सागर (विश्व परिवार)। संत शिरोमणि आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज के शिष्य एवं आचार्यश्री समयसागरजी महाराज के आज्ञानुवर्ती निर्यापक मुनिश्री 108 योगसागरजी महाराज ससंघ के दर्शन करने के लिए अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन शास्त्रिपरिषद् का प्रतिनिधि दल अंकुर कॉलोनी सागर पहुँचा। इस दल में विद्वत्श्री राजकुमार जैन शास्त्री, विद्वत्श्री पवन जैन दीवान, विद्वत्श्री उदयचन्द जैन शास्त्री, डॉ. हरिश्चन्द जैन, डॉ. शोभालाल जैन, विद्वत्श्री अनिल जैन शास्त्री और डॉ. आशीष जैन आचार्य शाहगढ़ संयुक्तमंत्री अभादि जैन शास्त्रि परिषद् पहुँचे। मुनिश्री से विविध विषयों पर चर्चा हुई। मुनिश्री ने वर्तमान में, आचार्यश्री के जीवन के अनेक प्रसंग बताएं। उनके द्वारा की गई वाचनाओं से संबंधित संस्मरण सुनाएं। शास्त्रि परिषद् के कार्यो की प्रशंसा की और उन्हें सदा उन्नति करने के लिए आशीर्वाद प्रदान किया। मुनिश्री ने कहा – धर्म की प्रभावना का साधन केवल टीवी नहीं है अपितु उत्तम आचरण और आडम्बर से दूर ही धर्म की प्रभावना का कारण है। ज्ञानी वही है जो राग-द्वेष से परे है, जो हिताहित को जानता है न कि शास्त्रों का जानने वाला ज्ञानी है।
मुनिश्री को शास्त्रि परिषद् की शोध पत्रिका जैन सिद्धान्त उनके करकमलों में भेंट की। इसके पश्चात् प्राकृत भाषा विकास फाउण्डेशन का विधान पत्र भी मुनिश्री के करकमलों में प्रदान किया। अनेक सैद्धान्तिक चर्चाएं पूज्यश्री से हुई। सामाजिक मुद्दों पर भी मुनिश्री का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। 9 मार्च 2025 को आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज की शिक्षाएँ इस विषय पर एक विद्वत्संगोष्ठी के आयोजन की भी रूपरेखा तैयार की गई है।