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पहलगाम की घटना निंदनीय, सरकार बताये चूक कैसे हुई? : पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

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  • मोदी सरकार संविधान पर प्रहार कर रही कल 25 अप्रैल को दुर्ग में संविधान बचाओ रैली

रायपुर (विश्व परिवार)। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि अभी देश में जो हालात है पूरे चिंतित और पूरे विश्व को और देश को झकझोर कर देने वाली घटना पहलगाम में हुआ। पहलगाम के आतंकी हमला में 28 लोगो की जाने चली गयी और हंसता खेलता परिवार उजड़ गया। जो परिवार खुशियां बांटने गया था, पर्यटन के लिये गये थे, कोई शादी का सालगिरह मनाने गया था, कोई अपने परिवार के साथ गये थे उनकी बहुत ही दर्दनाक ढंग से आंतकवादियों ने हत्या की है। इस घटना की कांग्रेस पार्टी ने कड़ी शब्दो में निंदा की है। पहलगाम की घटना में बहुत सारे प्रश्न छोड़ गये है। यह बहुत बड़ी घटना है और इस घटना की गंभीरता इससे लगाया जा सकता है पूरे देश के 140 करोड़ जनता इससे व्यतीत है, दुखी है, आक्रोशित है। विश्व के अनेक राष्ट्रीय अध्यक्षों ने भी इस घटना में शोक व्यक्त किया है। आज ही सीडब्लूसी की बैठक हुयी उसमें भी प्रस्ताव पारित किया गया। कल भी मेरे निवास में पूर्व मंत्रीगण, विधायक एवं पूर्व विधायक गण कांग्रेस के कार्यकर्ता पदाधिकारीगण सभी उपस्थित थे। वहां मेरे निवास में दो मिनट का मौन श्रद्धांजलि अर्पित किया। जितने भी घायल व्यक्ति है वो भी जल्द से जल्द स्वस्थ हो यही कामना करता हूं।
पहली बात यह है कि ये आंतकवाद ने हम सब को झकझोर कर दिया है जो 28 लोगो की मौत हुयी है, दूसरी बात यह है कि इसमें धर्म पूछ-पूछकर हत्या की गयी, वहां जो पिट्ठू वाले, टट्टू घोड़े चला रहे थे और जो होटल वाले थे, जो टैक्सी वाले थे, उन्होंने मानवीयता का उत्कृष्ट उदाहरण दिया कि जितने भी प्रभावित परिवार के लोग फंसे हुये थे उनको सुरक्षित स्थान में लाने के लिये अपनी जान की परवाह न करते हुये अपने जान को जोखिम में डालते हुये सहायता की और उसमें दो लोगो की मौत हुयी। बहुत सारे लोग ऐसे थे जो जंगल में छुपे हुये थे, आये नदी, पहाड़ क्रास करके और वहां अपने घरो में उनको आश्रय दिया। तो दूसरा पहलू भी हमको दिखाई देता है, क्योंकि हम लोग भी छत्तीसगढ़ से है नक्सल प्रभाव से पीड़ित है, बहुत सारे नक्सली घटनायें हुयी जिसमें अनको परिजनों और अपने परिचितो को खोया है और हमने अपने नेताओं को खोया है। उस आतंकी और नक्सली हमला के बारे में बहुत करीब से अनुभव कर सकते है। ऐसे ही झीरम घाटी की जो घटना घटी थी और पहलगाम की जो घटना है जिसमें दो समानताएं देखने को मिलता है। पहली समानता यह है कि दोनों जगह सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी, न ही पहलगाम सुरक्षा व्यवस्था थी और न ही झीरम घाटी में सुरक्षा व्यवस्था थी। पहलगाम में भी 28 लोगों की मौतें हुयी और झीरम घाटी में भी 28 लोगों की मौतें हुयी। दूसरा समानता यह है कि झीरम घाटी में नाम पूछ-पूछकर नक्सलियों ने मारा है। इसमें नंदकुमार पटेल कौन है, दिनेश पटेल कौन है, महेंद्र कर्मा कौन है, बंटी कौन है ये सब पूछ-पूछकर उनकी हत्याये की। पहलगाम में हुये हमले में धर्म पूछ-पूछकर हत्याएं की। नक्सली बम ब्लास्ट करते है