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केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शहरी भूमि अभिलेखों के सर्वेक्षण -पुनःसर्वेक्षण में आधुनिक तकनीक का उपयोग पर आज नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया

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नई दिल्ली(विश्व परिवार)। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शहरी भूमि अभिलेखों के सर्वेक्षण-पुनःसर्वेक्षण में आधुनिक तकनीक का उपयोग पर आज नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से उद्घाटन किया। श्री चौहान ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि लैंड रिकॉर्ड का काम देखने में महत्वपूर्ण काम नहीं लगता है लेकिन यह सबसे महत्वपूर्ण काम है। मैं ग्रामीण क्षेत्रों में निरन्तर यह देखता था कि व्यवस्थित लैंड रिकॉर्ड नहीं होने के कारण रिकॉर्ड में हेराफेरी हो जाती है, अर्बन डेवलपमेंट के लिए व्यवस्थित और प्रामाणिक लैंड रिकॉर्ड्स की जरूरत है इसलिए ये काम बहुत महत्वपूर्ण है।
श्री चौहान ने कहा कि सरकारी योजनाओं का लाभ भी सही लाभार्थियों को मिले, यह सुनिश्चित करने में भी इसकी बड़ी भूमिका है। सूचना और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में क्रांतिकारी विकास का लाभ उठाते हुए हमारी सरकार ने 2016 में डिजिटल इंडिया भूअभिलेख आधुनिकीकरण प्रोग्राम लागू किया। सरकार के इस कदम का उद्देश्य संपत्ति संबंधी विवादों में कमी लाना, लैंड मनेजमेंट, प्रशासन में पारदर्शिता लाना है। यह योजना 875 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय से चलाई जा रही है। इससे भूमि संसाधन का उच्चतम उपयोग होगा, कार्यालयों का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा और विभिन्न एजेंसियों के साथ सूचना का आदान-प्रदान हो सकेगा। विभाग और राज्य सरकार के ठोस प्रयास से 6.26 लाख लैंड रिकॉर्ड का कंप्यूटरीकरण, 223 लाख मानचित्रों का डिजिटलीकरण और 5000 से अधिक सब रजिस्ट्रार कार्यालयों का कंप्यूटरीकरण हो गया है। इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के वाटरशेड विकास घटक, जिसका उद्देश्य एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन के माध्यम से वर्षा सिंचित या अवक्रमित भूमि की उत्पादन क्षमता में सुधार लाना है, को भूमि संसाधन विभाग द्वारा वर्ष 2021-2026 के पांच वर्षों की अवधि के लिए 8136 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ लागू किया जा रहा है। इस योजना के वाटरशेड विकास घटक से अब तक लगभग 11.52 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ग्रामीण विकास के साथ – साथ कृषि मंत्री होने के नाते मैं यहां उल्लेख करना चाहूंगा कि वर्ष 2014 से, हम किसान कल्याण के लिए सम्पूर्ण सरकार के सिद्धांत पर काम कर रहे हैं। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने कृषि के लिए डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर या एग्रीस्टैक, जिसका उद्देश्य एक समेकित कृषक एवं कृषि भूखंड रजिस्ट्री तैयार करना है, लॉन्च किया है। एग्रीस्टैक प्लैटफार्म पर हितधारकों और प्राधिकारियों के उपयोग हेतु सरकारी योजनाओं सम्बन्धित उच्च गुणवत्तापूर्ण आंकड़े उपलब्ध हैं। भू अभिलेखों एवं भू प्रबंधन के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए राज्य सरकारों को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से, हमारी सरकार ने इस वर्ष के बजट में भूमि संबंधी सुधारों के साथ-साथ राज्य किसान रजिस्ट्री तैयार करने के लिए 5,000 करोड़ रुपये के राजकोषीय समर्थन की घोषणा की है। मैंने भूमि संसाधन विभाग को निर्देश दिया है कि वह राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करें ताकि उन्हें भूमि प्रशासन, नियोजन और प्रबंधन, शहरी नियोजन, भूमि उपयोग और भवन उपनियमों, भू-आधार, मानचित्र उप-प्रभागों के सर्वेक्षण जैसे क्षेत्रों में बेहतर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके और उन्हें उनके प्रदर्शन के आधार पर प्रोत्साहन प्राप्त हो सके।
