महाराष्ट्र(विश्व परिवार)। पर्वराज पूर्युषण महापर्व पर आयोजित “श्रावक संयम संस्कार शिविर” में सम्बोधन करते हुए चर्या शिरोमणी आचार्य विशुद्धसागर महाराज जी ने कहा कि “सत्य धर्म है, सत्य सौन्दर्य है, सत्य श्रृंगार है, सत्य शिव है, सत्य सुन्दर है, सत्य मंगल है, सत्य उत्तम है, सत्य शरण है, सत्य व्रत है, सत्य महाव्रत है। सत्य सज्जनों का श्रृंगार है। सत्य सज्जनों, कुलीन पुरुषों की कुल विद्या है। सत्य में शान्ति है, सत्य में आनन्द है, सत्य सत्य में में सुख है, सत्य में यश है। सत्य में उमंग होती है। सत्य स्तुत्य होता है। सत्य वंदनीय है। सत्य धर्म का मूल है।
“असत्य अनर्थकारी है। असत्य अधर्म है। असत्य विनाशकारी है। असत्य हिंसक है। असत्य अवनति का कारण है। असत्य दुःख-दाता है। असत्य अपयश का कारण है। असत्य अविश्वास को जन्म देता है। असत्य कुलहीनों की पहचान है। असत्य दण्डनीय है। असत्य पाप है। असत्य दुर्गति का कारण है।”
सत्यजानो, सत्य मानो सत्य स्वरूप में बोलना सीखो । सत्य ब्रह्म, सत्य प्राण, सत्य शून्य शब्द मृत, सत्य बोलना सत्य पर
चलना, सत्य विचार वही है भविष्य का भगवान् । सत्यवादी का सर्वत्र सम्मान होना है। सत्यवादी सिद्धियों को शीघ्र ही साध लेता है। सैन्य संकट में आ सकता है, परन्तु सत्य की ही विजय होती है। सत्य संयमियों का मूलगुण है। सत्य वह चक्र है जिसके बल पर सर्व-संकटों पर विजय प्राप्त की जा सकती है। सत्य का जीवन जीने के लिए सत्य को जानना पड़ेगा।
सत्य जाने बिना सत्यपूर्ण जी नहीं सकते।
जीवन में अशांति असत्य से ही प्रारम्भ होती है। एक झूठ को छुपाने के लिए कषायी पाँचों पाप में प्रवृत्त हो जाता है। असत्य प्रकट न हो जाय, इसलिए व्यक्ति मायाचारी के साथ सैंकड़ों झूठ बोलकर भी बचना चाहता है। झूठवचन, झूठा दिखावा इंसान को हैवान बना देता है।
सुख, शान्ति की चाह है, तो ढोंग का जीवन छोड़ो, ढंग से जीवन जीना प्रारम्भ करो। ढोंग का जीवन कृतिम फूल वत् होता है। दांगी घुणे अन्न के समान होता है। दिखाना दिवाला निकाल देता है। असत्य से प्रारम्भ कार्य असफलता पर पूर्ण होता है।
जिस सत्य के खोलने पर किसीकेप्राण चले जायें, कोई संकट में आ जाये, वह सत्य भी असत्य है। वह असत्य भी सत्य है, जिससे किसी के प्राणों की रक्षा हो। झूल बोलने वाले पर उसकी माँ भी विश्वासनहीं करती है। सुठ बोलने वाला, घर, राज्य एवं राष्ट्र का शत्रु होता है। हिंसक कभी सत्य-भाषी नहीं हो सकता है।
यश का लोभी, धन का लोभी पंथों सम्प्रदाओं का लोभी मायाचारी, क्रोधी मानी पापी अहंकारी भयभीत, कामी, कषायी, व्यसनी, मद्यपायी, जुआरी व्यक्ति कभी सत्य नहीं बोल सकता है।
अपनी आन, वान, शान की रक्षा करो। अग्नि में सत्य को डाला जा सकता है, परन्तु सत्य को भहम नहीं किया जा सकता है। एक झूठ सम्पूर्ण-यश को धूमिल कर देता है। असत्य से सत्ता प्राप्त की जा सकती है, परन्तु शान्ति नहीं पा सकते हो। झूठ कभी छिपता नहीं। जैसे रूई में अग्नि नहीं छिपती है, वैसे ही पापी का असत्य लोक में शीघ्र ही प्रकाशित हो जाती है। असत्य का जीवन अधिक दिन नहीं चलता है।
जो सत्य को जान लेता है, जो सत्य से परिचित हो जाता है, उसे कष्ट नहीं होता है। सत्यवादी को देवता भी प्रणाम करते हैं। सत्य सिद्धि का साधन है। सत्य स्वर्ग की सीढ़ी है। सत्य मुक्ति का पथ है। सत्य शील है। सत्य मानव की मानवता है। सत्य का अन्वेषण करो। सत्य से परिचय करो, सत्य बोलो सत्य सुनो, सत्य लिखो, सत्य देखो, सत्यपूर्ण जीवन जीना प्रारम्भ करो।