श्रावक संस्कार शिविर में हजारों शिविरार्थियों ने की महापूजा
संस्कारो की विधि को संयम पूर्वक ग्रहण करने पर वह साथ जायेगी
सागर(विश्व परिवार)। अपने लिए तो बहुत आंसू निकलते कभी किसी गरीब के लिए दो आंसू आये हम अपने और अपनो के लिए बहुत दुखी हो जाते हैं कभी किसी रोड़ पर पड़े रोगी को पीड़ित को देखकर दुखी हो जाये तो सच्चाधर्म हैसंसार के दुखो को कैसे दूर करूं ये वात मन में आते ही आपके अंदर मार्दव धर्म प्रकट हो जाता है आपके अंदर गरीब आदमी असाहय व्यक्ति के प्रति दया करुणा जागी गरीब आदमी के लिए आंसू आने पर ही आपको मार्दव धर्म आ जायेगा।
संगीत के साथ हो रही है महा पूजन
मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा ने बताया कि ३१वे श्रावक संस्कार शिविर में आज प्रातः काल की वेला में मुनिपुगंव श्री सुधासागरजी महाराज ससंघ के सान्निध्य में ध्यान का सत्र किया गया इसके बाद जगत कल्याण की कामना से महा शान्ति धारा मुनि पुंगव श्रीसुधासागरजी महाराज के श्री मुख से हुई जिसका सौभाग्य दर्शनोदय तीर्थ थूवोनजी के पूर्व अध्यक्ष अरविंद जैन मक्कू सिंघई परिवार मुंगावली के साथ ही शिविरपुण्यर्जकपरिवारकमल कुमार रिषभ कुमार वादरी परिवार सहित अन्य भक्तों को मिला इसके बाद प्रतिष्ठा चार्य प्रदीप भइया व वाल ब्रह्मचारी विनोद भ इया के मधुर भजनों के साथ महा पूजन की जा रही है
क्रिया हीन धर्म दुनिया में अस्तित्व हीन हो जाता है
इस दौरान धर्म सभा में मुनि पुगंव श्री सुधासागरजी महाराज ने कहाकि क्रिया हीन धर्म दुनिया में अस्तित्व हीन होता है क्रिया धर्म विहीन हो सकती है लेकिन धर्म क्रिया के विना नहीं हो सकता धर्म सर्वेश्रेष्ठ है लेकिन उसके हाथ में कुछ भी नहीं है जैसे राष्ट्रपति सबसे बड़ा है लेकिन वह अपना काम खुद नहीं कर सकता वह गोली नहीं चला सकते उनके लिए बाडीगर्ड है रसोईया रसोई बनाता है वह स्वयं नहीं वना सकता है हमने कल कहा था धर्मात्मा पहले नम्बर पर कहा था धर्म को वाद में लिया जो हमें चलता है उसका नाम धर्म रख दिया और रूकने का नाम अधर्म है धर्म वो है जो किसी न किसी के पास है और धर्मात्मा वो है जो कोई ना कोई किया कर रहा है ।
हमारी हर क्रिया में धर्म दिखाई देना चाहिए
हमारी हर क्रिया में धर्म दिखना चाहिए संसारी व्यक्ति भोजन करते हुए भोजन का आनंद लेता है और धर्मात्मा भोजन करते हुए भी उसको सोधते हुए ग्रहण करता है हर क्रिया में धर्म होना चाहिए आप लोग आहार देखने नहीं जाते आप आहार करते समय धर्म देखने जाते हैं क्या ले रहे हैं उसमें आप देखते हैं शुद्ध ले रहा हैधर्म का वीज ग्रहस्थ के घर में ही उत्पन्न होता है ग्रहस्थ के सबसे पहले मानव धर्म पलता है जो दूसरों के दुःख को देखकर दुखी हो जाता है उसको मार्दव धर्म प्रकट हो जाता है अपने लिए तो बहुत रो लिए जरा दूसरो के लिए दो आंसू आ जाये तो आप अपने आप को धर्मात्मा समझना अपने लिए तो बहुत आंसू बहाये कभी किसी गरीब के लिए आंसू बहाये तो धर्मात्मा समझना उक्त आश्य केउद्गार भाग्योदय तीर्थ में हजारों शिविरार्थियों को संबोधित करते हुए मुनि पुगंव श्री सुधासागरजी महाराज ने व्यक्त किए।