Home छत्तीसगढ़ जनजातीय समाज का वन से है गहरा रिश्ता – सीएम साय

जनजातीय समाज का वन से है गहरा रिश्ता – सीएम साय

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  • जनजातीय समुदायों के लिए वन आधारित आजीविका पर कार्यशाला

रायपुर (विश्व परिवार)। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जनजातीय समुदायों के लिए वन आधारित आजीविका पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ किया. एक दिवसीय कार्यशाला में राष्ट्रीय स्तर के विषय विशेषज्ञ वन-आधारित आजीविका और सतत् वन प्रबंधन जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपने संबोधन में कहा कि जनजातीय समाज का वन से गहरा रिश्ता है. उन्होंने इस आयोजन के लिए वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और नीति आयोग का आभार व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि वे 60 वर्ष के हो चुके हैं और 35 साल का राजनीतिक सफर देख चुके हैं. उन्होंने अपने बचपन को याद करते हुए कहा कि तब वनोपज का सीधा लाभ लिया जाता था. इस दौरान देश और जनजातीय समाज में काफी विकास हुआ है. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को नमन करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के 44त्न भू-भाग में वन हैं और राज्य की 31% आबादी जनजातीय समुदाय से आती है. उन्होंने कहा कि पहले विधानसभा चुनाव में भाजपा को जनादेश मिला, जिसके बाद छत्तीसगढ़ विकास की ओर अग्रसर हुआ. आज प्रदेश की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (काठस्) व्यवस्था पूरे देश में मशहूर है।
उन्होंने कहा कि वनोपज की खरीदी के लिए प्राधिकरण का गठन किया गया और बस्तर एवं सरगुजा संभाग में विकास सुनिश्चित करने के है।
लिए दो प्राधिकरण बनाए गए मुख्यमंत्री ने कहा कि जनजातीय समाज का काफी विकास हुआ है और सरकार ने वन अधिकार पट्टा देकर उन्हें उनके हक दिलाने का कार्य किया है. इस कार्यशाला का उद्देश्य यह समझना है कि वनोपज के माध्यम से जनजातीय समाज का विकास और कैसे किया जा सकता है।
कैबिनेट मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि हमारी जनजातीय संस्कृति और वन संपदा देशभर में समृद्ध है. आने वाले समय में इसे संजोए रखने के लिए लगातार मंथन करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय के लिए वन आधारित जीवकोपार्जन के अवसरों पर यह कार्यशाला महत्वपूर्ण है. वनों के संरक्षण पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि इससे भविष्य सुरक्षित रहेगा और आने वाली पीढ़ियों को भी इसका लाभ मिलेगा, साथ ही, हमारे फॉरेस्ट अधिकारियों को खास ध्यान रखने की जरूरत है।

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