्ड के अरुण मंदिर की झलक दिख रही है। यहां 150 फीट ऊंचाई और 160 फीट चौड़ाई का पंडाल बनाया गया है, जिसमें पांच शेरों पर सवार मां दुर्गा की 35 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है। माता की प्रतिमा हीरे मोती से सुज्जित है। खास बात यह है कि बीते चार दशकों से यहां दुर्गोत्सव की ऐसी परंपरा चल रही है, जिसमें हर बार कुछ न कुछ नया होता है, जिससे यहां की पहचान राज्य से ऊपर देशभर में बन चुकी है। जांजगीर-नैला में श्री श्री दुर्गोत्सव सेवा समिति द्वारा बीते चार दशकों से दुर्गा पूजा का आयोजन क्वांर नवरात्रि में किया जाता है। समिति का यह 41वां वर्ष का आयोजन है। इस वर्ष यहां थाईलैण्ड के अरुणदेव मंदिर की झलक दिखाई पड़ रही है।
गौशाला के सामने 150 फीट ऊंचा और 160 फीट चौड़ा विशाल पंडाल तैयार किया गया है, जो हु बहू अरुण देव मंदिर (थाईलैण्ड) की प्रतिबिंब नजर आ रहा है। यहां दुबई के प्रसिद्ध बुर्ज खलीफा की लाईटिंग रात में विशेष आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। पंडाल में मां दुर्गा की 35 ऊंचाई की प्रतिमा स्थापित की गई है, जो पांच शेरों वाले रथ पर सवार है, जो हीरे मोती से सुसज्जित है। उल्लेखनीय है कि नैला में दुर्गोत्सव हर बार नई तर्ज पर मनाने की परंपरा दशकों से चली आ रही है। समिति का यह 41 वां वर्ष है और इस बार थाईलैण्ड अरुण देव मंदिर की तर्ज पर पंडाल सजाया गया है।
सोने-चांदी व हीरे मोती जड़ित प्रतिमाओं के साथ सज चुका है माहिष्मति महल
नैला में होने वाले दुर्गोत्सव की ख्याति प्रदेश से ऊपर देश स्तर पर बन चुकी है। यहां समिति द्वारा हर बार नई तर्ज पर पंडाल व प्रतिमाएं स्थापित की जाती है। विशेष करके बीते 11 सालों में यहां सोने, चांदी के सिक्के के अलावा हीरे-मोती जड़ित मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जा चुकी है तो वहीं माहिष्मति महल, सूरत के अन्नपूर्णा मंदिर और राम मंदिर अयोध्या की तर्ज पर भी पंडाल सजाए जा चुके हैं। इसके पूर्व यहां बाहुबली फिल्म के माहिष्मति महल, सूरत के अन्नपूर्णा मंदिर, अयोध्या राम मंदिर के अलावा बांस के पंडाल भी बनाए जा चुके है, तो वहीं माता की प्रतिमा 10 रुपए के सिक्के, चांदी के सिक्के, सोने के सिक्के के साथ हीरे मोती जड़ित प्रतिमाएं भी यहां स्थापित हो चुकी है। पूर्व के वर्षों में रुद्राक्ष और कांच से बनी प्रतिमाएं भी काफी आकर्षक और चर्चित रही, जिसे देखने के लिए न केवल जिला और संभाग बल्कि प्रदेश सहित दिगर राज्यों से भी लोगों की भीड़ पहुंचती थी। इस बार भी यहां लोगों की भीड़ लगनी शुरु हो गई है।
डेढ़ माह में तैयार हुआ पंडाल
श्री श्री दुर्गोत्सव सेवा समिति नैला के अध्यक्ष राजेश पालीवाल बताते हैं कि, समिति द्वारा हर वर्ष कुछ नया करने की योजना बनाई जाती है। इस बार थाईलैण्ड के विश्व प्रसिद्ध अरुण देव मंदिर की तर्ज पर पंडाल बनाया गया है। इसे बंगाल के 40 कारीगरों ने मिलकर बनाया है। बनाने में डेढ़ माह का समय लगा है। माता की 35 फीट ऊंची प्रतिमा भटगांव के मूर्तिकार द्वारा तैयार की गई है। उन्होंने बताया कि इसमें छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े फ्लावर डेकोरेटर द्वारा पंडाल के भीतर सुंदर फ्लावर वैली (फूलो की घाटी) और भारत प्रसिद्ध थर्माकोल कलाकार द्वारा आकर्षक सजावट की गई है।

 

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