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अष्टान्हिका पर्व पर प्रतिदिन रात्रिकालीन स्त्रोत पाठ, आठ दिनों के महापर्वकी की है विशेष महिमा

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रायपुर। जैन धर्म के सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण पर्वों में से एक अष्टान्हिका पर्व जैन धर्मावलंबियों द्वारा भक्ति, तप और अनुष्ठान के साथ मनाया जा रहा है। वर्ष में तीन बार यानि कार्तिक मास, फाल्गुन मास और आषाढ़ के महीने में इसे मनाया जाता है। जैन धर्म की मान्यता के अनुसार इस पर्व के दौरान देवता भी स्वर्ग से आकर नंदीश्वर द्वीप में स्थित अकृत्रिम चैत्यालयों, मंदिरों में निरंतर आठों दिन भगवान की भक्ति करते हैं।

जिसकी महिमा को देखते हुए, चैबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी को समर्पित इस उत्सव में सभी जैन मंदिरों में विशेष अनुष्ठान और जाप किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में डी.डी.नगर स्थित 1008 श्री वासुपूज्य दिगंबर जैन मंदिर में आदिश्वर महिला मंडला की ओर से प्रतिदिन रात्रिकालीन विभिन्न स्त्रोत पाठ का आयोजन किया जा रहा है जो आठ दिनों तक अनवरत जारी रहेगा। रोज़ाना होने वाले इस स्त्रोत पाठ में श्री भक्तामर स्त्रोत, श्री कल्याण मंदिर स्त्रोत, श्री वर्धमान स्त्रोत, श्री शांतिनाथ स्त्रोत, श्री नंदीश्वर भक्ति पाठ, छहढाला पाठ, येकीभाव स्त्रोत सहित स्त्रोत का पाठ भक्तिभाव पूर्वक किया जा रहा है। इस पाठ में समाज के पवन सेठी, अंकुर जैन, बर्षा जैन सिंघई, श्रृद्धा जैन, डाॅ. मंजुला जैन, रिचा जैन, मीना जैन, अदिति जैन, माधुरी जैन, अमिता संघी सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहते हैं।

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