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एसआरयु में “भारतीय प्रवासन, प्रवास और विकास” विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का शुभारम्भ

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रायपुर(विश्व परिवार)। श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़ ने “इंडियन डायस्पोरा, माइग्रेशन एंड डेवलपमेंट: अ मल्टीफेसेटेड” विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का सफल उद्घाटन हुआ। यह वेबिनार 20 अगस्त, 2024 से प्रारंभ होकर क्रमश: तीन दिनों तक चलेगा। इस महत्वपूर्ण आयोजन को ऑनलाइन गूगल मीट के माध्यम से आयोजित किया गया, यह वेबिनार को भूगोल विभाग और पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया जा रहा है।
वेबिनार का उद्घाटन कुलपति प्रो. एस.के. सिंह, रजिस्ट्रार डॉ. सौरभ कुमार शर्मा और कला संकायाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) मनीष के. पाण्डेय द्वारा किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में केएनओएमएडी और आईआईएमएडी के संस्थापक अध्यक्ष; सेंटर फॉर डेवलपमेंट स्टडीज (सीडीएस), केरल के पूर्व प्रोफेसर प्रो. एस. इरुदया राजन, और विशिष्ट अतिथि एवं की नोट स्पीकर सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ गुजरात, गांधीनगर, गुजरात के प्रवासी अध्ययन केंद्र के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) नरेश कुमार भी शामिल थे। वेबिनार की समन्वयक डॉ. सुनीता सोनवानी और डॉ. संतोष कुमार ने देशभर से विद्वानों, विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं के विविध समूह को एक मंच पर साथ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ. संतोष ने विषय प्रवेश कराते हुये बताया कि भारतीय प्रवासी, प्रवास और विकास के विभिन्न आयामों का अध्ययन करते हुए लगभग 100 उच्च गुणवत्ता वाले शोध पत्र प्राप्त हुए हैं, जो इन विषयों की गहन समझ में सहायता करेंगे। इस वेबिनार में लगभग 150 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।
प्रो. राजन ने अपने मुख्य भाषण में भारतीय प्रवासन के उस व्यापक संभावित क्षेत्र के बारे में बताया, जो अभी भी काफी हद तक अनछुआ है। उन्होंने भारत के विकास के लिए प्रवासी क्षमताओं का बेहतर उपयोग करने के लिए प्रवासी फैलोशिप जैसी योजनाओं की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि भारतीय प्रवासी बहुत व्यापक और प्रभावशाली क्षेत्र है, लेकिन इस समुदाय को और अधिक प्रभावी ढंग से शामिल करने के लिए अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
प्रो. (डॉ.) नरेश कुमार ने अपने संबोधन में भारतीय प्रवासी और संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के मध्य संबंधों को बताते हुये प्रवास के वैश्विक प्रभावों पर चर्चा की और इस बात की तरफ ध्यान आकर्षित किया कि विशेष रूप से गुजरात में प्रवासी समुदायों ने स्थानीय और वैश्विक विकास दोनों पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। डॉ. कुमार की अंतर्दृष्टियों ने यह समझने में मदद की कि प्रवासन के विभिन्न पैटर्न कैसे व्यापक व सतत विकास के लक्ष्यों में योगदान करते हैं।
कुलपति, प्रो. एस.के. सिंह ने भारत के विकास में प्रवासी समुदाय के योगदान का एक गहन अवलोकन प्रस्तुत किया। उन्होंने आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रवासी समुदाय की संभावनाओं को पहचानने और उनका लाभ उठाने के महत्व को रेखांकित किया। रजिस्ट्रार, डॉ. सौरभ कुमार शर्मा ने आगे प्रवासी समुदाय के महत्व पर विस्तार से चर्चा की, और राष्ट्रीय विकास प्रयासों में भारतीय प्रवासन को शामिल करने के लिए एक रणनीतिक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया।
इस वेबिनार ने प्रतिभागियों को वैश्विक विकास में भारतीय प्रवासी के विविध योगदानों पर विद्वतापूर्ण चर्चाओं में भाग लेने के लिए एक मंच प्रदान किया। विषयों में प्रवासी समुदायों के सांस्कृतिक संरक्षण के प्रयासों से लेकर रेमिटेंस के आर्थिक प्रभाव तक शामिल थे। चर्चाओं ने प्रवासी के योगदान की बहुआयामी प्रकृति और इस क्षेत्र में निरंतर शोध और भागीदारी की आवश्यकता को रेखांकित किया।
उद्घाटन सत्र के समापन पर कला संकायाध्यक्ष डॉ. मनीष कुमार पाण्डेय ने सभी प्रतिभागियों, वक्ताओं, विश्वविद्यालय के नेतृत्व और वेबिनार को सफल बनाने सहयोग देने वाले कर्मचारियों का हार्दिक आभार व्यक्त किया। इस महत्वपूर्ण अवसर पर डॉ. नरेश गौतम, डॉ. अंजली यादव, सुश्री मनीषा बोस, डॉ. अवधेश्वरी भगत, डॉ. पुष्पा भारती, डॉ. अर्चना तुपट, डॉ. चित्रा पाण्डेय, डॉ. सुजाता घोष, डॉ. राशि, डॉ. केवल राम चक्रधारी, डॉ. पायल, श्रीमती साधना देवांगन, सुश्री सम्प्रीति भट्टाचार्य, श्री शिशिर चंद्र छत्तर, श्री निरंजन कुमार आदि भी उपस्थित रहे।
दूसरे सत्र के टेक्निकल सेशन में प्रतिभागियों ने अपने रिसर्च पेपर में वैश्विक विकास में प्रवासी भारतीयों के विविध योगदानों की चर्चा की। प्रतिभागियों ने प्रवासी भारतीय संबंधी शोध और सहभागिता की आवश्यकता पर अपने विचार रखे। यह तीन दिवसीय वेबिनार वैश्विक प्रवासन को आकार देने और विभिन्न क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देने में भारतीय प्रवासी की भूमिका पर महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टियाँ प्रदान करेगा। इस आयोजन की विश्वविद्यालय के प्रो-चांसलर श्री हर्ष गौतम द्वारा अत्यधिक सराहना की गई और विश्वविद्यालय के चांसलर अनंत विभूषित श्री रविशंकर जी महाराज द्वारा आशीर्वाद प्राप्त हुआ।

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