डोंगरगढ़(विश्व परिवार) | श्री दिगम्बर जैन मंदिर डोंगरगढ़ में पर्युषण महापर्व कि धूम मची है | दिनांक 13/09/2024 को एक कार्यक्रम का आयोगन श्री दिगम्बर जैन पंचायत समिति डोंगरगढ़ के तत्वाधान में किया गया जिसमे दिगम्बर जैन मेधावी छात्र एवं छात्राओं को जिन्होंने दसवी एवं बारहवी में 75 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किया है – कु. आर्या जैन एवं आदि जैन को श्रीफल, साल, तिलक लगाकर एवं मोमेंटों प्रदान कर उनका सम्मान किया गया एवं उनके उज्जवल भविष्य कि कामना कि गयी | इसी प्रकार जिन बच्चों ने उपनयन संस्कार शिविर में सम्मिलित हुए थे उनको भी तिलक लगाकर, गिफ्ट एवं मैडल भेंट कर उनका सम्मान किया एवं उनके उज्जवल भविष्य कि कामना कि गयी | इसी तारतम्य में श्रीमती आशा बिरेन्द्र जैन को चौका शिरोमणि कि उपाधि से नवाज़ा गया और उनको तिलक लगाकर, श्रीफल एवं साल भेंट कर सम्मान किया गया | इन्होने आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी के आशीर्वाद से अपनी दो बेटियों नेहा दीदी एवं शुभी दीदी जो कि आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत, प्रतिभास्थली एवं हाथ करघा में अपनी सेवा प्रदान कर रही है | श्रीमती आशा बिरेन्द्र जैन के द्वारा जब भी कोई साधू या साध्वी चंद्रगिरी या डोंगरगढ़ में आते हैं तो इनके द्वारा प्रतिदिन चौका लगाया जाता है और बहुत सारे स्वादिष्ट व्यंजन बनाने में भी काफी मशहूर हैं | श्रीमती शालिनी नीरज जैन को बच्चों को पाठशाला पढ़ाने एवं मंदिर जी और शास्त्रों कि सेवा करने के लिये तिलक लगाकर, श्रीफल एवं साल भेंट कर सम्मान किया गया | स्वर्गीय श्री दिलीप जैन कि धर्म पत्नी त्रिशला जैन को उनके पति द्वारा भगवान कि आरती एवं शोभा यात्रा में 50 वर्षों से उत्कृष्ट तबला वादन के लिये तिलक लगाकर, श्रीफल एवं साल भेंट कर सम्मान किया गया | श्री प्रखर जैन को PSC Exam पास करने एवं अधिकारी पद प्राप्त करने पर तिलक लगाकर, श्रीफल एवं साल भेंट कर सम्मान किया गया | श्री दिगम्बर जैन पंचायत समिति डोंगरगढ़ के अध्यक्ष श्री अनिल कुमार जैन ने बताया कि यह कार्यक्रम करने का उद्देश्य प्रतिभावान बच्चों एवं उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगो का सम्मान कर सभी को इस प्रकार से प्रोत्साहित किया जाता है कि वे भी अपने जीवन में उत्कृष्ट कार्य कर अपना और अपने समाज का नाम रोशन कर सकते हैं | श्री दिगम्बर जैन पंचायत समिति डोंगरगढ़ के कोषाध्यक्ष श्री जय कुमार जैन ने कहा कि बच्चों को संस्कारित करना बहुत महत्वपूर्ण हैं जो मंदिर और पाठशाला आये बिना संभव नहीं है | जिससे बच्चे जीने कि कला सीखते हैं और हमेशा सद्कार्य में लगे रहते हैं |