Home धर्म मानव जीवन का सदुपयोग करना ही जीवन की उपलब्धि है – मुनि...

मानव जीवन का सदुपयोग करना ही जीवन की उपलब्धि है – मुनि श्री अरह सागर जी महाराज

24
0
  • दो दिसंबर को होने वाली रथयात्रा आपके सानिध्य में हो-विजय धुर्रा
  • आज होगी विशेष जगत कल्याण के लिए शान्ति धारा

अशोक नगर(विश्व परिवार)। हम भाग्यशाली हैं कि हमें जीवन जीने का अवसर मिला आज हमें प्रभु का अभिषेक करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ इस तरह की हर खुशी को हम ज़ीना सीखें इन छोटी छोटी खुशियां आपको आपके ही नजदीक ले जातीं हैं इन खुशियों की याद दिलाने यदि संतों का सान्निध्य मिल जाए तो क्या कहना साधु संतो का जीवन बहतीं हुई नदी की धारा की तरह है जो एक बार वह कर निकल गई वह कभी वापिस नहीं आती इसलिए वहती हुई नदी के जल को जिसने अपने आचमन कर लिया तो कर लिया नहीं तो धारा तो वहीं जा रही ऐसे ही ये दुर्लभ मनुष्य पर्याय क्षण क्षण घट रही है इस मानव जीवन का जिसने सदुपयोग कर लिया तो कर लिया हर सहयोग वियोग में होता है अभी आप एक साथ बैठे है धर्म सभा पुर्ण हुई आप अपने अपने स्थान को चले गए ।
कल कमेटी करेगी श्री फल भेंट
इसके पहले मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा ने कहा कि सन् उन्नीस सो वानवे में हुए ऐतिहासिक त्रिकाल चौबीस पंच कल्याणक महोत्सव विश्व शांति महायज्ञ एवं विश्व इतिहास में पहली बार हुए सप्त गजरथ महोत्सव की तेंतीस वी वर्षगांठ एवं भगवान जिनेन्द्र देव की भव्य वृषभ रथ यात्रा के साथ ही भगवान श्री शान्तिनाथ श्री कुन्थनाथ अरहनाथ स्वामी के महा मस्तिष्काभिषेक का सौभाग्य प्राप्त हो कल पंचायत कमेटी के अध्यक्ष राकेश कासंल महामंत्री राकेश अमरोद कोषाध्यक्ष सुनील अखाई संयोजक उमेश सिघई श्रेयांस जैन मनीष सिंघ ई मनोज रन्नौद सहित पूरी कमेटी की ओर से हम सामूहिक श्रीफल भेंट करेंगे कल का दिन सब को विशेष होगा कल परम पूज्य गुरुदेव के श्री मुख से जगत कल्याण की कामना के लिए महा शान्ति धारा होगी
जिन भावों से संसार बसाता है उन्ही भावों से समेट भी सकते हैं
मुनि श्री ने कहा भावना भव नासनी यदि हम भावना वनना प्रारंभ कर दे तो वह दिन दूर नहीं जब एक दिन हम भी मुक्ति को प्राप्त करेंगे जिन भावों से संसार बसाते हो वही भावना संसार को समेट सकतीं हैं बस इसके लिए निरन्तर प्रयास करते रहना होगा सब चाहते हैं कि हमें भी प्रभु चरणों में जगह मिले लेकिन जव तव आप समर्पित होकर प्रभु चरणों में नहीं आयेंगे तब तक संभव नहीं है सबसे पहले समर्पण चाहिए उन्होंने कहा कि अहंकार से भरे व्यक्ति को कुछ भी नहीं मिल सकता पंचम काल संसार से मुक्त हो सकते हैं आप अपनी दुर्बलताओं को दूर करे अपनी कमजोरियां को दूर कर दे आप बात बात अपशब्द बोलते हैं यदि आप ने कोशिश की तो आप अपशब्द बोलना छोड़ देंगे

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here