राघौगढ़ (विश्व परिवार)। जैन धर्म के महान पर्व श्रुत पंचमी को जैन समाज राघौगढ़ ने धर्म प्रभावना के साथ मनाया। इस दिन पर अनेक कार्य हुए।
आचार्य विद्यासागर सभागार में मंगल प्रवचन करते हुए मुनि शिव सागर जी महाराज ने कहा श्रुत पंचमी का जैन धर्म में विशेष महत्व है।आज के दिन से जिनवाणी को लिपिबद्ध किया गया। आपने कहा आचार्य धरषेण महाराज जिनके संघ में लगभग एक लाख मुनि थे। हजारों वर्ष पूर्व उनकी उम्र अधिक हो जाने के कारण उनके मन में शंका हुई थी मुझे जितना ज्ञान है मेरे बाद इस ज्ञान का लाभ दुनिया कैसे उठायेगी।उन्होंने धर्म सभा में कहा की इस संघ में कोई मुनि है जो मेरे बाद जिनवाणी को सुरक्षित करने की जिम्मेदारी ले। सभा में तत्काल मुन भूतबली एवं मुनि पुष्प दांत स्वामी जी खड़े हो गए। उन्होंने कहा आपके आदेश के पालन में हम जिनवाणी की रक्षा का संकल्प लेते हैं।उन्होंने अंकलेश्वर महाराष्ट्र षटखंडागम जैन ग्रंथ को लिपिबद्ध किया इस ग्रंथ के मंगलाचरण में पहली बार णमोकार मंत्र का उल्लेख किया गया। इस ग्रंथ के पूर्ण होने का शुभ दिन आज है इसलिए इस दिन को श्रुत पंचमी के नाम से मानते हैं। पूज्य मुनि शिव सागर जी महाराज ने दिगंबर जैन आचार्य विद्यासागर जी महाराज द्वारा 27 मार्च 2020 को कोरोना काल के दौरान श्रुत पंचमी के दिन रेवती रेंज इंदौर में दिए प्रवचनों का भी उल्लेख किया। अपने जैन समाज को आव्हान किया कि हमारे मंदिरों में जो अति प्राचीन जैन ग्रंथ हैं उनकी हम रक्षा का संकल्प लें। प्रतिदिन स्वाध्याय करें मंदिर की में पूजन अभिषेक अवश्य करें। धर्म सभा का संचालन विकास कुमार जैन ने किया।
श्रुत पंचमी के पावन अवसर पर जैन मिलन परिवार राघौगढ़ द्वारा प्रातः काल श्री पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर राघोगढ़ की तीनों देवियों की साफ सफाई की गई। जिनवाणी की साफ सफाई की गई। दोपहर में महिला जैन मिलन राघौगढ़ द्वारा जिनवाणी की साफ सफाई एवं कबर चढ़ाए गए एवं उन्हें अलमारी में सुअवस्थित रूप से सुरक्षित रखा गया। उल्लेखनीय है राघौगढ़ में पूज्य मुनि विशद सागर जी, मुनि शिव सागर जी,छुल्लक
वैराग्य सागर जी महाराज ससंघ दो माह से विराजमान हैं।