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देश के विभिन्न हिस्सों से कला एवं संस्कृति प्रभाग के सदस्य रायपुर पहुंचे…

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  • वैश्विक संस्कृति अन्तर्राष्ट्रीय परियोजना का शुभारम्भ हुआ…
  • प्रेम शान्ति और सद्भावना का सन्देश जन-जन तक पहुंचाना है…ब्रह्माकुमारी चन्द्रिका दीदी
  • भारत को विश्व गुरू बनाने की दिशा में ब्रह्माकुमारीज का प्रयास सराहनीय…मोतीलाल साहू
  • भारत की पहचान यहाँ की संस्कृति से… पद्मश्री अनुज शर्मा, विधायक

रायपुर (विश्व परिवार)। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के कला एवं संस्कृति प्रभाग द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय परियोजना वैश्विक संस्कृति-प्रेम-शान्ति एवं सद्भावना का छत्तीसगढ़ राज्य में आज शुभारम्भ (लांचिंग) किया गया।
इस अवसर पर कला एवं संस्कृति प्रभाग की राष्ट्रीय अध्यक्ष ब्रह्माकुमारी चन्द्रिका दीदी ने बतलाया कि वैश्विक संस्कृति-प्रेम-शान्ति और सद्भावना विषयक यह परियोजना तीन वर्षीय प्रोजेक्ट है। हरेक के मन में प्रेम का दीपक जगाना ही इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य है। स्वयं से प्रेम करना सीखें। दूसरों से प्यार की अपेक्षा न रखें? आजकल लोग एक गलती करते हैं कि दूसरों से अपनी तुलना कर बैठते हैं। इस संसार में हरेक के गुण, स्वभाव और विशेषताएं अलग हैं। ईश्वर ने सबको एक समान नहीं बनाया है। फिर हम परस्पर तुलना क्यों करते हैं? तुलना करने से हीन भावना आती है जो कि डिप्रेशन की शुरूआत है। देखना है तो एक दूसरे की विशेषताएं देखो। इस परियोजना के अन्तर्गत समय-समय पर वर्कशाप, सम्मेलन, कल्चरल कार्यक्रम आदि आयोजित किए जाएंगे।
विधायक मोतीलाल साहू ने कहा कि हमारा देश हर क्षेत्र में तरक्की कर रहा है जिसके कारण पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है। वह लोग यहाँकी कला और संस्कृति को अपनाने के लिए लालायित हैं। वैश्विक शान्ति के लिए हम सबको अपने स्तर पर व्यक्तिगत प्रयास करने की जरूरत है। हमारा संकल्प है कि हमारा देश विश्व गुरू बने और विश्व शान्ति के लिए पहल करे तो उसके लिए हमें भी अपने दायित्वों का निर्वहन करना होगा। उन्होंने परियोजना की सफलता के लिए शुभकामना देते हुए कहा कि ब्रह्माकुमारी संस्थान के प्रयासों से भारत देश को विश्व गुरू बनाने की दिशा में अवश्य ही मदद मिलेगी।
छत्तीसगढ़ी फिल्मों के लोकप्रिय हीरो एवं विधायक पद्मश्री अनुज शर्मा ने कहा कि यहाँ के रग-रग में कला, संस्कृति और नृत्य बसता है। छत्तीसगढ़ भगवान राम का ननिहाल है। वनवास के दौरान सबसे अधिक समय उन्होंने यहाँ गुजारा था। यह महान कवि कालिदास और स्वामी विवेकानन्द की तपस्या भूमि रही है। इसलिए इस धरती से वैश्विक संस्कृति परियोजना का शुभारम्भ करना अच्छी शुरूआत है। उन्होंने ब्रह्माकुमारीज की सराहना करते हुए कहा कि लोगों को सुसंस्कारित करने का महान कार्य यह संस्था कर रही हैं। आप सिर्फ अध्यात्म की ही नहीं अपितु देश के उत्थान की बात भी करती हैं। आपके सान्निध्य मात्र से शान्ति और सुकून महसूस होता है।
क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी ने कहा कि हमारी प्राचीन संस्कृति दैव संस्कृति थी लेकिन पाश्चात्य प्रभाव में आकर संस्कारों में विकृति आ गयी है। अब हमें एक दो में प्रेम और शान्ति का भाव जगाना होगा। इससे ही लोगों में सद्भावना आएगी।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में माउण्ट आबू से आए मधुर वाणी ग्रुप के कलाकारों ने मधुर स्वर में स्वागत गीत प्रस्तुत कर भाव विभोर कर दिया। समारोह को स्थानीय कलाकार दिलीप षड़ंगी ने भी सम्बोधित किया। अतिथियों का स्वागत रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने किया। सूरत की बीके फाल्गुनी दीदी ने परियोजना के प्रार्थना कराई। बीके सुनयना दीदी ने मेडिटेशन का अभ्यास कराया। संचालन ब्रह्माकुमारी रूचिका दीदी ने किया।

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