उन्होंने कहा कि भूमि अभिलेखों के अद्यतन डेटाबेस की प्रासंगिकता को समझना महत्वपूर्ण है। प्रभावी शहरी नियोजन, भूमि प्रबंधन और बेहतर सेवा प्रदान करने के लिए हमें भूमि, उसके स्वामित्व और उपयोग के बारे में स्पष्ट डेटा की आवश्यकता होती है। एक सुदृढ़ संपत्ति रिकॉर्ड और कर प्रशासन के लिए, हमारे पास भूमि का सटीक डेटाबेस होना चाहिए। केंद्र और राज्यों की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से सार्वजनिक सेवा वितरण की प्रभावशीलता और दक्षता बढ़ाने के लिए भूमि अभिलेखों तक निर्बाध पहुंच महत्वपूर्ण है। भारत को एक आर्थिक महाशक्ति बनाने की हमारी सरकार की संकल्पना को सरकार के सभी अंगों के सम्मिलित प्रयासों के माध्यम से ही साकार किया जा सकता है। सही और सटीक भूमि अभिलेखों का एकत्रीकरण देश के सकल घरेलू उत्पाद को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
श्री चौहान ने कहा कि हमारा देश बहुत विशाल है। अतीत में अवसंरचना संबंधी परियोजनाओं को पूरा होने में काफी वर्ष लग जाते थे। शहरी आबादी को सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर प्रदान करने के लिए, प्रभावी योजना की आवश्यकता होती है। हमारी सरकार बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं को लागू करने में आ रही बाधाओं को दूर करने हेतु मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी के लिए राष्ट्रीय मास्टर प्लान या पीएम-गति शक्ति शुरू करने में सफल रही है। अब भू-कर मानचित्र, जो कि नियोजन और विकास में एक महत्वपूर्ण घटक होते हैं, और लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं की योजना बनाने और उन्हें लागू करने में एजेंसियों की मदद करते हैं, पीएम-गति शक्ति का एक हिस्सा है। जहां तक शहरी भूमि प्रशासन का संबंध है, इस वर्ष के बजट में यह प्रावधान भी किया गया है कि राज्यों को, जीआईएस मैपिंग का उपयोग करके शहरी क्षेत्रों में भूमि अभिलेखों के डिजिटीकरण और संपत्ति रिकॉर्ड प्रशासन एवं कर प्रशासन को अद्यतन करने के लिए आईटी आधारित प्रणालियों को लागू करके शहरी स्थानीय निकायों की वित्तीय स्थिति में सुधार करने हेतु, प्रोत्साहित किया जाए। मुझे विश्वास है कि यह कदम शहरी नागरिकों को सशक्त बनाकर संपत्ति कर निर्धारण प्रणाली में क्रांति लाने और “ईज़ ऑफ लिविंग” को बढ़ावा देने वाला होगा।
उन्होंने बताया कहा कि मध्यप्रदेश में 34 शहरों में ड्रोन फ्लाइंग का काम पूरा हो चुका है और 12 शहरों में ऑर्थो रेक्टिफाइड इमेजरी (ORI) का निर्माण पूरा हो चुका है। इस कार्य को आगे बढ़ाते हुए, मैं राष्ट्रीय स्तर पर भूमि अभिलेखों के निर्माण और मिलान में प्रौद्योगिकी का उपयोग करना चाहता था। मैंने भूमि संसाधन विभाग को चरणबद्ध तरीके से कार्य करने का निर्देश दिया है। