” भारतीय संस्कृति के संवर्द्धन में आचार्य विद्यासागर महामुनिराज का अवदान ” विषय पर महावीर नगर में तीन दिवसीय राष्ट्रीय विद्वत संगोष्ठी के दूसरे दिन विद्वानों ने पढे आलेख
जहां कषाय, राग और मोह साथ में है वहां नियम से अशुद्धोपयोग होगा- प्रणम्य सागर महाराज
जयपुर(विश्व परिवार)। संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महामुनिराज के परम प्रभावक शिष्य अर्हं ध्यान योग प्रणेता मुनि 108 प्रणम्य सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में महावीर नगर में ” भारतीय संस्कृति के संवर्धन में आचार्य विद्यासागर महामुनिराज का अवदान” विषयक तीन दिवसीय राष्ट्रीय विद्वत संगोष्टी के दूसरे दिन कई विद्वानों ने आचार्य विद्यासागर महामुनिराज के भारतीय संस्कृति के संवर्धन में योगदान पर अपने आलेख पढे। शनिवार को दोपहर में संगोष्ठी का समापन होगा।
शुक्रवार को अर्हम ध्यान योग प्रणेता मुनि प्रणम्य सागर महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि पर द्रव्य के कारण जो उपयोग होता है वह अशुद्ध उपयोग होता है क्योंकि जहां कषाय, राग और मोह साथ-साथ में है वहां नियम से अशुद्धोपयोग होगा।दर्शन मोहनिया एवं चरित्र मोहनिया के क्षयोपशम से शुभ उपयोग होता है यह शुभ उपयोग शुद्ध उपयोग का मार्ग प्रशस्त करता है जो 12वें गुणस्थान में होता है।
अध्यक्ष अनिल जैन एवं मंत्री सुनील बज ने बताया कि संगोष्ठी का प्रथम सत्र प्राचार्य शीतल प्रसाद की अध्यक्षता में सुबह 8:00 बजे प्रारंभ हुआ।
जिसमें कुंडलपुर से आये अमित भैया ने भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में हस्तकरघा, उद्योग क्रांति का योगदान पर अपना आलेख पढ़ते हुए कहा कि आचार्य श्री अर्थ का मतलब समझते हुए कहते थे कि प्रतिभा और प्रतिभावान लोग ही वास्तविक अर्थ है। जहां प्रतिभा का संकलन होता है, वहां उन्नति अपने आप आ जाती है। दूसरे वक्ता डॉ. सोनल शास्त्री ने काव्यशास्त्र दृष्टि में मूक माटी मीमांसा विषय पर अपना आलेख पढ़ते हुए कहा साहित्य वही है जो हित के सहित हो। डॉक्टर श्रेयांश कुमार ने अपने आलेख में कहा कि शुद्ध उपयोग अविरत को कभी हो नहीं सकता। यह शुद्ध उपयोग मुनि अवस्था में ही होता है। आचार्य श्री कहते थे कि समता का भाव छूटेगा तो श्रमणता भी छूट जाएगी।
अंत में डॉ शीतल प्रसाद ने अध्यक्षीय उदबोधन दिया। संगोष्ठी में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित प्रोफेसर फूलचंद शास्त्री सहित पूरे देश से अनेक विद्वान पधारे है। सभा का संचालन प्रोफेसर अनेकांत जैन ने किया।
इससे पूर्व समाजश्रेष्ठी शीतल-निर्मला, अनमोल कटारिया
परिवार ने चित्र अनावरण, दीप प्रज्वलन, पाद प्रक्षालन एवं शास्त्र भेट का सौभाग्य प्राप्त किया। इस मौके पर राजस्थान जैन सभा जयपुर के मंत्री विनोद जैन कोटखावदा, राजस्थान जैन युवा महासभा जयपुर के जिला महामंत्री सुभाष बज,
आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर मीरा मार्ग के अध्यक्ष सुशील पहाड़िया, मंत्री राजेन्द्र सेठी, सीए मनोज जैन,राजेश काला, अरुण श्रीमाल, एवं
मन्दिर समिति के अध्यक्ष अनिल जैन, उपाध्यक्ष दर्शन बाकलीवाल, मंत्री सुनील बज, सह मंत्री पवन जैन, कोषाध्यक्ष गिरीश बाकलीवाल, समाजश्रेष्ठी सुरेंद्र पांड्या, जस्टिस एन के जैन, सुधीर कासलीवाल नमन वास्तु सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे ।
मंत्री सुनील बज ने बताया कि महावीर नगर के दिगम्बर जैन मंदिर में शनिवार को प्रातः 7.30 बजे से संगोष्ठी का प्रथम सत्र शुरू होगा। प्रातः 8.30 बजे मुनि प्रणम्य सागर महाराज के मंगल प्रवचन होगें । तत्पश्चात संगोष्ठी का समापन होगा। इस मौके पर सभी विद्वानों का प्रबंध समिति की ओर से सम्मान किया जाएगा। मीडिया प्रभारी विनोद जैन कोटखावदा के मुताबिक 27 अक्टूबर को प्रातः 7.00 बजे से 8.00 बजे तक महावीर साधना केन्द्र पर अर्हं ध्यान योग शिविर होगा, प्रातः 8.30 बजे से शांतिनाथ पूजा विधान का संगीतमय आयोजन होगा। दोपहर में जैन डाक्टर्स कांफ्रेंस होगी। 28 अक्टूबर को प्रातः 9.15 बजे महावीर नगर में मंदिर का भूमि पूजन एवं शिलान्यास होगा। मुनि संघ का 29 अक्टूबर तक महावीर नगर में ही प्रवास रहेगा।