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मेरी असली रुचि जैविक खेती, कृषि, और जल संरक्षण में : नितिन गडकरी

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पणजी (विश्व परिवार)। गोवा पहुंचे केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सार्वजनिक मंच से बताया कि उनकी असल रुचि किस चीज में है। केंद्रीय सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने ये भी बताया कि जिस विषय में उन्होंने शिक्षा प्राप्त की है उसके प्रति वो जुनूनी हैं।
उन्होंने ये बातें गोवा में फैशन डिजाइनर रितू बेरी के फंक्शन में अपने संबोधन के दौरान कही।
गडकरी ने कहा, जहां एक तरफ दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में आबादी बढ़ रही है, वहीं दूसरी तरफ सुकून की तलाश के लिए लोग बड़ी संख्या में गोवा का रुख कर रहे हैं, लेकिन अब यहां पर भी लोगों की भीड़ देखने को मिल रही है।
इसके बाद उन्होंने अपनी रुचि पर बात की। बोले, गोवा में बुनियादी ढांचे का विकास मेरे जिम्मे है, और मैं इस काम के लिए पूरी तरह से समर्पित हूं। हालांकि, मेरी असली रुचि जैविक खेती, कृषि, और जल संरक्षण में है। मुझे 11 डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त हुई है और उनमें से 6 उपाधियां कृषि और जल संरक्षण से संबंधित हैं। यह मेरे लिए एक जुनून है।
गोवा की खूबसूरती और विकास की उन्होंने प्रशंसा करते हुए कहा कि मुझे गोवा के इस विकास कार्य के बारे में सुनकर खुशी होती है, विशेषकर उन परियोजनाओं के बारे में जो हस्तशिल्प और हथकरघा से जुड़ी हुई हैं। गोवा पर्यटन के लिहाज से एक बेहद आकर्षक स्थान है, और इसकी खूबसूरत प्रकृति की वजह से यहां दुनियाभर के लोग आते हैं।
फिर केंद्रीय मंत्री ने अपनी योजनाओं के बारे में भी बताया। बोले, मैं वर्तमान में जोहरी ब्रिज पर एक दर्शक दीर्घा बना रहा हूं, जहां से आप गोवा के सुंदर दृश्य देख सकते हैं। इस परियोजना का उद्देश्य गोवा की खूबसूरती को और भी लोगों तक पहुंचाना है। हालांकि, गोवा में बढ़ती जनसंख्या और वाहनों की संख्या से समस्याएं भी उत्पन्न हो रही हैं, जैसा कि दिल्ली और मुंबई में भी देखा जा सकता है। फिर भी, गोवा की सुंदरता और यहां के प्राकृतिक संसाधन इसे एक आदर्श स्थान बनाते हैं।
उन्होंने फैशन डिजाइनर रितु बेरी से एक गुजारिश भी की। कहा, मैं रितु जी से एक निवेदन करूंगा कि यदि आप लोगों को प्रशिक्षित कर सकें, क्योंकि कोई भी व्यक्ति सिद्ध नहीं होता और हमें हमेशा सीखते रहना चाहिए। इस ज्ञान को धन में बदलना और रोजगार की संभावनाएं बढ़ाना बहुत महत्वपूर्ण है। मैं हमेशा मानता हूं कि नवाचार, उद्यमिता, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अनुसंधान, कौशल और सफल प्रथाएं ही ज्ञान का असली रूप हैं। और इस ज्ञान को धन में बदलना ही भविष्य की दिशा है।
उन्होंने आगे कहा कि दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि कोई भी सामग्री बेकार नहीं होती। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस तकनीक और नेतृत्व दृष्टिकोण से उस सामग्री का उपयोग करते हैं। सही तरीका अपनाकर आप कचरे को भी धन में बदल सकते हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मेरे क्षेत्र में पिछले 8 साल से हम शौचालयों का पानी बेच रहे हैं, जिससे हमें हर साल 300 करोड़ रुपये की आय हो रही है। इसके साथ ही, हम कचरे को अलग करके प्लास्टिक, धातु, और कांच जैसे रिसाइकिल होने वाले पदार्थों को निकाल रहे हैं। हम जैविक कचरे से बायो सीएनजी भी बना रहे हैं, और 28 टन बायो सीएनजी का उत्पादन कर रहे हैं। हमारा यह प्रोजेक्ट सिर्फ 2 महीने में पूरा होने वाला है, जो पारिस्थितिकी के दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है।

 

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