Home रायपुर तप से होती है कर्मों का संवर व निर्जरा

तप से होती है कर्मों का संवर व निर्जरा

26
0

डीडी नगर जैन मंदिर में श्रावक कर रहे धर्म प्रभावना

रायपुर(विश्व परिवार)। डीडी नगर स्थित 1008 श्री वासूपूज्य दिगंबर जैन मंदिर में दशलक्षण पर्व के अवसर पर प्रतिदिन जैन धर्मावलंबी तप, साधना में लीन होकर आराधना कर रहे हैं। दस दिवसीय पर्व के सातवें दिन उत्तम तप धर्म मनाया गया। इस अवसर पर कंटगी मध्यप्रदेश से आए बाल ब्रह्मचारी अरूण भैया ने कहा कि तप से मन की इच्छओं का निरोध करना है उत्तम तप धर्म है। तप शक्ति के अनुसार किया जाना चाहिए। दैनिक जीवन में भी रात्रि भोजन का त्याग करना, व्रतों के दौरान एकासन, उपवास, रसी का त्याग करना आदि तप है जिसकी सतत साधना करने से हम मोक्ष की राह के पथिक बन जाते हैं। उन्होंने कहा कि तप से हमारे परिणामों में निर्मलता आती है। तप की क्रियाओं के माध्यम से ऐसा धर्म, आचरण करें कि कर्मों का संवर तथा निर्जरा हो सके। तप ही आत्मा को कर्म मल रहित करता है। तप की साधना करने वाला परिषह-उपसर्ग आदि आने पर भी रत्नत्रय धर्म से च्युत नहीं होता। तप किए बिना संसार से छुटकारा संभव नहीं है। संध्याकालीन विविध धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रम कराये जा रहे हैं। इसी कड़ी में श्री दिगंबर जैन सेवा समिति द्वारा जैन आगम व भजनों पर आधारित क्विज प्रोगाम कराया गया, जिसमें चार टीम बनाकर कई चरणों के आधार विनर घोषित किया गया। वहीं आदिश्वर महिला मंडल द्वारा पूर्व में कौन बनेगा धर्म शिरोमणि आयोजित किया गया जिसमें पहेलियों, प्रश्नोत्तरी के आधार पर टीम बनाकर विजेताओं का चयन किया गया। प्रतियोगिताओं में प्रिया जैन, शशि जैन, आशीष जैन, एम के जैन, अमिता जैन आदि विनर रहे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here