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अन्तर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागरजी महाराज की कुलचाराम से बद्रीनाथ अहिंसा संस्कार पदयात्रा चल रही है आज अष्टापद बद्रीनाथ अहिंसा संस्कार पदयात्र

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  • प्रातःकाल आहारचार्य हतु उत्तराखंड पद विहार

कुलचाराम (विश्व परिवार)। भारत गौरव साधना महोदधि सिंहनिष्कड़ित व्रत कर्ता अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज एवं सौम्यमूर्ति उपाध्याय 108 श्री पीयूष सागर जी महाराज ससंघ का पदविहार देव मैरिज हॉल सोमेश्वर जिला अल्मोड़ा उत्तराखंड से वैष्णवी हिमालयन पेराडाइस होटल एंड रेस्टुरेंट जिला अल्मोड़ा उत्तराखंड दुरी-09.00km के लिए होगा
सत युग पूरा विश्व मेरा परिवार है।त्रेता युग मेरा देश मेरा परिवार है।द्वापर युग मेरा परिवार ही मेरा परिवार है।कलयुग मैं ही मेरा परिवार है।
अब जिन्दगी जीने के मायने बदल गये भाई। जिन्दगी जीना आसान नहीं है। हर हालात के लिए अपने आपको तैयार रखना होगा। मित्र कब दुश्मन बन जाये, अपने कब पराये हो जाये, दवाई कब जहर बन जाये, जहर कब दवाई बन जाये। इसलिए दूसरों के भरोसे नहीं, स्वयं अपने भाग्य के भरोसे जीवन जीयें।
आप अपने बच्चों के भरोसे जीवन नहीं जी सकते। आज के बच्चे मां बाप के बुढ़ापे की लाठी नहीं बल्की वृद्ध आश्रम की व्यवस्था का एक जरिया है इसलिए बच्चे चार प्रकार के — पहला लेनदार बच्चा पिछले जन्म का लेनदार बच्चा। आपके घर में बच्चा बनकर आया है – आप खूब पढ़ाओ, लिखाओ, विवाह करो, कराओ,, वह अपना लेन-देन पूरा करके नो दो ग्यारह हो जायेगा।दूसरा दुश्मन बच्चा पिछले जन्म की आज दुश्मनी निकालेगा, कदम कदम पर अपमान करेगा, दुःख देगा, ना जीयेगा ना जीने देगा।
तीसरा उदासीन बच्चा ऐसा बच्चा ना सुख देता है ना दुःख। कहने को बच्चा है, पर उससे कोई उम्मीद नहीं कर सकते।चोथा सेवक बच्चा पिछ्ले जन्म में, आपने किसी की सेवा की होगी, वही आपके घर में बच्चा बनकर आया है। ऐसा बच्चा मां बाप के नाम को रोशन करता है, उनका हर दुःख अपना दुःख मानता है और मां बाप के लिये जीता है और उनके लिए ही मरता है ।

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