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स्वस्तिश्री जिनसेन भट्टारक स्वामीजी का नांदणी से कुंथलगिरी और कुंथलगिरी से नांदणी तक पद विहार

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नांदणी (विश्व परिवार)l अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन युवा परिषद कोल्हापुर के कार्याध्यक्ष श्री अभिषेक अशोक पाटील, कोल्हापुर ने कहा कि, स्वस्तिश्री जिनसेन भट्टारक स्वामीजी का नांदणी से कुंथलगिरी और कुंथलगिरी से नांदणी तक पद विहार शुरु हैं | नांदणी के स्वस्तिश्री जिनसेन भट्टारक स्वामीजी नांदणी से पद विहार करते हुये जयसिंगपुर, चिपरी पंचकल्याणक, कुंभोज, दूधगांव पंचकल्याणक, समडोली,डिग्रज, नांद्रे, कळंबी पांचकल्याणक कर के कुंथलगिरी पहूँचे | वहाँ उन्होने विधान और शिबीर का आयोजन किया | कुंथलगिरी से नांदणी कि ओर विहार शुरु हैं | स्वस्तिश्री जिनसेन भट्टारक स्वामीजी तासगांव (महाराष्ट्र) में विराजमान हैं |
जैन धर्म के विकास और संरक्षण के हेतू भारतवर्ष में भट्टारक पीठोंकी निर्मिती हुई है l इन सभी भट्टारक पीठों में स्वस्तिश्री जिनसेन भट्टारक पट्टाचार्य महास्वामी मठसंस्थान नांदणी,करवीर (कोल्हापूर) यह आद्य पीठ है l प्राचीन भारत के दिल्ली, पिंनगोंडी, जिनकंची और करवीर (नांदणी) ऐसी जिनसेन मठ की परंपरा चलती आ रही है l करवीर मठ संस्थांन के कोल्हापूर, नांदणी, तेरदाळ और बेलगांव यह चार शाखापीठ है ; इसलिये जिनसेन मठ की वास्तू अतिभव्य है l नांदणी स्थित मठ का इतिहास 1300 वर्ष पूराना है l
नांदणी मठ के आधीपत्य में दक्षिण महाराष्ट्र और उत्तर कर्नाटक के ७४३ गांव समाविष्ट है l इन सभी गांव में जैन धर्म के सभी धार्मिक महोत्सव, विधिविधान, पंचकल्याणक, धर्म का प्रसार एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम स्वस्तिश्री जिनसेन भट्टारक पट्टाचार्य महास्वामीजी के आदेश से और आशीर्वाद से सानंद संपन्न होते है l इस मठ के द्वारा नूतन जिनालयों की निर्मिती, प्राचीन और पुराणे जिनालयों का जीर्णोद्धार, धार्मिक साहित्य की निर्मिती का कार्य,धर्मप्रसार एवं समस्याओंका समाधान प.पू.जगद्गुरु स्वस्तिश्री जिनसेन स्वामीजी के मार्गदर्शन से किया जाता है l नांदणी के मठ द्वारा सार्वधर्म इस मासिक पत्रिका के माध्यम से जैन तत्त्वज्ञान का प्रचार – प्रसार कार्य होता है l
हरसाल भ. आदिनाथ निर्वाण के दिन महाशिवरात्री को यहाँ पर महामस्तकाभिषेक संपन्न होता है l

 

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