जैन युवा वर्ग ने मुनि पुगंवश्री सुधा सागर जी महाराज को श्री फल भेंट किए
सागर में दस दिसंबर से होगा पंच कल्याणक महोत्सव –विजय धुर्रा
सागर(विश्व परिवार)। सभी लोगों को अपने पैतृक गांव को नहीं छोड़ना चाहिए। जहां से तुम्हारे पूर्वजों की शुरुआत हुई है, वहां की बहुत बड़ी एनर्जी होती है। जब तुम माँ के गर्भ में थे तो माँ ने उन्ही भगवान के सामने प्रार्थना की थी कि मेरा बच्चा सकुशल हो, वे वर्गणाएँ वहाँ अभी भी विद्यमान है, जैसे ही तुम वहां पहुंचोगे, तैसे ही वे वर्गणाये तुम्हें वरदान सिद्ध हो जाएगी। आज सम्मेदशिखर से अजितनाथ भगवान को मोक्ष गए हजारों साल हो गए, फिर भी उनकी वर्गणाये आज भी विद्यमान है और उस पर से हमारे अंदर भी परिवर्तन आता है जब भी कोई कार्यक्रम हो, पहला श्रीफल अपने पैतृक गांव भेजो, मकान का नागल, गाड़ी की पूजा, अपने बच्चें का मुंडन वहाँ कराओ तो तुम्हें वही आशीर्वाद मिलेगा जो तुम्हारी पिता और दादाओ का मिलता था बाकी आस पास के सभी लोगों को मिलकर एक दिन उस गांव में जाना चाहिए, पूरे गांव में जुलूस निकालों, सामूहिक विधान करो, स्वयं भोज करो, शक्ति हो तो गांव वालों को कराओ, तुम्हारें पूर्वजों ने उसे मंदिर बनाया था, तुम्हारी इस परंपरा से वो एक दिन तीर्थ बन जाएगा उक्त आश्य केउद्गार वर्णी भवन मोराजी में जिज्ञासा समाधान को सम्बोधित करते हुए मुनि पुंगव श्रीसुधासागरजी महाराज ने व्यक्त किए।
दस दिसंबर से पंद्रह दिसंबर तक होगा पंच कल्याणक महा महोत्सव –विजय धुर्रा
सागर से लौटकर मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा ने बताया कि जैन युवा वर्ग प्रमुख सुलभ अखाई सचिन एन एस अभिषेक ठेकेदार आर जे जैन सुनील जैन घेलू आनंद ठेकेदार राजमल विजयपुरा सहित अन्य भक्तों ने श्री फल भेंट कर शुभ आशीर्वाद प्राप्त किया सागर में आगामी दस दिसंबर से भाग्योदय तीर्थ सागर में परम पूज्य आध्यात्मिक संत निर्यापक श्रमण मुनि पुंगव श्रीसुधासागरजी महाराज के सान्निध्य में प्रतिष्ठा चार्य प्रदीप भ इया के निर्देशन में घटयात्रा के साथ पंच कल्याणक महा महोत्सव होगा इसके साथ ही भगवान का जन्म कल्याणक पर प्रभु को ऐरावत हाथी पर पांडूक शिला पर लेजाकर भगवान के कलशाभिषेक होंगे अगले दिनों में तप ज्ञान और प्रभु का निर्वाण कल्याणक महोत्सव मनाया जायेगा चौधरवाई मन्दिर में विराजमान 625 वर्ष प्राचीन जिनालय में स्थापित 550 वर्ष प्राचीन जिनबिम्बों का जीर्णोद्धार कर वज्रलेप उपरांत महोत्सव में प्रतिष्ठा के साथ कालोनी स्थित नवीन मन्दिर की प्रतिष्ठा होगी
जितने गंधोदक की खपत हो उतना ही बनाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि गंधोदक की जितनी खपत हो, उतना ही बनाना चाहिए, गंधोदक को विसर्जन करने का आगम में कोई उल्लेख नही, कितना पाप होता है जिसको तुम सिर पर धारण करते हो, उसको गमले में, माटी में, छत पर डालते हो, फिर भी बड़े कार्यक्रम में बचता है तो अच्छी मिट्टी आदि में जहाँ सुख जाए, डाल सकते हैं महिलाएं यही नियम ले ले तो वह अगली पर्याय, पुरुष पर्याय पायेंगी कि हम भोजन तभी करेंगे, जब हमारे घर के लोग भगवान का अभिषेक करके हमें गंधोदक देंगे।
सभी पापों में सापेक्ष का अर्थ है कि यह पाप उसने किसलिए किया है, यदि उसका अभिप्राय अच्छा है तो वह हिंसा भी ठीक है जैसे धर्म की रक्षा के लिए दुश्मन को मारना, गाय को बचाने के लिए झूठ बोलना।