या अंधाधुंध फायरिंग करते है। आतंकवादी का काम भी उसी तरह का है वो दहशतगर्दी है। चाहे बमबारी करे, चाहे गोलीबारी करे। झीरम घाटी में नक्सली रूक कर बैठे रहे उनको मालूम था सुरक्षा बल इनकी सहायता के लिए नहीं आयेंगे। पहलगाम की घटना है यात्रियों को, पर्यटकों का नाम और धर्म पूछ-पूछकर गोली मारे गये। यहां भी पुलिस बल और सैनिक उनकी सहायता में नहीं आयेंगे, ये विश्वास कैसे आया, ये प्रश्न वाचक चिन्ह है। झीरम घाटी की घटना को ताजा कर दिया। देश में जो रिएक्शन आ रहा है बेहद दुखद है। भारतीय जनता पार्टी के लोग आपदा में अवसर तलाशने का काम कर रहे है। जितने भी राजनीतिक दल के नेता है सभी ने इस घटना की कड़ी निंदा की। क्षेत्रीय दल हो या राष्ट्रीय दल हो सबने इस घड़ी में शोक व्यक्त किया। सभी ने एकजुट होकर सरकार को समर्थन देने की बात ने कही। इस अवसर पर हम सब सरकार के साथ है। दुर्भाग्यजनक है कि भारतीय जनता पार्टी सोशल मीडिया में जिस प्रकार की बातें कही, जिस प्रकार प्रचारित करने की कोशिश की। सभी मीडिया में धर्म पूछ-पूछकर हत्याएं की गयी, जाति नहीं पूछा। किसी ने भी सवाल नहीं उठाया कि इतनी बड़ी चूक कैसे हो गयी? सुरक्षा वहां क्यों नहीं था? इंटेलिजेंस की भूमिका क्या रही? इसके पहले प्रधानमंत्री का दौरा था, स्थगित हुआ। उसके पहले गृह मंत्री ने कश्मीर के मामले में समीक्षा बैठक की। ये सब होने के बाद भी इतनी बड़ी घटना कैसे घट गयी, इसके लिए जिम्मेदार कौन है? सरकार को जवाबदेही तय करना चाहिए। सवाल 28 जाने कहां है? हमारे बीच में थे कहां है? उनको न्याय कब मिलेगा? चाहे कोई भी कार्यवाही करे, जवाबदारी तय करनी पड़ेगी। पूरे देश, सरकार के साथ है। लेकिन ये बताए इस चूक की जिम्मेदार कौन है? इंटेलिजेंस फेलियर हुआ उसके लिए जिम्मेदार कौन है? सहायता नहीं पहुंची उसके लिए जिम्मेदार कौन है? इन सवालों का उत्तर कौन देगा?
मोदी सरकार संविधान पर प्रहार कर रही कल 25 अप्रैल को दुर्ग में संविधान बचाओ रैली
जिस प्रकार से देश में घटनाएं घट रही है संविधान के मूल्यों को तोड़ा जा रहा है। विपक्षी दल के नेताओं को दबाया जा रहा है। जिन राज्यों में भाजपा की सरकार नहीं वहां-वहां क्षेत्रीय दल के नेताओं को, राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस को निशाने में लेकर कार्यवाही कर रही है। जब भी हमारा राष्ट्रीय अधिवेशन होता है जितने भी सेंट्रल एजेंसी है हमारे खिलाफ सक्रिय हो जाती है। रायपुर में राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ कांग्रेस नेताओं के घर में ताबड़तोड़ ईडी के अधिकारी दबिश दिए, ताकि कार्यक्रम फेल हो जाए। उस कार्यवाही के चलते ध्यान भटके और उस पर कोई चर्चा न हो। अहमदाबाद में खड़गे जी के नेतृत्व में राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ वहां पर भी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चाएं हुई। मजदूरों का मनरेगा का काम बंद हो गया है। नौजवानों की भर्ती बंद हो गयी है। जितने भी सार्वजनिक उपक्रम है उनमें भर्तियां बंद है। सरकारी विभागों में भर्तियां बंद है। महंगाई मनमाने बढ़ रही है। रसोई गैस की कीमते बढ़ी। बिजली के दर लगातार बढ़ रहे है, कटौतियां हो रही है। ट्रेन का किराया बढ़ रही है। कोरोना के समय सीनियर सिटीजन को लाभ मिलता था उसे समाप्त कर दिया था, आज तक छूट वापस नहीं हुई है। जनता के मुद्दों को लेकर आम जनता के बीच में जाना चाहते है।
