नवापारा राजिम (विश्व परिवार)। चर्या शिरोमणि परमपूज्य गुरुवर आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महामुनिराज के प्रभावक शिष्य छत्तीसगढ़ गौरव श्रमण मुनि श्री सुयश सागर जी महाराज एवं क्षुल्लक श्री श्रेय सागर जी महाराज के मंगलमय सानिध्य में त्रिदिवसीय समवशरण विधान एवं मुख्य बेदी शिलान्यास का आयोजन दिगम्बर जैन समाज द्वारा किया गया । जिसमें सामाजिक जनों ने अपनी सहभागिता प्रदान की । तृतीय दिवस पर हवन कर पूर्णाहुति की गई । इसके पश्चात नव निर्माणाधीन जिनालय के प्रथम तल पर मूलनायक भगवान शांति नाथ को विराजमान करने का सौभाग्य श्री राजकुमार प्रतिभा जी, पीयूष स्वाति जी एवं पंकज श्रद्धा जी परिवार को प्राप्त हुआ । मूलनायक भगवान की बेदी निर्मित करवाने का सौभाग्य श्री सनत कविता जी एवं साकेत अनुष्का चौधरी परिवार को प्राप्त हुआ। द्वितीय मंजिल पर मूलनायक भगवान श्री आदिनाथ जी को विराजमान करने का सौभाग्य मनोज सुनंदा , अनिल नंदिता जी एवं जयकुमार ज्योति जी परिवार को प्राप्त हुआ । भगवान बाहुबली को विराजमान करने का सौभाग्य किशोर अनीता जी एवं अमित शिल्पा जी परिवार को तथा भरत भगवान विराजमान करने का सौभाग्य सुरित ममता एवं समीर निकिता जी परिवार को प्राप्त हुआ । त्रय भगवन की बेदी निर्मित करवाने का सौभाग्य कंचन देवी, आशीष मोनिका एवं नीरज श्वेता गंगवाल परिवार को प्राप्त हुआ । प्रथम तल पर भव्य मुख्य द्वार निर्माण करवाने का सौभाग्य ममता, आशीष सुप्रिया चौधरी को तथा द्वितीय मंजिल पर भव्य मुख्य द्वार निर्मित करवाने का सौभाग्य रमेश शकुनजी, स्वप्निल नेहा जी एवं स्वपन स्वीटी चौधरी परिवार को प्राप्त हुआ ।
इसी क्रम में नव निर्माणाधीन जिनालय में भव्य चौबीसी विराजमान करने के पुण्यार्जक परिवार आदिनाथ – योगेश रांवका, अजितनाथ सनत चौधरी, संभव नाथ रमेश पहाड़िया, अभिनन्दन नाथ, रवि जैन, सुमति नाथ सूरज नाहर, पद्म प्रभु विनय सिंघई, सुपार्श्वनाथ राजकुमार जैन, चंदा प्रभु नरेंद्र चौधरी, पुष्पदंत आशीष नीरज गंगवाल, शीतलनाथ अनिल चौधरी, श्रेयांश नाथ वैभव चौधरी, वासुपूज्य राकेश चौधरी, विमलनाथ सुधीर सिंघई, अनंतनाथ ममता चौधरी, धर्मनाथ अनुराग जैन, शांतिनाथ रविन्द्र सिंघई, कुंथुनाथ गजेंद्र सिंघई, अरह नाथ रमेश रावका, मल्लीनाथ निर्मल नाहर, मुनि सुव्रत नाथ किशोर सिंघई, नमि नाथ विनोदजैन, नेमी नाथ शशि जैन पार्श्वनाथ निर्मल चौधरी, महावीर अम्बर सिंघई परिवार रहे उपस्थित जनसमूह ने सभी भाग्यशाली पुण्यार्जकों के पुण्य की अनुमोदना कर पुण्य लाभ प्राप्त किया ।