- समोवशरण से निकली महावीर वाणी आत्मकल्याण में सहायक – मुनि श्री
- भक्ति भाव से जिनेंद्र देव को अर्पित किए अर्घ्य
- धर्म नगरी में तब्दील हुई चित्रकूट कॉलोनी
जयपुर(विश्व परिवार) । 19 नवम्बर। सांगानेर थाना सर्किल स्थित चित्रकूट कॉलोनी के महावीर दिगंबर जैन मंदिर में चल रहे आठ दिवसीय कल्पद्रुम महामण्डल विधान पूजा के दूसरे दिन मंगलवार को समोवशरण में विराजित जिनेंद्र देव के समक्ष श्रद्धालुओं ने जयकारों के बीच अर्घ्य अर्पित किये।
समिति कोषाध्यक्ष सत्य प्रकाश कासलीवाल ने बताया कि मुनि समत्व सागर एवं शील सागर महाराज के सानिध्य में सुबह श्री जी के अभिषेक के बाद मंत्रोच्चार के साथ भक्तिमय शांति धारा की गई । शांति धारा का सौभाग्य ओमप्रकाश, आशीष कटारिया राज महल वालो ने प्राप्त किया । पारस कुमार ललित कुमार केकड़ी परिवार ने मुनिश्री के पाद पक्षालन किये एवं सुनील बडजात्या परिवार ने शास्त्र भेट किया।
विधानाचार्य विकर्ष शास्त्री के निर्देशन में
विधान के चक्रवर्ती कैलाश चन्द – राजेश देवी सोगानी, सौधर्म इन्द्र मूल चन्द – शांति देवी पाटनी, धनपति कुबेर केवल चन्द – संतोष देवी गंगवाल, महायज्ञ नायक पदम चन्द – चन्द्र कांता सिंघल के नेतृत्व में
इंद्र इन्द्राणियों ने भक्ति भाव से अर्घ्य अर्पित किए। इस दौरान श्रद्धालु भजनों पर नृत्य कर प्रभु भक्ति कर रहे थे। आसपास का वातावरण भगवान के जयकारों से गुंजायमान हो उठा।
समिति सदस्य योगेश पाटनी ने बताया कि सायंकाल भक्तिभाव से संगीतमय महाआरती सत्यनारायण मित्तल परिवार द्वारा की गई जिसने संगीत की धुनो पर प्रभु आराधना की गई। इसके बाद श्री महावीर महिला मंडल द्वारा भव्य नाटिका का मंचन किया गया।
प्रारंभ में मुनि शील सागर महाराज ने संगीतमय मंगलाचरण करते हुए ‘’महावीर संदेश सुनाते है हम, जिओ और जीने दो है जैन धर्म ‘’ भजन सुनाया ।
मंदिर समिति के उपाध्यक्ष बाबू लाल बिलाला के मुताबिक विधान पूजा में मंगलवार 26 नवम्बर तक प्रातः अभिषेक, शांतिधारा, विधान पूजा, मुनि द्वय के मंगल प्रवचन होगे।
सायंकाल 6 बजे से गुरूभक्ति, आरती ,प्रवचन ,सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे जिनमें महिला मण्डल एवं नवयुवक मण्डल के सदस्यों द्वारा नृत्य, नाटक आदि की प्रस्तुति दी जाएगी।
प्रचार प्रभारी विनोद जैन कोटखावदा एवं महावीर सुरेन्द्र जैन के मुताबिक बुधवार, 27 नवम्बर को
विधान का समापन, विश्व शांति महायज्ञ विर्सजन के बाद मंदिरजी तक विशाल शोभायात्रा निकाली जाएगी ।तत्पश्चात श्री जी को वेदी में विराजमान किया जाएगा। विधान में बैठने एवं बाहर से पधारने वाले सभी अतिथियों एवं आगुन्तुको के लिए वात्सल्य भोजन की व्यवस्था रखी गई है।
महावीर वाणी ही अहिंसा धर्म
मुनि समत्व सागर महाराज ने समोवशरण में विराजित होकर प्रवचन करते हुए कहा कि संपूर्ण जगत छ: द्रव्यों से मिलकर बना है जो अनादि से है तथा अनंत तक रहेगा। इन छ: द्रव्यों को जानने वाला अपने स्वरूप को प्रकट कर लेता है, यही जिनेंद्र प्रभु की दिव्य देशना का सार है। उन्होंने कहा कि जिस जिस जीव ने निज पर विजय प्राप्त कर ली है वही समोवशरण में जिनेंद्र के रूप में विराजमान होने का सौभाग्य प्राप्त करता है। भक्त से भगवान बनने की विद्या सीखने का सर्वोत्तम स्थान समोवशरण है। समोवशरण में खिरने वाली दिव्य देशना यदि अतरंग में उतर जाये तो जीवन का कल्याण संभव है।
प्रवचन में महाराज ने श्री एवं स्त्री को श्रीजी बनने में बाधक बताते हुये कहा कि यदि भाव सुधारना है तो भावों को सुधारना पड़ेगा।