जैसे ही राष्ट्रीय अधिवेशन समाप्त हुआ, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया जी और नेता प्रतिपक्ष राहुल जी के खिलाफ चार्जशीट 365वें दिन में दाखिल किया, जो कि आखिरी दिन था। उनके पास नेशनल हेराल्ड के मामले में कोई सबूत नहीं था। 1937 से बना नेशनल हेराल्ड एजेएल बना उसके तहत तीन पेपर निकलते थे नेशनल हेराल्ड, नवजीवन और कौमी आवाज। नेशनल हेराल्ड अंग्रेजी में, नवजीवन हिन्दी में और कौमी आवाज उर्दू में निकलता था। आजादी की लड़ाई इनकी भूमिका रही। नेशनल हेराल्ड वह समाचार पत्र है। पं. जवाहर लाल नेहरू, किदवई और पंत ने इसकी स्थापना की थी। जनता की आवाज सरकार तक पहुंचे इसलिये नेशनल हेराल्ड की स्थापना की गई थी। 1942 आंदोलन के समय अंग्रेजो इसमें 1945 तक प्रतिबंध लगा दिया था। यह वह संस्था जो राष्ट्रीय आंदोलन के प्रतीक रूप में था। यह हमारे लिये राष्ट्रीय धरोहर भी है। क्योकि आजादी की लड़ाई कांग्रेस के नेतृत्व में और महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने लड़ाई लड़ और आजादी पाई। नेशनल हेराल्ड हमारे लिये महत्वपूर्ण है। देश की आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका थी उस समय बड़े नेता खुद अपना समाचार पत्र निकालते थे। देश के आजादी के समय इस समाचार के माध्यमों से आम जनता तक खबरे पहुंचाई जाती थी। मीडिया से जुड़े लोगों को पता है कि मीडिया चलाने में आर्थिक संकट का सामना पड़ता है समय के साथ-साथ नेशनल हेराल्ड और उससे जुड़ी कंपनिया घाटे में चली गयी। पं. जवाहर लाल नेहरू और मोतीलाल नेहरू ने अपनी पूरी संपति दान कर दी। नेशनल हेराल्ड कंपनी को फिर से खड़ा करने के लिये और वहां काम कर रहे कर्मचारियों के वेतन के लिये कांग्रेस पार्टी द्वारा मदद की गयी। कांग्रेस पार्टी ने नेशनल हेराल्ड के कर्मचारियों के मदद के पैसा दिया तो उसमें मनी लांड्रिंग कहां से हो गया? ईडी का काम है कि दो नंबर के पैसे को इधर करने वाले के ऊपर कार्यवाही करना है लेकिन ईडी बदले की भावना से कार्यवाही करती है। लेकिन भाजपा सरकार सेन्ट्रल एजेंसियों के माध्यम से विपक्ष के नेताओं को टारगेट कर रही है और डराने, धमकाने का काम कर रही है। सरकार सभी मुद्दों से ध्यान हटाने के लिये वक्फ बोर्ड कानून ले आये है। वक्फ बोर्ड कानून के खिलाफ हिंसा और आगजनी की घटना हो रहा है। इससे ध्यान हटाने के लिये सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर चालान प्रस्तुत कर दिया गया। सरकार एक समस्या का हल नहीं कर पाते इसको दबाने के लिये दूसरी समस्या ले आते है। दूसरी समस्या हल नहीं कर पाते तो तीसरी समस्या ले आते है। ईडी की कार्यवाही सिर्फ विपक्ष को दबाने और डराने के लिये की जा रही है। कांग्रेस पार्टी इस सबसे डरने वाली नहीं है। कांग्रेस पार्टी के नेताओं की छवि धूमिल करने और पार्टी को बदनाम करने भाजपा जो षड्यंत्र कर रही है। इसके लिये पार्टी ने 40 दिन कार्यक्रम करने का निर्देश जारी किया है। प्रदेश भर में रैलियां होगी। 25 अप्रैल को दुर्ग में कार्यक्रम में प्रदेश भर के पदाधिकारी मौजूद रहेंगे। भीषण गर्मी के कारण यह कार्यक्रम 6 बजे से प्रारंभ होगा। हमारी तैयारी पूरी हो गयी है।

 

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