(विश्व परिवार)। समाज का हर व्यक्ति आज तनाव से ग्रसित होते जा रहा है वर्तमान में लगभग 95% व्यक्ति तनाव से ग्रसित हैं , लेकिन इस बीमारी से मुक्त होने का इलाज किसी वैज्ञानिक या डॉक्टर के पास नहीं हैं। तनाव की वजह से हमारे घर एवं समाज में सामंजस्य करने में बाधाएं आ रही हैं मनुष्य अनेक बीमारियों शुगर,बी.पी. आदि से पीड़ित हो रहे हैं। तनाव छोड़कर मुक्त रहेंगे तभी हम स्वस्थ रहेंगे। समाज में रहने वाले लोग स्वस्थ रहेंगे तथा स्वस्थ समाज का निर्माण होगा उक्त बाते आज महात्मा गाँधी महाविद्यालय में जैन मुनि आचार्य अरविन्द जी महाराज ने कहा – मन की चंचलता ही तनाव का मूल कारण हैं इसे ही काबू में लाना हैं ,जीवन को जीना हैं तो करुणा, दया, भाव से जियो प्रेम से जियो। मनुष्य में भावनात्मक विकास होना जरुरी हैं ,भावनात्मक विकास होने से मनुष्य में दया एवं करुणा की भावना उत्पन्न होगी ,जहाँ भावनात्मक विकास होता हैं वहाँ दो परिवारों के मध्य टकराव नहीं होता हैं , क्योंकि व्यक्ति एक – दूसरे की भावना का सम्मान करता हैं। संसार का सबसे श्रेष्ठ प्राणी मनुष्य हैं। 84 लाख योनियों में मनुष्य ही एकमात्र ऐसा प्राणी हैं जो अपनी समस्त भावनाओ को व्यक्त कर सकता हैं ,परन्तु वर्तमान समय में भाग- दौड़ की जिंदगी में इतना व्यस्त हो गया हैं कि वह अपनी खुशियाँ बाटना बंद कर तनाव में रहना प्रारंभ कर दिया हैं ,उनके पास अपने माता -पिता घर परिवार किसी के लिए समय नहीं हैं ,उनमें ये भावना उत्त्पन्न करनी हैं कि माता -पिता ही हमारे प्रथम भगवान हैं ,उनके साथ एवं उनके आशीष से ही हम तनाव मुक्त हो सकते हैं। साथ ही हम श्रीमद भगवत , रामायण जैसे ग्रंथो का अध्ययन करे जो हमें हमारे संस्कार एवं संस्कृति से जोड़ती हैंI तनाव से मुक्त होने के लिए मन की चंचलता को काबू करे ,मन की चंचलता को काबू करने के लिये सभी ध्यान,योग ,पूजा -पाठ के लिए समय निकाले। ध्यान एक महत्वपूर्ण साधन हैं जो तनाव से मुक्त करता है। इस अवसर पर डॉ. सुरेश शुक्ला छत्तीसगढ़ प्राइवेट कॉलेज एसोसिएशन के अध्यक्ष ,श्री सिद्धार्थ प्रमोद दास संचालक महात्मा गाँधी महाविद्यालय, डॉ. सोनाली चन्नावार प्राचार्य महात्मा गाँधी महाविद्यालय ,अन्य प्राध्यापकगण एवं समस्त विद्यार्थियों ने व्याख्यान में उपस्थित होकर तनाव मुक्त जीवन जीने की शैली को सीखा ।