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आगम की रक्षा करना आत्म कर्तव्य : – गणिनी आर्यिका विज्ञाश्री माताजी आर्यिका संघ की शहर के मंदिरों की वंदना

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पद्मनाभ नगर (विश्व परिवार)। प. पू. सहस्रकूट विज्ञातीर्थ प्रणेत्री श्रमणी गणिनी आर्यिका गुरु मां विज्ञाश्री माताजी ससंघ पद्मनाभ नगर मे माताजी के मुखारविंद से अभिषेक शांतिधारा संपन्न हुई। तत्पश्चात माताजी की मंगल उद्बोधन देते हुए कहा कि – आज के समय में व्यक्ति जो पाप जोड़ने के साधन है परिवार , पदार्थ , प्रतिष्ठा को तो बचाने का प्रयास करता है परन्तु परमात्मा , परमात्मा की वाणी व परमात्मा के पद चिन्हों पर चलने वाले है अर्थात जो सच्चे देव शास्त्र गुरू है उनकी रक्षा का दायित्व कोई नहीं संभालता । उनके संरक्षण के लिए कोई कोशिश या प्रयास नहीं किया जाता। हमारे पूर्वाचार्यों ने हमें इतनी अनमोल धरोहर दी है । तीर्थंकर भगवान की वाणी को हम तक पहुंचाया है हमें उसे बचाने का संकल्प करना चाहिए । हमारे मंदिरों में जो जिनवाणी खराब हो गई उन्हें सुधारने का प्रयत्न करना चाहिए । जब हम आगम की रक्षा करेंगे वह हमारी आत्मा की रक्षा करेंगे। जिनवाणी के एक पन्ने को फाड़ने से एक मंदिर तोड़ने के बराबर पाप लगता है और उसको सही करने से एक मंदिर बनाने का पुण्य मिलता है । अतः सभी को श्रुत की रक्षा का प्रण ग्रहण करना चाहिए जिससे जिनेन्द्र की वाणी को जन जन तक पहुंचाया जा सकें। इस अवसर पर अध्यक्ष पी सी सेठी वरिष्ठ अधिवक्ता समाज सेवी एडवोकेट कल्पना गोहिल एडवोकेट पुष्पेंद्र जैन अनिल जैन डॉ मनोज जैन संजय जैन विमल मोदी महिला मंडल सुनीता जैन मंजू चंचल सेठी संजना जैन कीर्ति सहित अनेक लोग मौजूद थे। प्रवक्ता अंशुल जैन ने बताया आर्यिका संघ का निरंतर राजधानी के मंदिरों में दर्शन हेतु पद विहार हो रहा है इसी तारतम्य में 19 जून गुरुवार को अहिंसा विहार के लिए पद विहार होगा आशीष वचन ओर आहार चर्या सम्पन्न होगी।

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