सिंगापुर(विश्व परिवार)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिंगापुर की दो दिवसीय यात्रा पर हैं। बुधवार को वहां पहुंचने पर उन्हें भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान उन्होंने सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग से मुलाकात की और कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। यह यात्रा भारत के लिए खास मानी जा रही है, क्योंकि इस दौरान दोनों देशों के बीच सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम सहित 4 अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। भारत के एक्ट ईस्ट पॉलिसी के लिहाज से यह दौरा बेहद अहम माना जा रहा है।
सिंगापुर के संसद पहुंचे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग से संसद में मुलाकात की।वोंग ने पीएम मोदी का संसद गर्मजोशी से स्वागत किया। मोदी ने वोंग से कहा, “जब से आपने प्रधानमंत्री पद संभाला है यह हमारी पहली मुलाकात है । सिंगापुर केवल एक मित्र राष्ट्र ही नहीं, बल्कि हर विकासशील देश के लिए प्रेरणा है। भारत में भी हम कई सिंगापुर बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।”
दोनों नेताओं के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत
प्रधानमंत्री मोदी और लॉरेंस वोंग ने गुरुवार को प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत की। इस बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की उपस्थिति में संसद में विभिन्न समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें सेमीकंडक्टर और कौशल विकास प्रमुख क्षेत्र रहे।
सिंगापुर के राष्ट्रपति के साथ भी होगी बैठक
प्रधानमंत्री मोदी आज सिंगापुर के राष्ट्रपति थरमन शनमुगरत्नम से मुलाकात करेंगे। इसके अलावा, वे सिंगापुर के वरिष्ठ मंत्रियों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों से भी बातचीत करेंगे। इस मुलाकात के बाद, पीएम मोदी सिंगापुर के प्रधानमंत्री के साथ AEM सेमीकंडक्टर सुविधा का दौरा करेंगे और वहां के सीईओ से भी मुलाकात करेंगे।
सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम पर भारत-सिंगापुर समझौता
पीएम मोदी ने अपनी यात्रा के दूसरे दिन सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग के साथ डेलीगेशन स्तर की वार्ता की। इस दौरान सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में विशेष समझौते पर हस्ताक्षर हुए। सिंगापुर पिछले कुछ दशकों में ग्लोबल सेमीकंडक्टर वैल्यू चेन (Global Semiconductor Value Chain) में अपनी खास जगह बना चुका है। इस क्षेत्र में निवेश करते हुए, सिंगापुर ने विश्वविद्यालयों में सेमीकंडक्टर के लिए विशेष कोर्स भी शुरू किए हैं। यह समझौता दोनों देशों के बीच तकनीकी सहयोग को और मजबूत बनाएगा।
The discussions with my friend, PM Lawrence Wong continued today. Our talks focused on boosting cooperation in areas like skilling, technology, healthcare, AI and more. We both agreed on the need to boost trade relations. @LawrenceWongST pic.twitter.com/FOSxXQOI3u
— Narendra Modi (@narendramodi) September 5, 2024
भारत और सिंगापुर के बीच हुए ये 4 अहम समझौते
सेमीकंडक्टर उद्योग में सहयोग: भारत और सिंगापुर ने सेमीकंडक्टर डिज़ाइनिंग, मैन्युफैक्चरिंग और क्लस्टर विकास के लिए सहयोग करने का निर्णय लिया। यह समझौता सेमीकंडक्टर क्षेत्र में दोनों देशों की क्षमताओं को बढ़ाने और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने के उद्देश्य से किया गया है।
डिजिटल तकनीक: डिजिटल क्षेत्र में भी सहयोग पर समझौता हुआ है। इसके तहत दोनों देश डिजिटल टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में मिलकर काम करेंगे।
स्वास्थ्य सहयोग: स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक समझौता हुआ है, जिसके तहत स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में वृद्धि और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का समाधान मिलकर करने का लक्ष्य रखा गया है।
कौशल विकास: दोनों देशों ने कौशल विकास के क्षेत्र में भी समझौता किया है। इसके तहत युवाओं को नई तकनीक और उभरते हुए उद्योगों में आवश्यक कौशल प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
भारत की Act East Policy में सिंगापुर की अहम भूमिका
पीएम मोदी की यह यात्रा भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी (Act East Policy) के तहत हो रही है। यह नीति नवंबर 2014 में ASEAN-India समिट के दौरान शुरू की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर में रणनीतिक साझेदारियां बनाना है। इस यात्रा के दौरान दक्षिण चीन सागर और म्यांमार जैसे क्षेत्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगी। सिंगापुर, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और यह यात्रा दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत बनाएगी।
सिंगापुर और भारत के बीच व्यापारिक रिश्ते
सिंगापुर भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और ASEAN देशों के बीच इसका अहम स्थान है। दुनिया भर में सिंगापुर भारत का छठा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। इसके अलावा, सिंगापुर से आने वाला विदेशी निवेश (FDI) भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट (Foreign Direct Investment) के मामले में सिंगापुर भारत के लिए सबसे बड़े स्रोतों में से एक है। इस यात्रा के दौरान व्यापार और निवेश से संबंधित मुद्दों पर भी प्रमुखता से चर्चा हुई।
दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ रणनीति
दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती समुद्री क्षमताओं को देखते हुए भारत की यह यात्रा रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। चीन लगातार इस क्षेत्र में अपना दबदबा बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, जिससे कई देशों के साथ उसके विवाद चल रहे हैं। दक्षिण चीन सागर विवाद (South China Sea Dispute) के चलते इस क्षेत्र में शांति भंग हो रही है। ऐसे में पीएम मोदी की यह यात्रा भारत की समुद्री सुरक्षा और रणनीतिक साझेदारियों को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाएगी।
जानें, पीएम मोदी का सिंगापुर दौरा क्यों माना जा रहा अहम
पीएम मोदी की यह यात्रा क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व की है। यह भारत के व्यापारिक और रणनीतिक हितों के लिहाज से महत्वपूर्ण है। सिंगापुर से हो रहे समझौते, विशेष रूप से सेमीकंडक्टर (Semiconductor Ecosystem) में आने वाले समय में भारत की स्थिति को मजबूत करेंगे। इस दौरे के दौरान पीएम मोदी ने सिंगापुर के बड़े उद्योगपतियों र प्रमुख कंपनियों के CEOs से मुलाकात की, जिससे द्विपक्षीय सहयोग और निवेश को और अधिक बढ़ावा मिलेगा।