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स्वामी विवेकानंद के आदर्शों को आत्मसात करना ही सच्‍ची श्रद्धांजलि होगी- न्यायमूर्ति एम.आर. शाह

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  • एचएनएलयू में चौथे स्वामी विवेकानंद स्मारक व्याख्यान का आयोजन

रायपुर (विश्व परिवार)। स्वामी विवेकानंद के आदर्शों को आत्मसात करना ही सच्‍ची श्रद्धांजलि होगी यह बात, हिदायतुल्ला राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, रायपुर में राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर आयोजित चौथे स्वामी विवेकानंद स्मारक व्याख्यानमाला में न्यायमूर्ति एम.आर. शाह ने कही । सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री शाह ने अपने प्रभावशाली संबोधन में स्वामी विवेकानंदन के आदर्शों सामूहिक संकल्प के माध्यम से एकता, सद्भाव, महिलाओं के प्रति सम्मान और करुणा और मूल्यों के साथ एक शक्तिशाली राष्ट्र के निर्माण के लिए सामाजिक समानता पर जोर दिया।
न्यायमूर्ति एम.आर. शाह ने स्वामी विवेकानंद के सामाजिक न्याय, राष्ट्रीय निर्माण, समानता, धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण और लैंगिक न्याय पर उनके विचारों और वकालत को प्रस्तुत किया, जो अब हमारे संवैधानिक जनादेश और न्यायिक घोषणाओं में परिलक्षित होते हैं । न्‍यायमूर्ति शाह ने केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973), मेनका गांधी बनाम भारत संघ (1978), ओल्गा टेलिस बनाम बॉम्बे म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (1985), श्रेया सिंघल बनाम भारत संघ (2015), एसआर बोम्मई बनाम भारत संघ (1994), ए.के. के ऐतिहासिक केस कानूनों के माध्यम से स्वामी विवेकानंद के सिद्धांतों को छुआ।
व्‍याख्‍यान के दौरान उन्‍होंने गोपालन बनाम मद्रास राज्य (1950), पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ (2017), इंद्र साहनी बनाम भारत संघ (1992), नवतेज सिंह जौहर बनाम भारत संघ (2018), विशाखा बनाम राजस्थान राज्य (1997), नलपक्कम वेंकटरमण बनाम भारत संघ (2006), कर्नाटक राज्य बनाम अप्पा बालू इंगले (1993), राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण भारत संघ (2014), तहसीन पूनावाला बनाम भारत संघ (2018), बिजो इमैनुएल बनाम केरल राज्य (1986), गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों के लिए सोसायटी बनाम भारत संघ (2012), मोहिनी जैन बनाम कर्नाटक राज्य (1992), उन्नी कृष्णन बनाम आंध्र प्रदेश राज्य (1993), अरुणा रॉय बनाम भारत संघ (2002), टी.एम.ए. पाई फाउंडेशन बनाम कर्नाटक राज्य (2002) और शायरा बानो बनाम भारत संघ (2017) आदि का भी उल्‍लेख किया ।
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी ने भी इस स्मारक व्याख्यान को संबोधित किया ।
इसके पूर्व एचएनएलयू के कुलपति प्रो. विवेकानंदन ने अपने आरंभिक संबोधन में स्वामी विवेकानंद के रायपुर में बिताए गए जीवन के परिवर्तनकारी वर्षों तथा 39 वर्ष के उनके छोटे से जीवन में धर्म, समाज, राष्ट्र और संस्कृति के बारे में उनकी आंतरिक खोज के बारे में जानकारी दी । उन्होंने स्वामी विवेकानंद को मनाने के लिए एचएनएलयू के प्रयासों के बारे में जानकारी दी, जिसमें एचएनएलयू के पूर्व छात्रों द्वारा कलाकार बने स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा बनवाना और उनकी जयंती पर वार्षिक स्मारक व्याख्यान आयोजित करना शामिल है । उन्होंने एचएनएलयू के मामलों पर कार्यकारी परिषद के सदस्य के रूप में एचएमजे एम.आर. शाह के जबरदस्त समर्थन का भी उल्लेख किया तथा स्मारक व्याख्यान के इस वर्ष के संस्करण के लिए उपयुक्त वक्ता के रूप में न्यायमूर्ति एम.आर. शाह के महत्वपूर्ण निर्णयों को रेखांकित किया ।
इस अवसर पर डॉ. दीपक श्रीवास्तव, रजिस्ट्रार (प्रभारी) ने स्वागत भाषण दिया और डॉ. अविनाश सामल, डीन, सामाजिक विज्ञान ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा ।
एचएनएलयू में शुरू की गई व्याख्यान श्रृंखला हर साल प्रेरणादायक रही है और इसने छत्तीसगढ़ के विभिन्न लॉ स्कूलों के युवा कानून के छात्रों और शिक्षकों को आकर्षित किया है ।

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