Home धर्म ज्यादा सोचना भी एक जहर है, जीने के लिए..क्योंकि बहुत मुश्किल है...

ज्यादा सोचना भी एक जहर है, जीने के लिए..क्योंकि बहुत मुश्किल है मरने तक, जिन्दा रहने के लिए..

30
0

(विश्व परिवार)। आदमी अपने मन और बुद्धि के कारण से ही परेशान और दु:खी है। आदमी का चंचल मन और ज्यादा बुद्धि होने की खुजलाहट ही जीवन के अस्तित्व के लिए खतरा बनती जा रही है।
किसने सोचा था कि–? हमारी बुद्धिमत्ता ने अपना कृत्रिम रूप बनाकर ही खतरा मोल ले लिया,, मतलब – बन्दर के हाथ में छुरी देना। आज 03 साल के बच्चे से लेकर, 93 साल तक के बुजुर्ग बाबा जी को मोबाइल की बिमारी ने कसकर पकड़ लिया है। इसलिए कह रहा हूँ कि आज भौतिक, आधुनिक, कृत्रिम संसाधनों ने,, हमारे घर, परिवार, समाज और देश की सुख शान्ति खत्म करके, आदमी को अमृत सा जहर देकर संस्कारों की हत्या, माता पिता के प्रति गैर जिम्मेदारी और सम्पूर्ण मानव जाति के लिए खतरा, एवं जीवन की सारी प्राइवेसी खत्म सी कर दी है।
आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ए.आई) का इस्तेमाल शुरू ही हुआ है, कि इसे लेकर तमाम तरह की चिन्तायें – आशांकाएं सामने आने लगी है। जैसे ~ आज का आदमी चिन्ताओं से घिरा, कर्ज में डूबा, डाॅक्टर और वकील के जाल में फंसा और समय से पहले बुजुर्ग कर दिया और भौतिक, आधुनिक, कृत्रिम संसाधनों के गलत इस्तेमाल की चिन्ताओं व आशंकाओं ने आप हमको सोचने को मजबूर कर दिया कि – राम जाने क्या होगा आगे…!!!।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here