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एनआईटी रायपुर में “नैनो टेक्नोलॉजी एंड एनवायरनमेंट पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कांफ्रेंस का हुआ उद्घाटन

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रायपुर(विश्व परिवार)। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा विकसित भारत मिशन के अंतर्गत “नैनो टेक्नोलॉजी एंड एनवायरनमेंट (एनसीएनई – 2024)” पर 13 और 14 दिसंबर 2024 को नेशनल कांफ्रेंस आयोजित की जा रही है । इस सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में संस्थान की निदेशक (प्रभारी) डॉ. (श्रीमती) ए. बी. सोनी ने विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित होकर इसे गौरवान्वित किया। मुख्य अतिथि के रूप में आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर डॉ. अनिल वर्मा, विशेष अतिथि के रूप में टस्केगी विश्वविद्यालय, एएल के प्रोफेसर डॉ. विजय रंगारी मौजूद रहे | केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अमित केशव, डॉ. धर्मपाल एवं डॉ. आर. मणिवन्नन इस कार्यक्रम के सचिव हैं। इस ज्ञानवर्धक सम्मेलन में विभाग के विभिन्न फैकल्टी सदस्य, शोधार्थी, छात्र एवं प्रतिभागी शामिल मौजूद रहे। इस कार्यक्रम के मुख्य प्रायोजक डिपार्टमेंट ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी – अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन, तथा सह-प्रायोजक छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् है।
उद्घाटन समारोह की शुरुआत राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम” से हुई, जिसके बाद डॉ. अमित केशव ने ““नैनो टेक्नोलॉजी और पर्यावरण” पर राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे संस्करण में सभी का स्वागत किया। उन्होंने विभाग की उपलब्धियों के बारे में बताते हुए SERB, SRL आदि के सहयोग से आयोजित इस दो दिवसीय हाइब्रिड सम्मेलन की जानकारी दी और कहा कि इस कांफ्रेंस में 60 से अधिक पेपर प्रस्तुत हुए, जिनमें से 50 स्वीकृत किए गए।
डॉ. मानवेंद्र त्रिपाठी ने आईआईटी दिल्ली के डॉ. अनिल वर्मा की विशेषज्ञता का उल्लेख किया, जो सुपरकैपेसिटर, इलेक्ट्रोकेमिस्ट्री और इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादन पर काम कर रहे हैं। डॉ. त्रिपाठी ने रासायनिक अभियांत्रिकी, जैव प्रौद्योगिकी और भौतिकी जैसे क्षेत्रों में नैनो टेक्नोलॉजी के अवसरों को बढ़ावा देने की बात की और विभागों के बीच सहयोग और ज्ञान साझा करने के प्रयासों को महत्व दिया।
डॉ. ए. बी. सोनी ने सम्मेलन में सभी का स्वागत किया और डॉ. मणिवन्नन द्वारा समन्वित इस कार्यक्रम की सराहना की, जिन्होंने कम समय में इस कार्यक्रम का आयोजन किया। विभाग की 20 वर्षों की विशेषज्ञता और 15 वर्षों के शोध कार्य को उजागर करते हुए, डॉ. सोनी ने नैनो टेक्नोलॉजी के आईटी, ऊर्जा, खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण विज्ञान में अनुप्रयोगों पर जोर दिया। उन्होंने मजबूत, हल्के और अधिक टिकाऊ संरचनाओं वाले नैनोपार्टिकल्स और स्वास्थ्य, सौर ऊर्जा संचयन और पेट्रोलियम एवं ऊर्जा की मांग के लिए नैनोस्केल फाइबर के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने प्रतिभागियों को शुभकामनाएँ दी और उन्हें इंटरएक्टिव सत्रों का पूरा लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया |
डॉ. विजय के. रंगारी ने अपनी गहरी विशेषज्ञता साझा की, जो उन्होंने ओस्मानिया विश्वविद्यालय और आईआईएससी बेंगलुरु जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम करते हुए प्राप्त की। उन्होंने नैनो कणों के विकास और उनके थर्मोस्टेट्स और थर्मोप्लास्टिक्स में उपयोग की चर्चा की। डॉ. रंगारी ने अकादमिक और उद्योग के बीच के अंतर को पाटने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने छात्रों और संकाय से सक्रिय भागीदारी की अपील करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम ज्ञान के आदान-प्रदान और कौशल विकास के अनमोल अवसर प्रदान करते हैं, जो नैनो टेक्नोलॉजी में भविष्य के नवाचारों को बढ़ावा देते हैं।
मुख्य वक्ता डॉ. अनिल वर्मा ने वैनाडियम के निष्कर्षण और उपयोग पर प्रकाश डाला। उन्होंने इसे पॉलिमर, कॉस्मेटिक्स, पैकेजिंग, फ्यूल्स और सेमीकंडक्टर्स जैसे क्षेत्रों में दैनिक जीवन के लिए अनिवार्य बताया। डॉ. वर्मा ने केमिकल टेक्नोलॉजी के व्यापक दायरे को रेखांकित किया, जो औद्योगिक उत्पादन से गहराई से जुड़ा हुआ है और 2030 तक 9% की वृद्धि दर के साथ रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने मूर के नियम, नैनो टेक्नोलॉजी और नैनो मैटेरियल्स की महत्ता पर जोर देते हुए बताया कि यह तकनीक औद्योगिक और इंजीनियरिंग क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है। उन्होंने वैनाडियम-आधारित रेडॉक्स फ्लो बैटरियों और उनकी ऊर्जा भंडारण क्षमता के उपयोग पर चर्चा की। साथ ही, उन्होंने ग्लासगो में आयोजित COP26 सम्मेलन में भारत की 5-सूत्रीय योजना का उल्लेख करते हुए नवीकरणीय ऊर्जा और शून्य कार्बन उत्सर्जन के महत्व को दोहराया।
यह सम्मेलन बहु-विषयक सहयोग के लिए आदर्श मंच साबित होगा, जिसमें शोधकर्ताओं और छात्रों द्वारा मौखिक प्रस्तुतियां और संवादात्मक पोस्टर प्रस्तुतियां शामिल हैं ।

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