Home Blog उत्तम ब्रह्मचर्य के साथ जैनियों के महापर्व दशलक्षण सानन्द हुआ संपन्न…

उत्तम ब्रह्मचर्य के साथ जैनियों के महापर्व दशलक्षण सानन्द हुआ संपन्न…

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बौंसी { विश्व परिवार } : जैन धर्म के 12 वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य स्वामी के निर्वाण महामहोत्सव पर उनके निर्वाण स्थली मंदारगिरी में मंगलवार को जैन धर्मावलम्बियों ने धूमधाम के साथ भव्य शोभायात्रा निकालकर भव्य निर्वाण लाडू श्रद्धापूर्वक चढ़ाया। रथयात्रा का प्रारम्भ श्री दिगम्बर जैन कार्यालय मंदिर से प्रारंभ होकर हनुमान चौक, बौंसी बाजार, गांधी चौक वापस वासुपूज्य द्वार, पंडा टोला, समोशरण बारामती जैन मंदिर, पापहरणी रोड के रास्ते गाजे-बाजे के साथ मंदार पर्वत तलहटी स्थित जैन मंदिर तक गई। रथयात्रा के पहले बौंसी स्थित कार्यालय जैन मंदिर में प्रातः 6 बजे अभिषेक, शांतिधारा व पूजन-अर्चना किया गया।

सुसज्जित रथ पर वासुपूज्य स्वामी को विराजमान कर निकाली गई रथयात्रा
बड़ा है सुहाना मौसम खुशी की बहार है, मोक्ष कल्याणक है आज, वासुपूज्य जिनका नाम है मंदार जिनका धाम है…” भजनों पर श्रद्धालु झूम उठे। भगवान वासुपूज्य स्वामी के प्रतिमा जी को सजे-धजे भव्य रथ पर प्रातः करीब 6 बजे विराजमान कर गाजे-बाजे के साथ भव्य रथयात्रा मंदार पर्वत के लिए धूमधाम के साथ प्रस्थान हुई। रंग-विरंगे फूल-मालाओं और पंचरंगा जैन ध्वज से भव्य तरीके से सजाया गया था। जो बहुत ही आकर्षक लग रहा था और लोगो को आकर्षित कर रहा था। रथ पर विराजमान भगवान वासुपूज्य की मनोहारी प्रतिमा चांदी के छत्र तले अलौकिक छटां बिखेर रही थी। जैन श्रद्धालु हर्षोल्लासपूर्वक झूमते–नाचते, भक्ति-भजन करते महामंत्र णमोकार का जाप करते हुए चल रहे थे। इस दौरान जगह–जगह रथ पर विराजमान भगवान वासुपूज्य की मंगल आरती की गई।

“जियो और जीने दो” के संदेश का हुआ जयघोष, दिया सत्य, अहिंसा, मैत्री और शांति का संदेश
शोभायात्रा के आगे-आगे जैन पंचरंगा ध्वज, झंडा-पताका लिए श्रद्धालु जैन संदेश देते चल रहे थे। गाजे-बाजे, घंटी के मधुर धुन पर श्रद्धालु नृत्य करते रथयात्रा की शोभा बढ़ा रहे थे। इस महोत्सव को लेकर जैन समाज के बीच खासा उत्साह था। ज्ञात हो कि मंदारगिरी जैन धर्म के 12वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य स्वामी का तप, कैवल्य ज्ञान व पावन मोक्ष स्थली है। इस भव्य शोभायात्रा व निर्वाण महोत्सव में देश के कोने-कोने से सैंकड़ो की संख्या में जैन श्रद्धालु मंदारगिरी पहुंचे। मालूम हो कि भगवान वासुपूज्य की निर्वाण स्थली मंदारगिरी को स्मरण कर पूरे देश-विदेश में जैन श्रद्धालु निर्वाण लाडू चढ़ाते है।

● मंदार पर्वत शिखर स्थित मोक्ष कल्याणक स्थली पर चढ़ाया गया भव्य निर्वाण लाडू
क्षेत्र प्रबंधक पवन कुमार जैन ने बताया कि भगवान वासुपूज्य के तप, ज्ञान एवं पावन निर्वाण भूमि से सुशोभित मंदारगिरी पर्वत शिखर स्थित मोक्ष कल्याणक मंदिर में प्रभु के अत्यंत प्राचीन चरण पादुका के समक्ष एवं भगवान वासुपूज्य खड्गासन मंदिर में भव्य निर्वाण लाडू चढ़ाया गया। निर्वाण लाडू आकर्षक ढंग़ से शुद्धिपूर्वक तैयार किया गया था। इससे पूर्व मंत्रोच्चारण, भगवान वासुपूज्य का अभिषेक, महामस्तकाभिषेक, शांतिधारा, पूजन-पाठ, निर्वाण काण्ड पाठ आदि का कार्यक्रम सम्पन्न किया गया।

इस आयोजन को सफल बनाने में मंदारगिरी दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र प्रबंधन तैयारी में लगी हुई थी। विदित हो कि जैनियो के चल रहे दस दिवसीय महापर्व पर्युषण यानी दशलक्षण का समापन गुरुवार को उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म के साथ हुआ। इस दौरान जैन धर्म के कई अनुष्ठानों से मंदारगिरी क्षेत्र का वातावरण पवित्र हुआ और जैन धर्मावलंबियो ने विश्वशांति के लिए प्रतिदिन मंगल भावना सहित विशेष पूजन कर रहे थे।

उत्तम ब्रह्मचर्य के साथ महापर्व दशलक्षण धर्म पूजा सम्पन्न
संजीव जैन ने बताया कि जैन धर्म के अनुसार नौ दिनों की यात्रा के बाद यह उत्तम ब्रह्मचर्य अंतिम गंतव्य है। हमारे पहले नौ दिन एक सीढ़ी की तरह हैं जिन्हें हमें मुक्ति पाने के लिए पार करना होगा।
उत्तम ब्रह्मचर्य हमें सिखाता है कि परिग्रहों का त्याग करना जो हमारे भौतिक संपर्क से जुड़ी हुई है। अर्थात् सादगी से जीवन व्यतित करना सिखाता है। कहा गया है कि उत्तम ब्रह्मचर्य का पालन करने से मनुष्य को पुरे ब्रह्माण्ड का ज्ञान और शक्ति प्राप्त हो सकती है।

इस अवसर पर क्षेत्र प्रबंधक पवन कुमार जैन के नेतृत्व में स्थानीय संजीव जैन, श्रीकांत जैन, शुभम जैन, सोमेश जैन, शिल्पी जैन, आयुष जैन, मिंकू जैन सहित देश के दिल्ली, चेन्नई, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, गुजरात, बिहार-झारखण्ड से सैंकड़ो की संख्या में जैन धर्मावलम्बी शामिल हुए।

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