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बहुउद्देशीय पैक्स- ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बदलाव का कारक – डॉ हेमा यादव, निदेशक

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(विश्व परिवार)। भारत में लगभग 2,70,000 ग्राम पंचायतें हैं, फिर भी इनमें से कई स्थानीय निकाय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS), डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों से वंचित हैं। ऋण, आवश्यक सांमग्री, बाजार और रोजगार प्रदान करने में इन प्राथमिक-स्तर की सहकारी समितियों की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए, मोदी सरकार ने अब तक सरकारी संस्थाओं से वंचित ग्राम पंचायतों में नई बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि सहकारी समिति, यानि, बहुउद्देशीय पैस्क (MPACS), और डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियां स्थापित करने की योजना लेकर आयी है । प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ के दृष्टिकोण के अनुसार, बहुउद्देशीय पैक्स ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की आधारशिला बन जाएगी, जिसका लक्ष्य प्रत्येक गांव में कम से कम एक ऋण, डेयरी, या मत्स्य सहकारी समिति होना है। यह पहल डेयरी, मत्स्य पालन, अन्य क्षेत्रों में ऋण पहुंच और व्यावसायिक अवसरों को बढ़ाने पर केंद्रित है।

देश के हर गांव और पंचायत को कवर करने के लिए 2 लाख नई बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां (MPACS) स्थापित करने की योजना केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के मार्गदर्शन में जारी है और यह पहल ग्रामीण समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए सहकारिता मंत्रालय की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इस योजना को दो आयामी कार्ययोजना के साथ लागू किया जा रहा है;
1. अगले पांच वर्षों में सभी पंचायतों और गांवों को कवर करने वाली नई बहुउद्देशीय पैक्स, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना
2. मौजूदा सहकारी समितियों का सुदृढ़ीकरण
अगले पांच वर्षों में 70,000 बहुउद्देशीय पैक्स, 56,000 नई बहुउद्देशीय डेयरी सहकारी समितियां (MPDCS) और 6,000 नई बहुउद्देशीय मत्स्य सहकारी समितियां (MPFCS) स्थापित करने तथा मौजूदा समितियों को मजबूत करने का लक्ष्य है।

मार्गदर्शिका का क्रियान्वयन
इस योजना के सफल क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह द्वारा एक मार्गदर्शनिका का शुभारंभ किया गया है । इस पुस्तिका में मानक प्रक्रियाओं, लक्ष्यों, समयसीमाओं, विशिष्ट भूमिकाओं और जिम्मेदारियों और एक निगरानी तंत्र की रूपरेखाएं दी गई हैं। बहुद्देशीय पैक्स के लिए दिशानिर्देशों ने राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों दोनों को योजना को संरचित तरीके से निष्पादित करने में सक्षम बनाया है । बहुद्देशीय पैक्स के गठन में नाबार्ड (NABARD), एनडीडीबी (NDDB) और एनएफडीबी (NFDB) जैसे भागीदार सक्रिय रूप से शामिल हैं। इस पहल का एक महत्वपूर्ण पहलू डेयरी प्रसंस्करण और अवसंरचना कोष (DIDF), राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NDDP) और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) सहित भारत सरकार की योजनाओं का अभिसरण है। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा योजना का प्रभावी क्रियान्वयन एक निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर संतुलित विकास की सुविधा प्रदान कर रहा है। राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तरीय समितियों के साथ-साथ अंतर-मंत्रालय समिति (IMC) के माध्यम से प्रभावी समन्वय स्थापित किया गया है। सहकारिता मंत्रालय के द्वारा नियमित निगरानी और समर्थन इसके प्रभावी कार्यान्वयन को मजबूती प्रदान करता है।

