Home धर्म पूजन अभिषेक से बढता है आत्मविश्वास, अशुद्धि के अवयव दूर करने की...

पूजन अभिषेक से बढता है आत्मविश्वास, अशुद्धि के अवयव दूर करने की विधि है तप साधना, पूज्य मुनि श्री पूज्य सागर महाराज

22
0

गौरेला(विश्व परिवार)। अशुद्धि के अवयव दूर कर आत्मा को शुद्ध करने की विधि संयम साधना है। हमारे अतीत संस्कारों से समृद्ध था तब ही भारत संसार का सिरमौर था। संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के सुयोग्य शिष्य मुनि श्री पूज्य सागर महाराज ने श्रावकों को संस्कार का महत्व बताते हुए कहा कि पूजन अभिषेक से हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है।
मुनि श्री पूज्य सागर महाराज ने बताया कि टनोंटन पानी की मात्रा में अल्प मात्रा का घी सतह के ऊपर आकर विराजमान हो जाता है।पानी की भारी मात्रा घी की बूंदों को डुबा नहीं सकती क्योंकि घी शुद्ध अवस्था है। आग में तपकर घी बनता है। ऐसे ही अशुद्धि के अवयवों से रहित शुद्ध आत्मा संसार के ऊपर विराजमान हो जाती है।
अमरकंटक के अरण्य में भव्यातिभव्य जिन मंदिर का निर्माण और आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का हम पर महान उपकार है।संयम पथ पर चलते हुये उन्होंने अपनी आत्मशुद्धि की किंतु साथ अमरकंटक के समीपवर्तियों के कल्याण भी किया।बार बार पग विहार कर अपने बाधाओं को पार कर आचार्य महाराज अमरकंटक आते रहे और हमारे कल्याण की भावना भाते रहे।
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का इतना सानिध्य पाकर भी आप नहीं सुधरे तो आप किसकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। पूर्वजों के संस्कार सुरक्षित रखना और आने वाली पीढ़ी को सौंपना आपका कर्तव्य है।पूजन अभिषेक गृहस्थ के लिये अनिवार्य है ,इसके माध्यम से आप अपने पापों को गला सकते हैं।
इसके पूर्व अमरकंटक खोडरी होते हुए दिगंबर जैन मुनि द्वय श्री पूज्य सागर महाराज व श्री अतुल सागर महाराज के के गौरेला नगर आगमन पर जैन समाज सहित अन्य नगरवासियों ने भव्य अगवानी की। महाराज जी के उद्बोधन से प्रेरणा पाकर स्वप्निल जैन परिवार ने एक लाख एक हजार रुपए की दानराशि के माध्यम से शांतिधारा के प्रथम कलश व अनिल जैन के परिवार ने इक्यासी हजार रुपए की दानराशि से द्वितीय कलश से भगवान आदिनाथ की प्रतिमा पर शांतिधारा अभिषेक करने का सौभाग्य प्राप्त किया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here