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तपोभूमि प्रणेता आचार्य 108 श्री प्रज्ञासागर जी महाराज ससंघ का आर के पुरम त्रिकाल चौबीसी मंदिर में मंगल प्रवेश हुआ

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  • बढ़े छोटो को प्यार करते रहे और छोटे बड़ों को सम्मान देते रहे तो परिवार में आनन्द बना रहता है-आचार्य प्रज्ञा सागर जी महाराज

कोटा (विश्व परिवार)। परम पूज्य तपोभूमि प्रणेता आचार्य 108 श्री प्रज्ञासागर जी महामुनिराज ससंघ का शनिवार को श्री आदिनाथ दिंगबर जैन मंदिर महावीर नगर द्वितीय से गाजेबाजे के साथ श्री मुनिसुव्रतनाथ दिगम्बर जी त्रिकाल चौबीसी मन्दिर, आर.के.पुरम, कोटा में मंगल प्रवेश हुआ ।
आर के पुरम मंदिर समिति के अध्यक्ष अंकित जैन महामंत्री अनुज जैन ने बताया कि जगह जगह स्वागत द्वार बनाए गए जहां भक्तों द्वारा आचार्य श्री ससंघ पाद प्रक्षालन कर मंगल आरती उतारी गई। कार्याध्यक्ष प्रकाश जैन कोषाध्यक्ष ज्ञानचंद जैन ने बताया कि मुनिसुव्रतनाथ भगवान पर 108 ऋषि मंत्रों द्वारा प्रथम अभिषेक विनोद जैन जैन टोरडी परिवार द्वारा की गया। शांतिधारा करने का सौभाग्य मनोज जयसवाल परिवार को मिला। राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी एवं मंदिर समिति के प्रचार प्रसार मंत्री पारस जैन पार्श्वमणि ने बताया पंडाल का उद्घाटन श्रीमति कमला जैन राजेंद्र विनोद मुकेश लोकेश सोनी सीसवाली परिवारजन द्वारा किया गया। मंगल दीप प्रज्वलन विमल जैन तरुण वरुण अरुण वरुण जैन वर्धमान ज्वेलर्स परिवार द्वारा किया गया ।आचार्य श्री के हाथों में शास्त्र भेट यतींद्र जैन खेड़ा वाला गुरु आस्था परिवार ने किया। श्रद्धालुओं द्वारा आचार्य श्री प्रज्ञा सागर जी महाराज की पूजन की गई।धर्म सभा का सफल संचालन पारस जैन पार्श्वमणिने किया। धर्मसभा में एलन संस्थान के गोविंद माहेश्वरी सकल दिंगबर जैन समाज के अध्यक्ष विमल जैन नान्ता, महामंत्री विनोद जैन टोरडी, कार्याध्यक्ष जे के जैन, प्रकाश बज, नरेश वैद,लोकेश जैन बरमूडा, पंकज जैन मुकेश जैन अशोक पाटनी, जीतू डूंगरवाल, भाग चंद मित्तल रोहित जैन विमल जैन पारस जैन पत्रिका उपस्थित थे।
आचार्य श्री प्रज्ञा सागर जी महाराज ने विशाल धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज के वर्तमान समय में परिवारों में बड़ों के प्रति आदर सम्मान और छोटों के प्रति प्यार दुलार खत्म होता जा रहा है। ये जीवन में बहुत जरूरी है। यदि कोई दर्शन, ज्ञान ,चरित्र में बड़ा हो तो स्वयमेव हाथ जुड़ जाते है । वय ओर व्रत में जो आपको बड़ा दिखाई दे उनका सदैव सम्मान करना चाहिए ।आसन से बढ़कर दुनिया मे कोई दूसरा सम्मान नहीं है, किसी को केवल आदर पूर्वक बैठने का एक स्थान देना भी सम्मान की प्रस्तावना में आता है । सम्मान सम्माननीय होना चाहिए ।बढ़े छोटो को प्यार करते रहे और छोटे बढो को सम्मान देते रहे तो परिवार में आनन्द बना रहता है ।केवल मधुर वचन इतनी बड़ी दौलत है, किसी के सम्मान में कहे गए शब्द भी उसे आपका आभारी बना देते है ।
भगवान कभी अशुभ नही करता जो अशुभ करता है वो भगवान नही हो सकता ।
ज्ञान से सम्पन्न, कर्म से विमुक्त, दोषों से रहित हो ऐसे परम पिता परमात्मा का निरन्तर चिंतन करना चाहिए ।दोषों से सहित दोस्त बनाने लायक नहीं, तो दोषों से सहित को हम भगवना कैसे माना जा सकता है।आज से घर के सभी बढ़े छोटों को प्यार देंगे और सभी छोटे बड़ो का सम्मान करेंगे।मकान के एक छोटे से कोने में ही सही भगवान का स्थान होना चाहिए । ताकि हमारे घर पर परमात्मा का आशीर्वाद बना रहे और हमारे बच्चें हमारी संस्कृति से जुड़े रहे। धर्मसभा में एलन के गोविंद माहेश्वरी जी का भाव भीना अभिनंदन किया गया। मंदिर समिति के अध्यक्ष अंकित जैन ने बताया कि
बसन्त पंचमी विशेष सुअवसर पर दिनांक 02/02/25, रविवार को दोपहर 2 से 4 बजे तक पढ़ने वाले बच्चों से लिये श्रुत स्कंध महामंडल विधान श्री 1008 श्री मुनिसुव्रतनाथ नाथ भगवान के सन्निध्य में एवं पूज्य तपोभूमि प्रेणता प्रज्ञा सागर महाराज के पावन निर्देशन में भव्यता साथ आयोजित की जाएगी।
इसमें लड़के सफेद कुर्ता पाजामा एवं लड़किया सफेद सलवार सूट दुपट्टा सहित अधिक से अधिक संख्या में भाग लेकर पुण्य अर्जन करे।

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