Home छत्तीसगढ़ सरकार एक भी गोली नहीं चलाना चाहती-उपमुख्यमंत्री शर्मा

सरकार एक भी गोली नहीं चलाना चाहती-उपमुख्यमंत्री शर्मा

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सुकमा (विश्व परिवार)। छत्तीसगढ़ में नक्सल उन्मूलन के अभियान को एक और बड़ी सफलता मिली है। सुकमा जिले के केरला पाल बेहना क्षेत्र में सुरक्षा बलों द्वारा किए गए सर्च ऑपरेशन के दौरान सुबह हुई मुठभेड़ में 17 नक्सली मारे गए हैं। इस अभियान के दौरान सुरक्षा बलों ने बड़ी मात्रा में हथियार भी बरामद किए हैं, जिनमें स्लार, इनसास, एके-47 और कंट्रीमेड हथियार शामिल हैं।
इस कार्रवाई में दो जवान घायल हुए हैं, लेकिन वे खतरे से बाहर हैं। उन्हें त्वरित उपचार के लिए जिला मुख्यालय लाया गया है और बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।
जवानों की भुजाओं की ताकत के परिणामस्वरूप नक्सल उन्मूलन अभियान में बड़ी सफलता-उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा
उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने इस सफलता पर जवानों को बधाई देते हुए कहा कि वर्ष 2025 के मात्र 85 दिनों में अब तक 133 नक्सली मारे जा चुके हैं। यह प्रतिदिन का संकल्प है ।पिछले कुछ वर्षों में कुल मिलाकर लगभग 2700 से अधिक नक्सली या तो मारे गए हैं, गिरफ्तार हुए हैं या उन्होंने आत्मसमर्पण किया है।
उन्होंने कहा कि सरकार एक भी गोली नहीं चलाना चाहती और पुनर्वास नीति के तहत सभी नक्सलियों से अपील करती है कि वे आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटें। आत्मसमर्पण करने वालों को सरकार हर संभव सहायता प्रदान करेगी और उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर मिलेगा।
मार्च 2026 तक नक्सलवाद समाप्त करने का लक्ष्य-उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा
उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने कहा कि मार्च 2026 तक सशस्त्र नक्सलवाद का पूरी तरह से समापन करने का लक्ष्य है। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार की रणनीति के तहत नक्सल प्रभावित इलाकों में तेजी से विकास कार्य किए जा रहे हैं। बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर जैसे क्षेत्रों में सड़क, बिजली, पानी, स्कूल, अस्पताल और संचार सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है।
सरकार की पुनर्वास नीति और सख्त रुख
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि जो लोग आत्मसमर्पण कर रहे हैं, उन्हें सरकार की ओर से पूरी सहायता दी जा रही है। लेकिन जो हिंसा का मार्ग अपनाएंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सरकार का संकल्प स्पष्ट है—शांति और विकास के रास्ते पर आगे बढ़ना है और नक्सलवाद को जड़ से समाप्त करना है।
सरकार की इस स्पष्ट नीति के तहत नक्सली आत्मसमर्पण कर एक सुरक्षित जीवन अपना सकते हैं, लेकिन यदि वे हिंसा का मार्ग नहीं छोड़ते, तो उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।

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