सच्चा भक्त संकट को भी शान्ति में बदल देता है – श्रमणाचार्य श्री विमर्शसगर जी महाराज
दिल्ली(विश्व परिवार)। श्री दिगम्बर जैन मंदिर कृष्णानगर में परम पूज्यनीय, जिनागम पंथ प्रवर्तक आदर्श महाकवि भावलिंगी संत श्रमणाचार्य श्री विमर्शरसागर जी महामुनिराज एका स्वर्णिम चातुर्मास 2024 अभूतपूर्व धर्मप्रभावना के साथ सानन्द सम्पन्न ही रहा है। भक्तामर महिमा में पूज्य आचार्य प्रवर श्री विमर्श सागर जी गुरुदेव के मुखारविन्द से जो भक्तामर जी के एक एक काव्य बल शुद्धउच्चारण एवं उन बीजाक्षरों में छिपी शक्ति का उद्घाटन होता है तो श्रोता मंत्र मुग्ध सा हो जाता है। बच्चों से लेकर बड़ों तक और बड़ों से लेकर वृद्धों तक सभी लालायित रहते हैं गुरु मुख से भक्तामर की महिमा श्रवण करने के लिये। आलम ये है कि प्रतिदिन सुबह-शाम. धर्मसभागार फुल रहा है तो मंदिर केन्वाइर L.E.D लगाकर लोग बाहर से क्लास अवेष्ठ कर रहे हैं। प्रतिदिन धर्म सभा में पाँच लोगों से एक – एक काव्य शुद्धोच्चारण करवाया जाता है एवं पुष्कृत किया जाता है।
आचार्य श्री ने अपने मंगल उद्बोधन में कहा कि उपसर्ग, परिषह, और जीवन के कठिन दौर में परमात्मा की भक्ति कैसे की जाती है। भक्त संकट को भी शान्ति में बदल लेता है परमात्मा की भक्ति करने से पूर्व अपने आपकी भक्ति के योग्य बनाना बहुत जरूरी है। भक्ति के पूर्व हृदय में परमात्मा के प्रति पूर्ण समर्पण का भाव जरूरी है, भक्ति के पूर्व अपने अभिमान को नष्ट करना जरूरी है, प्रभु के सन्मुख अपने को आंकिचन मानना जरूरी है। जब ये सारी योग्यतायें हमारे अंदर आ जाती है तब हम परमात्मा की भक्ति करने के योग्य बन पाते हैं, इतनी योग्यता होने के बाद भी अगर परमात्मा के गुणों में अनुराग पैदा न हो, परमात्मा जैसे गुण अपनी आत्मा में प्रगट करने का भाव न हो, स्वयं की आत्मा को परमात्मा बनाने का लक्ष्य जागृत न ही हमारी पूजा आदि धर्म कृपायें भक्ति भी कोटी में नहीं आ सकती। पूज्य पुरुषों के गुणों में अनुराग का होना ही भक्ति है, गुणानुराग के बिना अंतस में भक्ति का जन्म नहीं होता। आज भी धर्मसभा के श्रावक श्रेष्ठी बनने का सौभाग्य श्री अमित जैन श्री प्रति प्रीति जैन अरिहंत ग्राफिक्स परिवार को प्राप्त हुआ। साथ ही जन पुवा जागरण मंच छोटा बाजार से श्री मोहित जी राहुल जी भादिने आशीर्वाद प्राप्त किया ।