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि सरकार ने शहरी क्षेत्रों में भूमि अभिलेखों के सृजन के लिए “नेशनल जियो-स्पेशियल नॉलेज़ बेस्ड लैंड सर्वे ऑफ अर्बन हेबिटेशन्स” नामक प्रायोगिक परियोजना को मंजूरी दी है। इसकी कार्य की कार्यविधि में मानव संचालित अथवा मानवरहित एरियल फिचर एक्सट्रेक्शन, डिजिटल एलिवेशन मॉडल और लीडार सेंसर के साथ ऑब्लिक एंगल कैमरा का उपयोग करके ओर्थो रेक्टिफाइड इमेज़री तैयार करना शामिल है। यह पायलट परियोजना को सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के 130 शहरों में शुरू की जाएगी और इसकी एक वर्ष की अवधि में पूरा होने की संभावना है। इसके बाद आगे के चरण शुरू होंगे और हमें आशा है देश के सभी शहरों में यह कार्य पांच वर्ष की अवधि में पूरा हो जायेगा।
मुझे बताते हुए प्रसन्नता है कि शहरी नियोजन के लिए 3 डी इमेजरी के साथ एरियल फोटोग्राफी एक शक्तिशाली उपकरण है। स्थानीय स्तर पर वर्षा और बाढ़ की स्थिति को देखते हुए, बेहतर जल निकासी और बाढ़ प्रबंधन विकसित करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। सटीक जीपीएस निर्देशांकों के साथ एरियल फोटोग्राफी, भूमि सर्वेक्षण की गति में तीव्रता लाने में सहयोग करेगा, जो अंततः संपत्ति कर निर्धारण, बेहतर परिवहन व्यवस्था, जल निकासी और बाढ़ प्रबंधन की योजना बनाने तथा हमारे शहरी क्षेत्रों के लिए मास्टर प्लान तैयार करने में उपयोगी होगा।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि मेरा विभाग इस दिशा में अथक प्रयास कर रहा है। मैं भूमि अभिलेखों के सृजन और मिलान पर अन्य देशों के विशेषज्ञों के साथ परामर्श करना चाहता था और यह दो दिवसीय सम्मेलन इस संबंध में नई और उभरती प्रौद्योगिकियों के उपयोग में वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं पर चर्चा करने और समझने का एक प्रयास है। मुझे विश्वास है कि विशिष्ट प्रतिभागी अपने विचार रखेंगे जिन पर सत्रों के दौरान विस्तार से विचार-विमर्श किया जाएगा। मैं यहां उपस्थित राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों से अनुरोध करता हूं कि वे चर्चाओं में सक्रिय रूप से भाग लें, क्योंकि केवल राज्यों के सहयोग से ही हम शहरी भूमि प्रशासन में आधुनिक प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने और भूमि प्रबंधन प्रणालियों में दक्षता और पारदर्शिता में सुधार करने के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। हम दुनियाभर के विशेषज्ञों की उपस्थिति से लाभान्वित होंगे और उनके द्वारा प्रस्तुत जानकारी से हमें भूमि प्रबंधन में आधुनिक तकनीकियों का इस्तेमाल करने में मदद मिलेगी।
मैं इस समारोह के सफल आयोजन के लिए शुभकामनाएं देता हूं। मुझे उम्मीद है कि कार्यशाला से मिली जानकारी शहरी स्थानीय निकायों को और मजबूत बनाने के लिए नीतियां तैयार करने में सरकार की सहायता करेगी।
सचिव, भूमि संसाधन विभाग, ग्रामीण विकास मंत्रालय, श्री मनोज जोशी ने बताया कि यह अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई है इसके साथ ही हमने शहरी क्षेत्रों में सर्वेक्षण करने के लिए एक पायलट कार्यक्रम शुरू किया है। इसके लिए सर्वे ऑफ इंडिया हमारा टेक्निकल पार्टनर है जिससे कि सभी शहरों में ड्रोन फ्लाइंग की जा सके। ड्रोन फलाईंग से जो इमेजिज मिलेगी उससे राज्यों के राजस्व और शहरी विभाग शहरी लैंड रिकॉर्ड, शहरों के मास्टर प्लान और ड्रेनेज रिकॉर्ड तैयार करेंगे। इस कार्यशाला का उद्देश्य है कि लैंड रिकॉर्ड में विदेशी एक्सपर्टस, स्फॉटवेयर के एक्सपर्टस का फायदा ले सकें। जिन राज्यों ने लैंड रिकॉर्ड सर्वे का काम किया है। वे एक दूसरे के साथ जानकारी साझा कर सकेंगे। लैंड रिकॉर्ड के इस काम को हम एक साल में पूरा कर सकेंगे।

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