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सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चारित्र, घ्यान रूपी तप से कर्मों को नष्ट कर सिद्ध अवस्था प्राप्त की जाती है – आचार्य श्री वर्धमान सागर जी

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पारसोला(विश्व परिवार)। जैन धर्म प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ से लेकर अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी तक तीर्थंकरों द्वारा गणधर केवली के माध्यम से प्रतिपादित जिनवाणी जिनधर्म है । जैन धर्म में अनेक पर्व महोत्सव आते हैं जिसमें भक्त भक्ति पूर्वक अपनी मनोभाव उत्कृष्ट मनोभावना से प्रगट कर भक्ति करते हैं। चातुर्मास कलश का निस्ठापन आज हुआ है सर्वतोभद्र विधान में शांति की मंगल भावना के साथ मंत्रोच्चार पूर्वक हवन कर विश्व में राजा ,प्रजा सब खुश रहे व्याधि बीमारी नहीं हो इस प्रकार सुख-शांति की मंगल भावना की गई है। यह मंगल देशना आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज ने सर्वोतोभद्र महामंडल विधान के समापन अवसर पर उपस्थित धर्म सभा में प्रकट की । ब्रह्मचारी गज्जू भैया राजेश पंचोलिया अनुसार आचार्य श्री ने प्रवचन में आगे बताया कि नगर के सभी जिनालयों के भगवान के आशीर्वाद तथा प्रथमाचार्य श्री शांति सागर जी से लेकर चतुर्थ पट्टाचार्य श्री अजीत सागर जी सहित पूर्वाचायों के आशीर्वाद से सर्वतोभद्र विधान में तीनों लोकों के 170 आठ करोड़ अकृत्रिम जिनालयों में 925 करोड़ से अधिक नव देवताओं ,पंच परमेष्ठी तथा सिद्ध परमेष्ठी की आराधना आपने पूजन के माध्यम से की है। भव्य आत्मा सम्यक दर्शन सम्यक ज्ञान और सम्यक चारित्र को घ्यान रूपी तप से सभी कर्मों को नष्ट कर सिद्ध अवस्था को प्राप्त करते हैं ।इन विधान में सिद्ध प्ररमेष्ठी की भी अपने पूजन की है। जयंतीलाल कोठारी अध्यक्ष दशा हूंमड समाज एवं ऋषभ पचौरी अध्यक्ष वर्षायोग समिति अनुसार धर्म देशना के पूर्व जुलूस के माध्यम से आचार्य श्री के 56 वे चातुर्मास कलश स्थापना के मंगल कलश धर्म सभा में ले गए जहां विधिपूर्वक उनका निस्ठापन कर हवन और धर्म सभा के पश्चात जुलूस के माध्यम से सौभाग्यशाली परिवारों के निवास पर मंगल कलश ले गये इसके पश्चात आचार्य संघ की आहार चर्या हुई। अहमदाबाद के राजेश बी शाह एवं सुनील मेहता ने उपस्थित होकर 52 जिनालयों के नव निर्माण हेतु 15 दिसंबर 2024 को शिलान्यास कार्यक्रम हेतु आचार्य श्री वर्धमान सागर जी को संघ सहित आमंत्रित किया। घरियाबाद श्री समाज के द्वारा उपस्थित होकर अनंत व्रत उद्यापन कार्यक्रम हेतु आचार्य श्री संघ को आमंत्रण दिया गया। आचार्य श्री के चरण प्रक्षालन ऋषभ पचोरी पारसोला द्वारा किए गए तथा जिनवाणी राजेश बी शाह, सुनील कासलीवाल अहमदाबाद द्वारा दी गई।

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