Home देश- विदेश राष्ट्रपति बनते ही ट्रंप का धमाका-78 ऑर्डर्स पर हस्ताक्षर

राष्ट्रपति बनते ही ट्रंप का धमाका-78 ऑर्डर्स पर हस्ताक्षर

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  • मेक्सिको बॉर्डर पर इमरजेंसी सहित किए 10 बड़े ऐलान

नई दिल्ली (विश्व परिवार)। डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले दिन एक के बाद एक 80 एग्जीक्यूटिव ऑर्डर्स पर साइन कर सबको चौंका दिया। ट्रंप ने पिछली बाइडन सरकार की नीतियों को पलट दिया। साथ ही कैपिटल हिंसा के सभी आरोपियों को माफ करने के ऑर्डर पर भी साइन कर दिए ट्रंप ने इन ऑर्डर्स पर वाशिंगटन डीसी में जनता के सामने साइन किए। ट्रंप ने शपथ ग्रहण के बाद अपने पहले भाषण में कहा कि मेरी प्राथमिकता अमेरिकी नागरिकों के हितों की रक्षा करना है। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका को फिर से महान बनाने की मेरी योजना की दिशा में यह पहला कदम है।
ट्रंप ने अमेरिका की पैरिस जलवायु समझौते से बाहर होने के आदेश को भी मंजूरी दे दी। ट्रंप ने कहा कि पैरिस क्लाइमेट डील अमेरिकी उद्योगों के खिलाफ एक साजिश है। यूएस प्रेसिडेंट ने कहा कि अब अमेरिका तेल और गैस उत्पादन को बढ़ावा देगा। हमारी धरती पर तेल और गैस के सबसे बड़े भंडार है। अब हम इसका इस्तेमाल करेंगे। ट्रंप ने राष्ट्रीय ऊर्जा आपातकाल का ऐलान कर दिया। देश में कोयला खनन पर लगी सभी रोक हटा दी। इस फैसले की वजह से ट्रंप का ड्रिल बेबी ड्रिल नारा फिर से चर्चा में आ गया है।
ट्रंप का पहला एग्जीक्यूटिव ऑर्डर सरकारी कर्मचारियों के लिए था। ट्रंप ने कहा कि अब सभी फेडरल स्टाफ अपने वर्कप्लेस से काम करेंगे। ट्रंप ने तत्काल प्रभाव से सभी सरकारी कर्मचारियों के वर्क फ्रॉम होम को रद्द कर दिया। इस आदेश में रिमोट वर्क पूरी तरह से खत्म करने के प्रावधान को मंजूरी दी गई है। ट्रंप ने कहा कि काम का असली मतलब ऑफिस में मौजूद रहना होता है। व्हाइट हाउस ने प्रेसिडेंट के इन सभी फैसले को लेकर विभागों को निर्देश जारी कर दिया है। सभी विभागों को इन एग्जीक्यूटिव ऑर्डर्स को तत्काल प्रभाव से लागू करने का निर्देश दिया है। यह कदम सरकार की कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए उठाया गया है।
डोनाल्ड ट्रंप ने 2021 में हुए कैपिटल हिंसा में शामिल सैकड़ों लोगों को माफी देने का ऐलान किया। उन्होंने इसे देशभक्ति का प्रदर्शन बताया। ट्रंप ने अपने आलोचकों पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले प्रशासन ने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ सरकारी एजेंसियों का हथियार की तरह इस्तेमाल किया। इस माफी को लेकर मानवाधिकार संगठनों ने सवाल उठाए हैं।

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