रायपुर(विश्व परिवार)। छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र आज 22 जुलाई से शुरू हो गई हैं, सर्वप्रथम स्पीकर डॉ. रमन सिंह ने अविभाजित मध्यप्रदेश के विधानसभा पूर्व सदस्य मकसूदन लाल चंद्राकर, अंतुराम कश्यप,अमीन साय, लक्ष्मी प्रसाद पटेल और छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व सदस्य अग्नि चंद्राकर के निधन का उल्लेख करते हुए उनके जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी।
इसके बाद सीएम विष्णु देव साय, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, संसदीय कार्य मंत्री केदार कश्यप, कृषि मंत्री रामविचार नेताम समेत पक्ष, विपक्ष के अन्य सदस्यों ने दिवंगत नेताओं के साथ बिताए गए पलों को याद करते उनके निधन को प्रदेश की राजनीति के लिए अपूरणीय क्षति बताया।
कवासी लखमा, उमेश पटेल, लालजीत सिंह राठिया ने भी दिवंगत नेताओं को अपनी श्रद्धांजलि दी। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह समेत सदन के सभी सदस्यों ने दिवंगत नेताओं को 2 मिनट के लिए मौन श्रद्धांजलि दी, स्पीकर ने इसके बाद दिवंगतों के सम्मान में सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित करने की घोषणा की।
वहीं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने मांग करते हुए कहा कि अयोध्या गए तो हम लोग को क्यों नहीं ले गए। अगली बार जब जाएं तो हम को लेकर जरूर जाएं। राम जी वाला गाना हमको भी आता हैं। महंत ने मुख्यमंत्री से सवाल पूछा की, यहां से मुख्यमंत्री शिवरीनारायण के बेर ले गए थे क्या ये बेर का सीजन हैं। बेर अभी शिवरीनारायण में मिल जा रहा है। कौन सा बेर चढ़ा कर आ गए?
वहीं विधानसभा में आज जोरो शोरो से बलौदा बाजार हिंसा का मामला उठा। विपक्ष ने काम रोको प्रस्ताव लाकर चर्चा की मांग की, इसके साथ ही विपक्ष ने न्यायिक आयोग की जांच का हवाला देकर चर्चा न करने की मांग सदन पर रखी। न्यायिक आयोग को न्याय प्रक्रिया के अधीन है की नहीं, अजय चंद्राकर ने कहा स्थगन स्वीकार करने योग्य नहीं है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा अभी मै विषय की ग्रह्यता पर सदस्यों के विचार सुन रहा हूं इसलिए अजय चंद्राकर की आपत्ति खारिज की जाती है।
सत्ता पक्ष के विधायको ने स्थगन के विषय को न्याय प्राधिकरण के विचार अधीन बता चर्चा न करने की मांग पर आड़ा, जिसके बाद धरमलाल कौशिक और दूसरे सदस्यों ने आपत्ति की । भूपेश बघेल ने अध्यक्ष की अनुमति से ऐसे विषय पर चर्चा की अनुमति दिए जाने का नियम रखा खारिज की जाती है।
वहीं विपक्ष ने काम रोको प्रस्ताव के जरिए चर्चा की मांग रखी, सत्ता पक्ष की आपत्ति के बाद भूपेश बघेल को चर्चा सा रोका गया। टोका टाकी पर विपक्ष सदस्यों ने नाराजगी जताई और सदन में जमकर नारेबाजी की।