Home उत्तरप्रदेश शिष्य परीक्षा देता है लेता नहीं विज्ञमति माताजी

शिष्य परीक्षा देता है लेता नहीं विज्ञमति माताजी

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एटा(विश्व परिवार)। “जयकारा लगाओ जयकारा कि एटा नगरी में उत्सव आज है” भजन से शुभारंभ हुए गणधर वलय स्रोत सेमिनार में प्रज्ञा पद्मिनी ब्रह्म विद्या वाचस्पति पट्ट गणिनी आर्यिका105 श्री विज्ञमति माताजी ने आज शिविरार्थियों को छठवें काव्य के बारे में बताया कि गुरु चरणों की पूजा सभी पूजा में श्रेष्ठ मानी जाती है यहां हम उन गणधर देवों की आराधना कर रहे हैं जो देवों द्वारा तीनों लोकों में पूजनीय है विक्रिया ऋद्धिधारी हैं ऐसे सच्चे ऋषिवर ना निंदक को और न ही वंदक को अपने पास बैठने देते हैं ,वह उपकार अपकार की भावना से दूर रहते हैं स्वयं आत्मध्यान में लीन रहते हैं, उनके पास ऐसी महाप्रभावशाली ऋद्धियां हैं जिससे वह असीम जल को पल भर में सुखा सकते हैं इतनी शक्तियां निहित होने के बावजूद भी वह उनसे विलग रहते हैं “जो जुड़ा है वह “बेशकीमती है” और “जो टूटा है वह बेकीमती है” घोर पराक्रम ऋद्धि धारी मुनियों के बारे में उन्होंने बताया जहां-जहां वह जाते हैं शांति का वातावरण हो जाता है, बिखरा समाज एक हो जाता है, ईति भीति समाप्त हो जाती है, गुरु तो मात्र रास्ता बताते हैं तुम्हारी रक्षा तुम्हें स्वयं करनी होगी।
माताजी ने युवा पीढ़ी को जागरुक करते हुए समझाया कि भागकर नहीं जागकर जीवन पथ पर आगे कदम बढ़ाएं यह भारतीय नहीं पाश्चात्य नीति है! जब इच्छाओं की पूर्ति नहीं हो पाती है तब श्रद्धा डगमगाने लगती है और शिष्य गुरु की परीक्षा लेना प्रारंभ कर देते हैं ध्यान रखना गुरु परीक्षा के योग्य नहीं है शिष्य परीक्षा देता है लेता नहीं, उनकी समीक्षा का समीकरण नहीं होना चाहिए ,जिनकी अपूर्व साधना रत्नों के दीपक की तरह अनवरत प्रज्वलित होती है ऐसे शुद्ध सात्विक पात्रों के साथ शुभ आराधना करने का प्रयास कीजिए ,हमें कच्ची मिट्टी की तरह बनना है लेकिन हम पाषाण बन गए, जो यतिवर इस संसार में नाना पर्याय धारण कर अनंत दुख प्राप्त करके दिशा और शोध के द्वारा तपते हैं उनके दिव्य नयन खुल जाते हैं भटके हुए को तिनके का अवलंबन मिल जाता है! जो रोता है वह रावण है जो बचाता है वह बालि है।
काव्य कंठस्थ करने वाले एवं सही उत्तर देने वालों शिविरार्थियों को राजीव सुल्ली वर्षा जैन ने पुरस्कार प्रदान किये, श्रीमती अनीता जैन सबल जैन भोपाल को उनके विशेष सहयोग के लिए विशुद्ध भक्त परिवार द्वारा सम्मानित किया गया, तथा प्रतिदिन शिविर में आने वाले शिविरार्थियों का चयन कर गुरु मां के करकमलों से रत्नों की माला प्रदान की गई !इस अवसर पर श्रीमान विमल हीपोलीन, आलोक जैन ,पंकज जैन, नरेंद्र जैन,हैप्पी जैन ,अन्नू जैन, रवींद्र जैन,निर्मल जैन, अनंत जैन, अमन जैन, आनंद ज्वेलर्स ,चिराग जैन, वात्सल्य जैन, गजेंद्र जैन, नितिन जैन, प्रमोद जैन, सुबोध जैन, विपिन जैन, श्रीमती मधुबाला जैन,सुर्कीता जैन ,गुंजन जैन,बबिता जैन, कविता जैन ,शुभ जैन, मोनिका जैन ,सीमा जैन ,आकृति जैन, खुशी जैन,श्रुति जैन, माही जैन, सोनाली जैन, गरिमा जैन, वाणी जैन,रश्मि जैन,नीता जैन, कुसुम जैन, सुषमा जैन आदि शिविरार्थी उपस्थित थे।

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