आमजनों में विकसित हो नगर निगम को दान देने की प्रवृत्ति
रायपुर (विश्व परिवार)। नगर निगम रायपुर को सभी मुक्तिधामों में अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी की निशुल्क व्यवस्था करनी चाहिए। इसके लिए पांच करोड़ रुपये का वार्षिक खर्च आएगा। इसकी व्यवस्था नगर निगम के कुल बजट में से आसानी से की जा सकती है। इसके लिए राजधानी रायपुर की किसी भी कंपनी अथवा कारपोरेट को सालाना मदद के लिए राजी किया जा सकता है। महाराष्ट्र मंडल के अध्यक्ष अजय मधुकर काले ने महापौर- पाषदों के अभिनंदन समारोह में अध्यक्षीय संबोधन के दौरान इस आशय के विचार व्यक्त किए।
काले ने कहा कि रायपुर में निजी क्षेत्र की कोई भी कंपनी अथवा कारपोरेट के लिए पांच करोड़ रुपये की मदद सामान्य सी बात है। वे इसे सीएसआर फंड से भी दे सकते हैं। काले ने कहा कि यदि नगर निगम लोगों की मदद के लिए यह कदम उठाता है, तो आमजनों को भी नगर निगम की मदद करने की प्रेरणा मिलेगी। बड़ी संख्या में लोग इस पुण्य कार्य के लिए अपनी आर्थिक क्षमता के अनुसार सहायता देने स्वयं आगे आएंगे। संभव तो यह भी है कि शहर के अनेक सामाजिक संगठन, समाजसेवी संस्थाएं भी निशुल्क अंतिम संस्कार लकड़ी योजना में अपनी भागीदारी निभाएं।
मंडल अध्यक्ष ने कहा कि हम चाहें तो नगर निगम का सहयोग करने के लिए मुक्तिधामों में अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी और गोबर के कंडों का दान लेने की योजना पर भी कार्य कर सकते हैं। निःसंदेह यह समाजसेवा का बड़ा काम होगा और शोकाकुल परिवार पर अतिरिक्त बोझ नहीं आएगा। यह सुझाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि हर बार लोग हाथ उठाकर आर्थिक मदद करने की स्थिति में नहीं रहते। काले ने कहा कि शुरुआती वर्षों में नगर निगम इस योजना को क्रियान्वित करने के लिए स्वयं लगभग पांच करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित करे, ताकि बाद में उसे मददगार ढूंढने में आसानी हो। बताते चलें कि इस कार्यक्रम में ही महापौर मीनल चौबे ने काले के सुझाव पर गंभीरता से काम करने की बात कही। उन्होंने कहा कि नगर निगम इस योजना को अमल में लाने से पहले अधिकारियों से पूरी प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाकर उस पर मंथन करेगा।
काले ने कहा कि हम सभी को हिंदू नववर्ष धूमधाम से मनाया चाहिए। इस दिन शासकीय अवकाश घोषित कर सरकार की ओर से बड़े आयोजन करने चाहिए। हिंदू नववर्ष यानी गुड़ीपाड़वा पर बड़े आयोजनों से हम भावी पीढ़ी को अपने संस्कारों की धरोहर भेंट दे सकेंगे। इस आशय की मांग हमने पहले भी मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से की है। उन्होंने भी इस मांग पर गंभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया है।