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आचार्य श्री वीर सागर जी महाराज का समाधि दिवस आचार्य संघ सानिध्य में भक्ति भाव पूर्वक मनाया गया आचार्य शांति सागर जी शताब्दी महोत्सव पत्रिका का विमोचन आचार्य संघ सानिध्य में संपन्न हुआ

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पारसोला(विश्व परिवार)। पंचमपट्टाघीश ,वात्सल्यवारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी अपने 35 साधुओं सहित पारसोला में विराजित है आज प्रथमाचार्य श्री शांति सागर जी महाराज के प्रथम मुनि शिष्य आचार्य वीर सागर जी महाराज का समाधि दिवस भक्ति भावपूर्वक विशेष पूजन अर्चन कर मनाया गया। इस अवसर पर आयोजित गुणानुवाद सभा में आचार्य श्री ने धर्म सभा में बताया किभगवान आदिनाथ से लेकर महावीर स्वामी 24 तीर्थंकरों ने जिन धर्म का प्रवर्तन किया है आज तीर्थंकरों के कारण जैन धर्म और जिनवाणी सुलभ है 20वीं सदी में श्रमण संस्कृति का अभाव सा हो गया था शास्त्र अनुसार मुनिराजो की चर्या नहीं थी, आचार्य शांति सागर जी महाराज ने शास्त्रोंक्त विधि से मुनिधर्म का पालन कर अनुकरणीय आदर्श प्रस्तुत किया। भारत देश पर विदेशी शासन रहा जैन धर्म के अहिंसा सत्याग्रह के सिद्धांत के आधार पर महात्मा गांधी जी ने देश को आजाद कराया 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री दोनों का जन्मदिन है इन्होंने अहिंसा के सिद्धांतों से देश को आजाद करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
इसी प्रकार अंग्रेजी और मुस्लिम शासनकाल पर जब-जब जैन धर्म पर संकट आया तब प्राचीन 400 वर्ष पुराने मुनि श्री विद्यासागर जी ने अपने तप सिद्धी साधना के बल पर जैन धर्म का संकट दूर किया। इसी प्रकार जैन मंदिरों पर जब विजातीय प्रवेश हुआ तब आचार्य शांति सागर जी ने जैन मंदिरों का और जिनवाणी का संरक्षण अपने प्रेरणा से कराया।
ब्रह्मचारी गजु भैया एवं राजेश पंचोलिया अनुसार आचार्य श्री ने प्रवचन में आगे बताया कि
आश्विन कृष्ण अमावस्या के दिन प्रथमाचार्य श्री शांति सागर जी महाराज के प्रथम मुनि शिष्य वीर सागर जी का समाधि दिवस है उनके साथ आचार्य पाय सागर जी का भी समाधि दिवस है आचार्य शांति सागर जी के आचार्य पद को जहां 100 वर्ष पूर्ण हुए हैं वहीं मुनि वीर सागर जी मुनि नेमीसागर जी , चंद्र सागर जीमहाराज, आर्यिका चंद्र मतिमाताजी की भी दीक्षा को 100 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं ‌आचार्य, गुरु दूर दृष्टि होते हैं वह शिष्यों की योग्यता और गुण देखकर ही दीक्षा देते हैं ।आचार्य वीर सागर जी महाराज के अनेक शिष्य आचार्य शिवसागर जी ,आचार्य धर्मसागर जी, श्री श्रुत सागरजी आर्यिका ज्ञान मति, श्री सुपार्श्वमति आदि अनेक योग्य शिष्यों ने अनेक दीक्षा, सैकड़ों जिनवाणी ग्रंथों की रचना और तीर्थंकरों की पंच कल्याणक स्थली का प्रेरणा देकर निर्माण कराया ‌। आचार्य श्री के प्रवचन के पूर्व आ देशना मतिऔर आ विनम्रमति जी ने भी आचार्य शांति सागर जी आचार्य वीर सागर जी का गुणानुवाद किया‌। आचार्य श्री वीर सागर जी, आचार्य श्री वर्धमान सागर जी की पूजन आर्यिका श्री महायशमति जी ने कराई ‌
प्रथम आचार्य श्री शांति सागर जी महाराज का आचार्य शताब्दी महोत्सव आगामी 13 से 15 अक्टूबर तक पारसोला में संपन्न होना है उसकी आमंत्रण पत्रिका का विमोचन बाहर से पधारे ब्रह्मचारी गज्जू भैया, सनत जैन इंदौर राजेश पंचोलिया इंदौर किशनगढ़ के विजय काशली वाल कमेटी के जयंतीलाल कोठारी ऋषभ पचौरी प्रवीण जैन आदि ने किया।

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