राज्यों की उपलब्धियां
राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस के अनुसार देश में 10,458 नए बहुउद्देशीय पैक्स पंजीकृत किए गए हैं। बहुउद्देशीय डेयरी सहकारी समितियों (MPDCS), बहुउद्देशीय मत्स्य सहकारी समिति (MPFCS) और बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (MPACS) के गठन से ग्रामीण पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार होगा और लोगों के लिए अपार अवसर खुलेंगे । इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में छोटे और सीमांत किसानों, वंचित और कमजोर लोगों की भागीदारी में सुधार होगा। आकांक्षी और वंचित जिलों और पंचायतों में बहुउद्देशीय पैक्स के माध्यम से सदस्य-केंद्रित और समावेशी विकास मॉडल से ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर कई गुना प्रभाव पड़ेगा।

उत्तराखंड ने 2018 से प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) के विविधीकरण और आधुनिकीकरण में अग्रणी भूमिका निभाई है । 2023 में मॉडल उपनियमों की शुरूआत ने सहकारी समितियों को बहुउद्देश्यीय कृषि सहकारी समितियों (MPACS) में विकसित होने के लिए प्रेरित किया । इन समितियों ने कम्प्यूटरीकरण को अपनाया है, जिससे वे कॉमन सर्विस सेंटर, जन औषधि केंद्र, एलपीजी वितरण केंद्र और पेट्रोल खुदरा दुकानों को संचालित करने में सक्षम हो गए हैं। ओडिशा में, 1,529 बहुउद्देशीय पैक्स हैं जो आकांक्षी जिलों के साथ पूरी तरह से एकीकृत हैं, जो प्रभावी कार्यान्वयन और सार्थक क्षेत्रीय परिणाम सुनिश्चित करते हैं। महत्वपूर्ण भौगोलिक और क्षेत्रीय असमानताओं की विशेषता वाले राजस्थान ने डेयरी सहकारी समितियों पर विशेष जोर देते हुए 738 बहुउद्देशीय पैक्स स्थापित किए हैं। इसी तरह, गुजरात और महाराष्ट्र बहुउद्देशीय पैक्स (MPACS) की स्थापना करके ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बदलने के उद्देश्य से व्यापक जागरूकता और आउटरीच कार्यक्रमों के माध्यम से लगातार प्रगति कर रहे हैं।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा
भारत के ग्रामीण क्षेत्र में कृषि, डेयरी, मत्स्य पालन, पशुधन और मुर्गीपालन जैसी महत्वपूर्ण गतिविधियाँ हैं जो आजीविका का स्रोत हैं, हालाँकि ऋण और बाज़ार तक पहुँच में ग्रामीण क्षेत्रों को अक्सर बाधाओं का सामना करना पड़ता है। मॉडल उपनियमों के संबल से बहुउद्देशीय पैक्स राष्ट्रीय आर्थिक विकास में ग्रामीण अर्थव्यवस्था की भागीदारी को बढ़ाएगा।

आवश्यक बुनियादी ढाँचे के साथ बहुउद्देशीय पैक्स की स्थापना, ऑनलाइन और भौतिक दोनों बाज़ारों तक बेहतर पहुँच, प्रौद्योगिकी का एकीकरण और कृषि मशीनीकरण को अपनाने से सप्लाई चेन में काफ़ी मजबूती आएगी, जिससे अंततः किसानों और उत्पादकों को फ़ायदा होगा । कृषि, डेयरी और मत्स्य पालन क्षेत्रों में खेत से लेकर खाने तक के बीच प्रभावी चेन या लिंकेज बनाने के लिए, एकत्रीकरण, कृषि-लॉजिस्टिक्स और उत्पादकों को बाजार की जानकारी प्रदान करना महत्वपूर्ण है, जिससे वे बेहतर रूप से बाजार की मांग को पूरा कर सकें । यह दृष्टिकोण लाखों उत्पादकों को अवसरों का लाभ उठाने और उन्हें उनके बाज़ारों का विस्तार करने, उनके उत्पादों को उचित मूल्य और स्थायी आय और आजीविका प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा।

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