विश्वभर में प्रसाद का निर्माण मुख्यतः घी के उपयोग से होता है
जैन संवेदना ट्रस्ट ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र शुद्ध घी बनाने वाली फैक्टियों में जांच हो
विश्वभर का शाकाहारी समाज चिंतित क्या भोजन की थाली शुद्ध घी के साथ अभक्ष्य पदार्थों वाली ?
अभक्ष्य पदार्थों की मिलावट शाकाहारी थाली के लिए चिंताजनक
रायपुर(विश्व परिवार)। भगवान तिरुपति मंदिर जी के लड्डू प्रसादम में गाय व अन्य जानवरों की चर्बी और मछली के तेल जैसे अभक्ष्य पदार्थों के इस्तेमाल की रिपोर्ट आने के बाद से सम्पूर्ण शाकाहारी समाज की भावनाएं आहत हुई है । जैन संवेदना ट्रस्ट के महेन्द्र कोचर व विजय चोपड़ा ने कहा कि सवाल केवल तिरुपति मंदिर जी के प्रसाद का नही है , विश्वभर के मंदिरों में प्रसाद बनाए व भगवान को भोग लगाए या चढ़ाए जाते हैं , और ज्यादातर प्रसाद में घी का उपयोग होता ही है । मिठाई या लड्डू बनाने में उपयोग में आने वाली अन्य सामग्री में अभक्ष्य पदार्थों की मिलावट की संभावना नगण्य होती है केवल शुद्ध घी में ही इन अभक्ष्य पदार्थों की मिलावट की जा रही है । जैन संवेदना ट्रस्ट के महेन्द्र कोचर व विजय चोपड़ा ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की है कि शुद्ध घी बनाने वाली फैक्ट्रियों में कड़ी जांच कर यह सुनिश्चित किया जावे की घी में अभक्ष्य पदार्थों की मिलावट न हो । उन्होंने आगे बढ़कर कहा कि केवल भगवान व मंदिरों में प्रसाद की बात नही है यह सम्पूर्ण शाकाहारी समाज के लिए चिंता व परेशानी की बात है कि भोजन में शुध्द घी का उपयोग कैसे करें । कोचर व चोपड़ा ने कहा कि शुद्ध घी में गाय माता व अन्य पशुओं की चर्बी की मिलावट अत्यंत चिंता व धार्मिक आस्था पर चोट करने का विषय है , और हमारी गाय माता के कटने व हत्या करने का कारण भी है , प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी से निवेदन है कि घी में मिलावट को रोकने से पशुधन के विनाश को भी रोका जा सकेगा । सबसे महत्वपूर्ण शाकाहारी भोजन की शुद्धता को बरकरार रखना जरूरी है , जैसा अन्न वैसा मन – हमारी संस्कृति को बचाने के लिए शुद्ध भोजन बहुत आवश्यक है । शुद्ध घी का उपयोग कैसे करें ।