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दस दिन तुम्हारे ऐसे संस्कार के बन जायेंगे की दस भव के पापोंको भी दूर करने को सामर्थ्य रख देंगे ये दस दिन : आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज

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रायपुर { विश्व परिवार } :  नांदणी में आचार्य विशुद्ध सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में और जिनसेन भट्टारक स्वामीजी के नेतृत्व में जैन समुदाय के दशलक्षण महापर्व का प्रथम दिन उत्तम क्षमा धर्म के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर मंदिरों में विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की गई। विद्वान पंडितों, श्रावक – श्राविकाओं के सानिध्य में दशलक्षण पूजन जयकारों और भजनों से नांदणी निशिदिका में पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। मंदिरों में बिजली की आकर्षक साज-सज्जा की गई है।
आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज जी ने कहा- मित्र को फोन करो भाई पर्युषण पर्व के 10 दिन बजार की गलियो में नहीं घुमना हैं | मंदिर की सिडीयों पर चढकर के भगवान के दर्शन करना हैं |जिनालय में जाना हैं |दस दिन तुम्हारे ऐसे संस्कार के बन जायेंगे की दस भव के पापोंको को भी दूर करने को सामर्थ्य रख दे ये दस दिन |दशलक्षण पर्व का प्रारंभ क्षमाधर्म से होता है। ‘क्षमूष्’ धातु सहन करने अर्थ में है उस से यह ‘क्षमा’ शब्द बना है।

आचार्यों ने क्रोध को अग्नि की उपमा दी है उसे शांत करने के लिए क्षमा जल ही समर्थ है।जैसे जल का स्वभाव शीतल है वैसे ही आत्मा का स्वभाव शांति है।जैसे अग्नि से संतप्त हुआ जल भी जला देता है वैसे ही क्रोध से संतप्त हुई आत्मा का धर्मरूपी सार जलकर खाक हो जाता है।क्रोध से अंधा हुआ मनुष्य पहले अपने आपको जला लेता है पश्चात् दूसरों को जला सके या नहीं भी। क्षमा के लिए बहुत उदार हृदय चाहिए, चंदन घिसने पर सुगंधि देता है, काटने वाले कुठार को भी सुगंधित करता है और गन्ना पिलने पर रस देता है। उसी प्रकार से सज्जन भी घिसने-पिलने से ही चमकते हैं। क्रोध से कभी शांति नही हो सकती है। कभी बैर से बैर का नाश नही हो सकता है। खून से रंगा हुआ वस्त्र कभी भी खून से साफ नही हो सकता है। अत: सहनशील बनकर सभी के प्रति क्षमा का भाव रखना चाहिए। दूसरों द्वारा हास्य, कटुक, कडुवे शब्दों के बोलने पर भी अपने को शांत रखने का ही प्रयास करना चाहिए। नांदणी के दिगम्बर जैन मंदिर में जैन धर्म के सबसे बड़े पर्व दशलक्षण महापर्व का आगाज हुआ है | रविवार को पहले दिन उत्तम क्षमा धर्म को अपने भावों में धारण कर मंदिरों में श्रीजी का कलशाभिषेक एवं शांतिधारा का आयोजन हुआ । सभी श्रावक और श्राविकाएं जिनेन्द्र आराधना करके और श्रद्धा-भक्ति के साथ अष्ट द्रव्यों के साथ पूजन आराधना किया | नांदणी में आचार्य विशुद्ध सागर महाराज के सानिध्य में दशलक्षण पर्व विधान पूजन का भव्य आयोजन प्रारम्भ हुआ |

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