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तीर्थराज सम्मेद शिखर की पावन पवित्रता अब खतरे में होने लगी कैंपिंग…

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रायपुर { विश्व परिवार } :  प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण धरती का स्वर्ग एक बार बंदे जो कोई ताहि नरक पशुपति नहीं होई ऐसे महान तीर्थराज सम्मेद शिखर की बात है । ऐसे पवित्र पावन तीर्थ स्थलों का कण-कण पूजनीय वंदनीय अभिनंदनीय होता है । तीर्थ स्थलों की पावन भूमि अनंतानंत जीवों के तप त्याग और साधना की रज से पवित्र होती है जिस जगह से करोड़ों करोड़ों जीवों ने संसार शरीर और भोगों को त्याग के तप त्याग और साधना के मार्ग को अपनाकर संसार बंधन से मुक्त हो मोक्ष को प्राप्त किया ऐसे स्थल को अपवित्र करना कितना घोर पाप का बंध का कार्य हो रहा है। तीर्थ स्थलों पर जन्मों जन्मों के पापो का नाश और पुण्य का संचय होता हैं । ऐसे तीर्थ स्थल पतित से पावन कंकर से शंकर नर से नारायण बनने के लिए होते है । आज के कलयुग में हमे केसे केसे नजारे देखने को मिल रहे है।अभी हाल ही में तीर्थराज के विमल नाथ भगवान सुबीर कूट के पास कैंपिंग लगाई गई यह जानकारी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही थी । ये लोग जब कैंपिंग करते है तो उसमे सभी कुछ अनैतिक कार्य किए जाते हैं । यह वासना की नहीं साधना की भूमि हैं ।

इस घटना क्रम से कुछ दिनों पहले कुछ लोग तीर_धनुष कुल्हाड़ी फरसा बीजर लाठी_डंडा लेकर पारसनाथ पर्वत पर चढ़े थे , पर्वत के चारों तरफ जंगलों का भ्रमण कर जानवरों का शिकार किया था जंगली जानवरों के शिकार का अंश ( मांस ) पूरे समाज में वितरित करने की उनकी वर्ष में एक बार करने की परंपरा है । इसके बाद कार्यक्रम का समापन होता है। अहिंसा के पवित्र पावन स्थान पर हिंसा का घोर तांडव क्यों नृत्य हो रहा है संपूर्ण भारत का जैन समाज देख रहा है ये प्रकृति में विकृति का बहुत बड़ा कारण बनता है। जब जब मानव ने प्रकृति के आयामों के साथ खिलवाड़ किया है तब तब प्रकृति में विकृति आई हैं। हमे प्रकृति में संस्कृति का शंखनाद करना चाहिए।प्रकृति में विकृति का सबसे बड़ा रूप कोरोना को सबने देखा जाना। पूजनीय वंदनीय अभिनंदनीय पवित्र पावन स्थल को अपवित्र किया जा रहा है ।कुछ वर्ष पहले पूर्व मुख्यमंत्री जी के द्वारा हमारे तीर्थराज पर्वत पर मांझी समाज के लोगो वास्ते मंदिर बनाने के लिए भूमि पूजन का कार्य किया गया था। हाल ही में अभी कुछ दिनों पूर्व मधुबन में पत्नी कल्पना संग सीएम हेमंत ने दिशोम मांझीथान में की पूजा, चार पशुओं की दी गयी बलि के समाचार सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुवे। ये संपूर्ण भारत वर्ष की जैन समाज के लिए बेहद दुखद शर्मनाक कलंकित घटना होगी। कलयुग की ये कैसी बलिहारी है पाप और हत्याचार सब धर्म स्थल पर पड़ रहे भारी है।

तीर्थ क्षेत्र गिरनार की जो वर्तमान समय में कैसी स्थिति है सब को पता है। इंदौर में गोमट गिरी तीर्थ पर दूसरे समाज के लोगो को रास्ता के लिए जगह देनी पड़ी। आज तक जैन समाज के लोगो ने कभी किसी अन्य संप्रदाय के क्षेत्रो पर नाजायज कब्जा नही किया तो फिर हमारे साथ ही ऐसा क्यों होता है । ये मेरी समझ में नही आ रहा है । जैन समाज के जितने भी जितने भी तीर्थ क्षेत्र अतिशय क्षेत्र सिद्ध क्षेत्र है उनकी पवित्र पावनता शुद्धता ज्यो की त्यों बनी रहनी चाहिए। ऐसा प्रयास किया जाना चाहिए। तीर्थों को पर्यटन स्थल नहीं अपितु जैन तीर्थ घोषित करना चाहिए। उनके चारो ओर बाउंड्री वॉल करवा देना चाहिए। ताकि उनकी प्राचीनता, पुरातत्वता, पावनता, भव्यता ज्यों की त्यों बनी रहे। मैं राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी पारस जैन पार्श्वमणि पत्रकार शासन प्रशासन और जैन समाज की बड़ी बड़ी संस्थाओं के प्रतिनिधि मंडल से आत्मीय निवेदन करता हूं कि इस विषय को गंभीरता से लेवे। और तीर्थ स्थलों की पवित्रता बनाए रखे।

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