Home धर्म राजधानी दिल्ली में गूंजी भावलिंगी संत की प्राध्या आध्यात्मिक गूंज

राजधानी दिल्ली में गूंजी भावलिंगी संत की प्राध्या आध्यात्मिक गूंज

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दिल्ली(विश्व परिवार)। जोदर्श महाकवि भावनिगी संत रोष्ट्योगी श्रमणाचार्य श्री विमर्शसागर जी महामुनिराज के पादमूल में बैठकर युग की डॉ. कुमार विश्वास ने किया आध्यात्मिक काव्य पाठ।
स्वर्णिम विमर्श उत्सव समापन के साथ हो रहीं भगवती जिनदीक्षा महा महोत्सव में आज 14 नवम्बर, गुरुवार को दोपहर की मध्य बेला में अद्‌भुत अन्नूठा संगम देखने को प्राप्त हुआ। जहाँ आदर्श महाकवि भावलिंगी संत आचार्य श्री 108 विमर्श सागर जी महामुनिराज अपने विशाल चतुर्विध संध के साथ विराजमान थे। गुरुदेव के ही समीपस्थ आचार्य विनीत सागर जी एवं आर्यिका विदक्षा श्री मालाजी अपने संघ के साथ उपस्थित थे, वहीं युग कवि डॉ. कुमार विश्वास भी अपने कवि साथियों के साथ समुपस्थित रहे। आदर्श महाकवि आचार्य गुरुदेव के श्री पावन चरणों में युग कवि के साथ-साथ डॉ. सरिता शर्मा, सुधीरभोता, बुद्धि दधीचि एवं पीयूष मालवीय आदि कवियों ने अपनी कविताओं को समर्पित कर अपनी कविताओं एवं लेखनी की तीर्थयात्रा कराई। (आचार्य श्री ने अपनी मौलिक रचनाओं की सुवृहद्ध वरंखला में कहा- धन भोग में मदहोश हो रहा है आदमी। जाने क्यों अपना होश खो रहा है आदमी ॥ दो पल को भी सुकून नहीं कोल्हू का बैल है।
लगता है जिंदगी को ढो रहा है आदमी ॥ डॉ. कुमार विश्वास आचार्य गुरुदेव के चरणों में हुए नत-मस्तक (आदर्श महाकवि भाव लिंगी इयंत आचार्य श्री विमर्श सागर जी महामुनिराज की अद्‌भुत आश्चर्यकारी अभूतपूर्व मौलिक रचनाभों को सुनकर डॉ. कुमार विश्वास के साथ हजारों की सुविशाल संख्या में समुपस्थित भक्त समुदाय नतमस्तक हो गया। हर कण्ठ से मात्र आचार्य श्री एवं उनकी रचनाओं की ही प्रशंसा की जा रही थी। सध्या बैला में चातुमति स्थल कृष्णानगर से जिनतीर्थ मण्डपम् CBD ग्राउण्ड तक सभी दीक्षार्थियों की महाविनौली यात्रा राजधानी के मुख्य मार्गों से होते हुए अन्तिम विनौली यात्रा के रूप में निकाली गयी। जिनतीर्थ महाविनौली यात्रा की सम्पूर्णता पर जिनतीथ मण्डपम् में विशाल जनसमुदाय के मध्य वृहद स्तर पर आचार्य गुरुदेव विमर्श सागर जी महामुनिराज के जीवन से संबंधित आकाशीय चलचित्र 500 ड्रोन शो के द्वारा दिखाया गया ।

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