नई दिल्ली (विश्व परिवार)। “महाकुंभ 144 साल बाद हो रहा है, दोबारा ऐसा मौका नहीं मिलेगा, यह सभी दावे झूठे थे। महाकुंभ में स्नान वाले पानी में गंदे नालों का पानी आ रहा है। उसमें मल-जल धारा आ रही है। वैज्ञानिक इसे स्नान के लिए योग्य नहीं मान रहे हैं। उसी में करोड़ों लोगों को स्नान के लिए विवश कर रहे हैं।”
ये बातें ज्योतिर्मठ पीठ शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने छत्तीसगढ़ के बेमेतरा में कही है। इस दौरान उन्होंने बंगाल की CM ममता बनर्जी के महाकुंभ को ‘मृत्युकुंभ’ बताने वाले बयान पर कहा कि ये राजनीतिक दलों की भाषा है। झूठे प्रचार कर अंधाधुंध भीड़ बुलाई गई, कुप्रबंधन, अव्यवस्था से लोगों की जान गई।
अब जानिए शंकराचार्य ने और क्या क्या कहा ?
दरअसल, शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती बेमेतरा जिले के सलधा पहुंचे हैं। यहां वह सपाद लक्षेश्वर धाम में आयोजित कथा में शामिल शामिल हुए। शंकराचार्य के आगमन पर गांव पर गांव में कलश यात्रा निकाली गई थी।
इस दौरान शंकराचार्य ने मीडिया से चर्चा की। उन्होंने कहा कि महाकुंभ में पुल बनाए गए, ताकि लोग आवाजाही कर सकें, लेकिन पुल बंद कर दिए गए। 300 किलोमीटर का जाम लगा रहा। लोग अपने सामान के साथ 20-25 किलोमीटर पैदल चलने को मजबूर हैं।
नालों को थोड़े दिन के लिए रोक देते या तो डायवर्ट कर देते
शंकराचार्य ने कहा कि लोग अपनी श्रद्धा से नहा रहे हैं। वह अलग बात है, लेकिन आपका तो काम था कि नालों को थोड़े दिन के लिए रोक देते या तो डायवर्ट कर देते। इसका मतलब है कि महाकुंभ में कुप्रबंध है।
CM योगी ने सतर्क नहीं किया, खाने को भोजन नहीं तो क्यों बुलाए
शंकराचार्य ने कहा कि मुख्यमंत्री को लोगों को सतर्क करना चाहिए था। ये कहना चाहिए था कि इतने ही लोगों की व्यवस्था है, बाकी लोग मत आइए। झूठा प्रचार किया गया कि दोबारा मौका नहीं मिलेगा। जब आपके पास खिलाने के लिए भोजन नहीं है, तो आप करोड़ों लोगों को आमंत्रित क्यों कर रहे हो।
अब जानिए ममता बनर्जी ने क्या कहा था ?
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को विधानसभा को संबोधित करते हुए दावा किया कि महाकुंभ ‘मृत्युकुंभ’ बन गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस महाकुंभ में मरने वालों की वास्तविक संख्या को छिपाया गया है।