- बच्चे योग प्रशिक्षक की देखरेख में नियमित रूप से कर रहे विभिन्न आसनों का अभ्यास
रायपुर (विश्व परिवार)। महाराष्ट्र मंडल की आध्यात्मिक समिति के बाल संस्कार शिविर में बच्चे पांच गुरुजनों के मार्गदर्शन में लगातार संस्कारवान हो रहे हैं। साथ ही उन्हें अपनी ड्राइंग प्रतिभा को निखारते हुए योग की क्लास अटैंड करना काफी पसंद है। मंत्रोच्चार को लेकर बालकों में कुछ झिझक जरूर है, लेकिन इससे उनके उत्साह में कोई कमी नहीं है।
एक मई से शुरू हुई ऑनलाइन बाल संस्कार शिविर की क्लास में बच्चों को रामरक्षा स्तोत्र के कल सिखाए गए श्लोकों का आज रिवीज़न कराया गया। फिर अनुपठन कराया। उसके बाद श्लोक सात से 10 (चार श्लोकों) का पाठ कर बाल प्रशक्षुओं को उनका अर्थ समझा गया।
इसी तरह योग कक्षा में ॐ के जाप के साथ गुरु वंदना की गई। फिर कदमताल, रस्सी कूदना, ताड़ासन, तिर्यक ताड़ासन, त्रिकोणासन, कटि चक्रासन, वृक्षासन, चक्की चलन, भुजंगासन, नौकासन, वज्रासन और तीन प्राणायाम करवाए गए। आज की क्लास का समापन ध्यान व शांति मंत्र से किया गया।
आध्यात्मिक व योग समिति की समन्वयक आस्था अभय काले ने बताया कि इसके अलावा शिविर के बच्चों से छोटे आसान के रूप में भ्रामरी, कपाल भारती, अनुलोम विलोम कराया गया। तत्पश्चात शांति पाठ कराया गया। उसके बाद योग क्लास का समापन किया गया। 125 बच्चों के बाल संस्कार शिविर में पांच विभिन्न वर्गों में बालक- बालिकाएं आस्था काले सहित वर्षा चोपकर, सेजल शाह, अलकनंदा नारद, साक्षी टोले के मार्गदर्शन व अभ्यास से योग आसनों में पारंगत हो रहे हैं।
इधर योग क्लास के बाद ड्राइंग में रुचि रखने वाले बच्चे अपनी कलात्मक प्रतिभा को सिद्धहस्त प्रशिक्षकों के सानिध्य में निखार रहे हैं। गुरुजनों से सतत मिल रहे दिशा- निर्देशों से ड्राइंग को लेकर उनका आत्मविश्वास लगातार बढ़ रहा है। प्रत्येक रविवार को ऑनलाइन शिविर में गार्गी वोरा बच्चों को वार्ली आर्ट की तकनीकी जानकारी देते हुए उनसे ड्राइंग बनवाती है। छत्तीसगढ़ में खासा प्रसिद्ध वार्ली आर्ट कम उम्र के बच्चों को ड्राइंग करने के लिए काफी आकर्षित करता है। शिविर में भी बच्चे इसे लेकर बहुत उत्साहित रहते हैं।