एमजी रोड स्थित श्री जैन दादाबाड़ी में विशेष प्रवचन श्रृंखला
रायपुर (विश्व परिवार)।। राग का त्याग करें। त्याग का राग रखें। यही संयम जीवन का सार है। व्यक्ति संसार में रहकर चाहता है कि दुख न हो। भला बिना छेद वाली चलनी भी कहीं मिलती है? जैसे छेद बिना चलनी नहीं हो सकती, वैसे ही दुख बिना इस संसार करी कल्पना बेकार है। जहां संयोग है, वहां वियोग भी तय है। योग-वियोग से ऊपर मोक्ष को अपनी आत्मा का परम लक्ष्य बनाइए। असल आनंद इसी में छिपा है।
एमजी रोड स्थित श्री जैन दादाबाड़ी में चल रही विशेष प्रवचन श्रृंखला में सोमवार को श्री विराग मुनि ने ये बातें कही। उन्होंने कहा कि बैंक बैलेंस में आगे जितना शून्य लगता जाएगा, जीवन में उतनी ही ज्यादा शून्यता आती जाएगी। जीवन में अगर आप अवसर तलाश रहे हैं, तो सबसे पहले उस शब्द को समझिए जिसकी तलाश में हैं। अवसर कहता है अब सर। यानी जन्म-मरण के चक्र से आगे बढ़। व्यक्ति के जीवन की 4 स्थितियां समझाते हुए मुनिश्री ने कहा, एक मक्खी होती है जो शक्कर पर बैठती है। मीठे का आनंद भी लेती है और समय आने पर उड़ भी जाती है। तीर्थंकरों की आत्माएं इसी श्रेणी की हैं। दूसरी मक्खी जो पत्थर पर बैठती है। न कोई आनंद, न कोई बंधन। पूरी तरह स्वतंत्र। ये श्रेणी चारित्र अपनाने वालों की होती है। तीसरी श्रेणी की मक्खी शहद पर बैठती है। शहद का आनंद तो लेती है, पर उससे इस तरह चिपकती है कि फिर चाहकर भी उड़ नहीं पाती। बहुतेरे जीव इसी स्थिति में हैं। चौथी श्रेणी की मक्खी या जीव हम उस आत्मा को मान सकते हैं जो जीते जी भी दुख पाती है और मरने के बाद भी नाना प्रकार की यातनाएं सहनी पड़ती हैं। पहली श्रेणी में जाने लायक जीव इस काल में तो कोई नहीं है। चारित्र अपनाकर हम दूसरी श्रेणी की आत्मा बन सकते हैं, जो न तो भोग-विषयों में लिप्त है, न ही किसी तरह से परतंत्र है। तीसरी और चौथी श्रेणी की आत्मा तो अनंतकाल से है और अनादिकाल भी बने रहेंगे, अगर अभी खुद में सुधार कर आत्मशुद्धि नहीं की।
निकिता चलेंगी संयम पथ पर, दीक्षा के
लिए निकाला 23 नवंबर का शुभ मुहूर्त
राजस्थान के पानी में रहने वाली मुमुक्षु निकिता कटारिया दीक्षा लेने जा रहीं हैं। सोमवार को एमजी रोड स्थित श्री जैन दादाबाड़ी में इसके लिए मुहूर्त निकाला गया। गुरुवर श्री विनय कुशल मुनि म.सा. ने दीक्षा के लिए 23 नवंबर की तारीख नियत की है। इसी दिन 2 अन्य मुमुक्षुओं अरिहंतम बुरड़ और नीलेश मेहता की भी दीक्षा होनी है। इस तरह दादाबाड़ी की पावन धरा पर एकसाथ तीन दीक्षाएं संपन्न होने जा रहीं हैं। इस महोत्सव को लेकर पूरा समाज खासा उत्साहित है। श्री ऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट, आत्मस्पर्शीय चातुर्मास समिति के साथ उपधान तप का लाभार्थी मुकेश, राकेश, राजेश बुरड़ परिवार इसे ऐतिहासिक और भव्य बनाने के लिए तन, मन, धन के साथ तैयारियों में जुट गया है।
ऐसे उदाहरण बिड़ले ही… संयम खुद
तो ले रहे, दूसरे की बाधा भी दूर की
धर्मसभा में मुमुक्षु निकिता कटारिया ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने बताया कि पहले भी एक बार दीक्षा लेने की इच्छा जताई थी। योग-संयोग ऐसे बने कि दीक्षा लेना दूर, पारिवारिक कारणों से 2 साल तक प्रवचन-सत्संग भी छूट गया। हालांकि, इसके बाद भी मन में लगातार चारित्र अपनाने के विचार चलते रहे। इस बीच उपधान तप में शामिल होने का मौका मिला। इससे मन के भीतर संयम की भावना और भी बलवती हो उठी। घर की लाडली होने की वजह से परिवारवाले थोड़े चिंतित थे। कुछ समय और रूकने कह रहे थे। इस बीच उनकी मुमुक्षु अरिहंत बुरड़ से मुलाकात हुई। उन्हें संयम लेने की इच्छा के बारे में बताया। इसके बाद उन्होंने खुद मेरे माता-पिता से बात कर उन्हें ऐसे कन्विंस किया कि इस बार वे मना नहीं कर पाए। दीक्षा के लिए हजां कर दी। आखिर में निकिता ने दीक्षा का स्पव्र पूरा होने पर अपनी गुरुवर्या, माता-पिता के साथ अरिहंत बुरड़ का भी आभार माना।
मुमुक्षु के साथ श्रीसंघ ने पाली से
आए पूरे परिवार का सम्मान किया
आत्मस्पर्शीय चातुर्मास समिति के अध्यक्ष पारस पारख, महासचिव नरेश बुरड़ और कोषाध्यक्ष अनिल दुग्गड़ ने बताया कि दीक्षा मुहुर्त के मंगल अवसर पर राजस्थान के पाली से मुमुक्षु निकिता के परिवारवाले भी दादाबाड़ी पहुंचे थे। ऐसी वीर धर्मानुरागी पुत्री के माता-पिता के साथ उनके पूरे परिवार को श्रीसंघ की ओर से सम्मानित किया गया। संघ की ओर से ऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया, कार्यकारी अध्यक्ष अभय भंसाली, ट्रस्टी नरेश बैदमुथा, हेमू गोलछा व समाज के अन्य सदस्यों ने शॉल-श्रीफल भेंटकर सभी का बहुमान किया। इस मौके पर समाज की महिला मंडल ने छत्तीसगढ़ में नाटक प्रस्तुत किया। इसमें उपधान तप की बारीकियां बहुत अच्छे और सरल तरीके से समझाई गई। हल्का-फुल्का हास्य पुट लिए इस नाटक ने लोगों को खूब गुदगुदाया और आखिर में बड़ा