जबलपुर(विश्व परिवार)। आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज एवं आचार्य श्री समय सागर जी महाराज के मंगल आशीर्वाद से जबलपुर संस्कारधानी में वर्षायोग रत निर्यापक मुनि श्री १०८ प्रसाद सागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में समस्त जबलपुर के पाठशाला का अधिवेशन आयोजित हुआ जिसमें पधारे सभी पाठशाला के शिक्षक शिक्षिका ने अपने भावों को रखा की कैसे हम गुरुकुल परंपरा को जीवित रखते हुए व्यापक दृष्टि कोण के साथ आधुनिकीकरण के साथ जैन मंदिर में संचालित पाठशाला को सर्व जन सामान्य तक पहुंचा सकते है और नव पीढ़ी को इससे जोड़ने का प्रयास कर सकते है मुनि श्री पद्म सागर जी ने शिक्षक दिवस पर अपने उद्बोधन में कहा की जीवन का जयगान तभी संभव है, जब आप अपने गुरु की छत्रछाया तले पनपते हैं। गुरु तो अंधियारी में उजाला फैलाता उस दीपक के समान होते हैं, जिनका जीवन का एकमात्र लक्ष्य अन्याय और अज्ञान के अंधकार का अंत करना होता है एवं गुरु की फटकार भी मधुर संगीत की जैसी होती है, संगीत ऐसा जो सकारात्मकता को जन्म देता है। महाराज श्री ने कहा की गुरु का अस्तित्व अडिग खड़े हिमालय पर्वत जैसा होता है, जिनसे ज्ञान की अविरल गंगा का उद्गम होता है गुरु के शब्दों में तो प्रकृति के प्रति आस्था और प्रेम झलकता है, गुरु के आंगन में ही ज्ञान के पुष्प खिलते हैं। महाराज ने सभी को एकता समन्वय के साथ एक पाठशाला बोर्ड का गठन करने का सुझाव दिया और कहा की पाठशाला में सिर्फ और सिर्फ धार्मिक शिक्षा ही नही लौकिक , एवं मौलिक शिक्षा भी होनी चाहिए।
उपस्थित श्रावको को उद्योतित करते हुए निर्यापक श्रमण श्री प्रसाद सागर जी महाराज ने कहा एक गुरु के अथक प्रयासों से ही विद्यार्थियों का बौद्धिक विकास होता है, विकास ऐसा जिससे राष्ट्र का निर्माण होता है हम सभी विद्यार्थी है और विद्यार्थी जीवन का पहला संकल्प गुरु के प्रति ‘समर्पण’ होना चाहिए यदि आप अपने गुरु का सम्मान नहीं करना जानते, तो इस बात की भी उम्मीद न रखें कि समाज आपको सम्मान देगागुरु की छत्रछाया तले राष्ट्र का निर्माण होता है, यूं ही नहीं गुरु को ईश्वर तुल्य माना जाता निर्यापक श्री ने प्रेरणा देते हुए कहा की पाठशाला में बच्चो के बौद्धिक विकास के लिए कक्षा का होना भी जरूरी है आज की शिक्षा नीति में पढ़ाई का इतना प्रेशर बच्चो के ऊपर होता है की उनका मानसिक वा शारीरिक विकास क्षीण हो जाता है अतः पाठशाला में रुचिकर कार्यशाला , गेम्स , आदि का आयोजन भी समय समय पर होना चाहिए।